बुधवार, 21 सितंबर 2011

एम्स ने इजाद की एल्जाइमर की दवा

मस्तिष्क संबंधी बीमारी एल्जाइमर का बेहतर इलाज अब भारत में भी हो सकेगा। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने ऐसी दवा इजाद की है, जो एल्जाइमर पीडि़त मरीजों की जीवनशैली सुधारने में काफी मददगार साबित होगी। एम्स के फार्माकोलॉजी विभाग में वरिष्ठ रिसर्च फैलो डॉक्टर महावीर गोलेचा ने नींबू-संतरा आदि फलों से एल्जाइमर की दवा की खोज की है। इस उपलब्धि के लिए डॉक्टर गोलेचा को एल्जाइमर ड्रग डिस्कवरी फाउंडेशन के प्रतिष्ठित यूएसए यंग इन्वेस्टीगेटर स्कॉलरशिप अवार्ड से नवाजा गया है। डॉक्टर गोलेचा ने कहा कि एल्जाइमर की समस्या सामान्यत: वृद्धावस्था में होती है। अब तक इस बीमारी का उपचार लक्षणों के आधार पर किया जाता था, लेकिन नई दवा पैथोलॉजी के स्तर पर मदद करेगी और उसका कोई नकारात्मक असर भी नहीं होगा। डॉक्टर ने कहा कि यह दवा नैरिनजिन एक बायोफ्लावोनोइड है। नैरिनजिन एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इनफ्लेमेटरी और एंटी-एपोप्टेटिक जैसी बहु प्रणालियों के जरिए अपना प्रभाव छोड़ती है। यह शोध जैपेनीज सोसायटी ऑफ फार्माकोलॉजी की अंतरराष्ट्रीय पत्रिका बायोलॉजिकल एंड फार्मास्यूटिकल बुलेटिन में प्रकाशित की जा चुकी है(दैनिक जागरण,दिल्ली,21.9.11)।

3 टिप्‍पणियां:

  1. यह तो बहुत अच्छी खबर सुनाई आपने मगर आप से एक अनुरोध है बुरा ना मानिएगा आप जिस भी बीमारी के बारे में बताते हैं कृपया उसका एक छोटा सा एवं सामान्य परिचय दे दिया करें ताकि सभी को पढ़ कर समझ ने में आसानी हो धन्यवाद....
    समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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