शनिवार, 8 अक्टूबर 2011

हृदय-चक्र

कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें देख कर लगता ही नहीं कि उन्होंने जीवन में कोई कष्ट झेला होगा। चेहरे पर हमेशा मुस्कान और हर किसी का सहयोग करने के लिए तत्पर हाथ। अगर आप भी ऐसे ही बनना चाहते हैं तो थोड़ी कोशिश करनी होगी। योग से अपने हृदय-चक्र को सक्रिय करना होगा। 

अक्‍सर कहा जाता है कि यह व्यक्ति दिल का बहुत अच्छा है, अपने काम के प्रति ईमानदार है, मगर बहुत ही गुस्सैल है। दरअसल हम सभी के भीतर इन व्यवहारों के लिए छाती के बीचों बीच स्थित हृदय चक्र जिम्मेदार होता है। संवेदनशीलता को हृदय चक्र से जोड़कर देखा जाता है। शरीर में बहुत से एनर्जी सेंटर्स हैं, जिन्हें चक्र कहा जाता है। चक्र के कुछ मनोवैज्ञानिक तो कुछ आध्यात्मिक कार्य हैं। इन्हीं सेंटर्स में एक महत्वपूर्ण सेंटर है हार्ट सेंटर। हार्ट चक्र को भावुक दिल भी कहा जाता है। जब कोई अपने पेरेंट्स, जीवनसाथी, बच्चों व रिश्तेदारों से बेहद प्यार करता है, तो समझना चाहिए कि हार्ट चक्र काम कर रहा है। वह व्यक्ति न सिर्फ अपनों से बल्कि उससे मिलने वाला कोई भी व्यक्ति उसकी पर्सनेलिटी से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता। 

हृदय-चक्र सक्रिय होने का सीधा अर्थ है कि शरीर में मौजूद निम्न स्तरीय ऊर्जा को लगाम लगना। निम्न स्तरीय ऊर्जा जैसे गुस्सा, नफरत, चिंता, तनाव, डर, स्वार्थ, लत आदि भावनाएं, उच्च स्तरीय ऊर्जा में तब्दील होने लगती हैं। हम देखते हैं कि कुछ लोग बड़े से बड़े प्रोजेक्ट को भी चेहरे पर मुस्कान लिए पूरा कर देते हैं तो कुछ थोड़ा दबाव आते ही बौखला जाते हैं। यह हृदय चक्र का ही प्रभाव होता है कि कुछ लोग शांत चित्त होकर अपनी जिम्मेदारियों को प्रसन्नता से निभाते हैं। 

ऐसा माना जाता है कि अधिकतर लोगों में हार्ट व क्राऊन चक्र विकसित नहीं होते। परिणामस्वरूप हम अपने आसापास देखते हैं कि सामने वाला बहुत ही बुद्धिमान है, लेकिन कठोर दिल का है। कहा जा सकता है कि ऐसे लोग भावनात्मक रूप से परिपक्व नहीं होते हैं। यूं भी कहा जा सकता है कि उनमें हृदय चक्र विकसित होना अभी बाकी है। ऐसे लोगों को भी देखा जाता है कि जो बुद्धिमान हैं, सफल हैं, लेकिन रिलेशनशिप के मामले में पिछड़ गए। शायद ही उनका कोई दोस्त बन पाता है। 

हृदय-चक्र की सक्रियता से बुद्धि तो बढ़ती ही है, कमाल की इच्छा शक्ति भी देखने को मिलती है। हार्ट चक्र हमारे फिजिकल हार्ट को भी प्रभावित करता है। यह न सिर्फ हमारे सक्यरुलेटरी सिस्टम बल्कि फेफड़ों व थाइमस ग्लैंड को भी दुरुस्त रखता है। डिवाइन हार्ट, क्राऊन हार्ट के ठीक ऊपर होता है। इसे क्राऊन सेंटर भी कहा जाता है। क्राऊन सेंटर का संबंध अर्न्तज्ञान से है। यह बौद्धिक ज्ञान से अलग होता है। क्राऊन सेंटर की सक्रियता उसे अपने-पराये सभी से प्रेम करने के लिए प्रेरित करती है। 

हृदय-चक्र के इतने फायदे जानने के बाद मन में जरूर यह बात उठती है कि आखिर हृदय-चक्र को कैसे सक्रिय किया जाता है। ऐसे बहुत से तरीके हैं, जिनसे हार्ट चक्र व क्राऊन सेंटर को सक्रिय किया जा सकता है। सबसे पहले हार्ट चक्र सक्रिय किया जाता है, उसके बाद ही क्राऊन सेंटर सक्रिय हो पाता है। योग की कुछ शारीरिक गतिविधियों, सांस लेने की कुछ खास तरह की तकनीक, कुछ मंत्रों से, कुछ दृश्य तकनीक से, अरोमा थैरेपी, सहज योग आदि से हार्ट चक्र को सक्रिय किया जा सकता है। इसके अलावा एक्यूपंक्चर से कुछ प्वॉइंट्स को उत्तेजित करना होता है। परिणाम के रूप में हार्ट चक्र सक्रिय हो जाता है। ध्यान रहे कि किसी योगा एक्सपर्ट के निर्देश के अनुसार ही इनका अभ्यास किया जाए। (सहज योगा सेंटर (सक्षम स्कूल, आर के पुरम) के योगाचार्य वनिता वोहरा से पंकज घिल्डियाल की बातचीत पर आधारित यह आलेख हिंदुस्तान,दिल्ली संस्करण में 5.10.11 को प्रकाशित हुआ है।) (।

3 टिप्‍पणियां:

  1. ओशो साहित्य में ह्रदय चक्र के बारे बहुत बढ़िया जानकारी
    मिलती है यह बिलकुल सच है की योग से यह चक्र सक्रिय होता है !
    पर इसके लिये प्रयोग जरुरी है ! बहुत बढ़िया जानकारी !
    बहुत बहुत बधाई ! आभार ........

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही उपयोगी टिप्स दिए हैं आपने ,हमलोग अगर इससे लाभ उठा पाए तो हमारा सौभाग्य ही होगा

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी सलाह दी है आपने। देखता हूं आजमा कर।

    जवाब देंहटाएं

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।