रविवार, 9 अक्तूबर 2011

योग करें,हृदय-रोग से मुक्त रहें

आज की लाइफ स्टाइल में अपनी सेहत का खयाल रखने के लिए भी हम पर्याप्त समय नहीं निकाल पाते। व्यस्त दिनचर्या का असर धीरे-धीरे हमारे दिल पर भी पड़ने लगता है जिससे बाद में बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है। अगर योग का थोड़ा सहयोग लें तो हम अपने दिल का खयाल रख सकते हैं। 

हमारे देश में दिल के दौरे की समस्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है। हर साल तकरीबन 25 लाख लोग दिल के दौरे के कारण असामयिक मौत के मुंह में चले जाते हैं। इनमें लगभग 5 लाख लोगों की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो जाती है। देश के शहरी हिस्सों में 30 साल से अधिक उम्र के 10 प्रतिशत लोग रक्त धमनियों में रुकावट की बीमारी से ग्रस्त हैं। धीरे-धीरे यह रोग महामारी की तरह सारे समाज के लोगों को अपनी आगोश में ले रहा है। 

हृदय रोग के कारण 
हमारे रक्त में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, तनाव, मांस-मदिरा, धूम्रपान, वंशानुगत और दोषपूर्ण जीवन शैली आदि हृदयरोग के प्रमुख कारण हैं। 

योग का अभ्यास 
योग का नियमित अभ्यास दिल की सेहत को काफी हद तक दुरुस्त रखता है तथा खान-पान में परहेज रखकर काफी हद तक इस समस्या को दूर किया जा सकता है। हृदय रोग से बचने के लिए हमें अपने खान-पान में प्याज, टमाटर, लौकी, लहसुन, गाजर आदि को शामिल करना चाहिए। 

हृदय रोग से बचने के लिये रोज एक घंटा जरूर घूमें। साथ में कुछ योगाभ्यास भी बेहद लाभकारी होते हैं। इनमें ताड़ासन, चक्रासन, वज्रासन, पद्मासन, भुजंगासन, नाड़ीशोधन, मृत्यु संवीजनी मुद्रा, हृदय स्तभ्मन की क्रिया, अपान मुद्रा, श्वासन आदि प्रमुख हैं। 

ताड़ासन 
पैरों को एक साथ मिलाकर खड़े हो जाएं। अब पंजों पर जोर देते हुए धीरे-धीरे ऊपर उठें एवं दोनों हाथों को मिलाकर ऊपर की तरफ तान दें। इस अवस्था में पूरे शरीर का भार पैरों के पंजों पर होगा और पूरे शरीर को सीधा ऊपर की ओर तानेंगे। इस अवस्था में जितनी देर रह सकते हैं, रुकेंगे और फिर ना रुक पाने की अवस्था में धीरे-धीरे वापस आ जाएंगे। इसे करते वक्त पेट अन्दर की ओर खिंचा रहना चाहिए तथा सीना बाहर की ओर तना हुआ रहना चाहिए। कमर-गर्दन बिल्कुल सीधी रखें। इस आसन का अभ्यास कम से कम 5 बार अवश्य करें। इसके बारे में अधिक विस्तार से यहां देखिए।

लाभ 
यह हृदय के रोगों से बचाता है। यह लम्बाई बढ़ाने में भी लाभप्रद है। मांसपेशियों को भी मजबूत बनाने में यह खास भूमिका निभाता है। स्त्रियों के लिये भी यह बहुत लाभप्रद है। इससे आपका मानसिक तथा शारीरिक संतुलन बनता है। यह मेरुदण्ड के लिये तो राम बाण का काम करता है। 

इस विधि से बायां हाथ दाहिने कंधे पर और दाहिना हाथ पीठ के पीछे रखकर दाहिनी ओर घूमकर जितना पीछे की तरफ देख सकते हैं उतना देखने का प्रयास करें। अब मूल अवस्था में आएं। फिर दाहिने हाथ को बाएं कंधे पर रखकर और बाएं हाथ को पीठ के पीछे रखकर बाई तरफ जितना देख सकते हैं, देखें। इस प्रकार यह अभ्यास दोनों ओर कम से कम 10 बार करें। इसकी विधि यहांयहां  और यहां भी है।

लाभ 
यह आसन कमर, मेरुदण्ड, गर्दन के दर्द में राम बाण का काम करता है। कब्ज को दूर करता है और मोटी कमर को पतला करता है(सुनील सिंह,हिंदुस्तान,दिल्ली,5.10.11)।

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपके इस लेख को पढ़कर पाठक इसका अवश्य लाभ उठाये !
    मै खुद लगभग पंधरा साल से नियमित योग करती हूँ !

    बहुत बहुत आभार बढ़िया जानकारी !

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  2. विभिन्न रोगों से मुक्ति दिलाने का यह सबसे लाभप्रद माध्यम है। आप समाज की बहुत बड़ी भलाई कर रहे हैं, इस श्रृंखला के माध्यम से।

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