आप जानते होंगे कि स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का लाभ गंभीर बीमारियों पर नहीं मिलता। यानी यदि किसी को हार्ट अटैक, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी है तो वह इसका कोई फायदा नहीं उठा सकता, जबकि गंभीर बीमारियों के इलाज पर लाखों रुपए खर्च होते हैं और बीमा सुरक्षा की जरूरत तो सही मायने में ऐसे मौके पर ही होती है। यही नहीं, जीवन बीमा भी यह सोचकर कराया जाता है कि बीमा धारक की मौत हो जाने पर उसके परिवार को कोई समस्या न आए। लेकिन यदि किसी को ऐसी कोई बीमारी हो जाए जिससे वह काम करने में सक्षम न रहे, नौकरी छूट जाए तो वह खुद अपनी बाकी जिंदगी कैसे बिताएगा? इसका उपाय है क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी। बीमा कंपनियां गंभीर बीमारियों के लिए अलग से पॉलिसी देती हैं या किसी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के साथ राइडर के रूप में क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी यानी गंभीर बीमारी पर स्वास्थ्य बीमा का लाभ उठाया जा सकता है।
कम प्रीमियम में ज्यादा फायदा
आप जो मेडिक्लेम पॉलिसी लेते हैं उसमें सिर्फ सामान्य रोगों के चिकित्सा खर्चों का भुगतान मिल पाता है, लेकिन यदि किसी को कोई गंभीर रोग हो जाता है तो वह ऑपरेशन या इलाज के भारी-भरकम खर्च की व्यवस्था कहां से करेगा? अक्सर लोग यह सोच कर बीमा कराते हैं कि उनके न रहने पर उनके परिजनों को कोई समस्या न आए। जिंदगी आराम से चलती रहे। लेकिन यदि कोई लकवा जैसी किसी गंभीर बीमारी का शिकार हो जाए और उसकी नौकरी चली जाए तो उसके जिंदा रहने पर भी परिवार पर आर्थिक संकट आ सकता है। इसके लिए क्रिटिकल इलनेस बीमा कवर का सहारा लिया जा सकता है। अगर किसी को सिर्फ तीन हजार रुपए वार्षिक प्रीमियम पर दस लाख रुपए का क्रिटिकल इलनेस कवर मिल जाए तो क्या कहने। उसकी तो सारी मुश्किल ही हल हो जाएगी। एचडीएफसी इरगो की क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी में ३० साल के किसी व्यक्ति को सिर्फ २७५८ रुपए के प्रीमियम में १० लाख तक का कवर मिल सकता है। कम उम्र के लोगों के लिए ज्यादातर कंपनियों ने क्रिटिकल इलनेस कवर का प्रीमियम बहुत कम रखा है। इसलिए इस तरह की पॉलिसी जितनी जल्दी ली जाए उतना ही अच्छा फायदा होगा।
क्रिटिकल इलनेस बीमा कवर के तहत कोई अंग जैसे किडनी फेल होने,हार्ट अटैक, कैंसर, लकवा आदि को कवर किया जाता है। हार्ट अटैक के मामले में अक्सर बीमा कंपनियां पहले अटैक के इलाज के लिए ही बीमित राशि का भुगतान करती हैं।
क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी स्वास्थ्य बीमा, जीवन बीमा के साथ राइडर के रूप में मिलती है या साधारण बीमा कंपनियों द्वारा अलग पॉलिसी के रूप में। हालांकि, बीमा नियमों के मुताबिक सभी राइडर मिलाकर कुल बेसिक प्रीमियम राशि के ३० फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकते। इसलिए सिर्फ राइडर से क्रिटिकल इलनेस कवर लेना हो सकता है कि आपके लिए अपर्याप्त हो। इसलिए आप जनरल इंश्योरेंस कंपनियों का अलग से क्रिटिकल बीमा पॉलिसी ले सकते हैं।
इलाज के कुछ समय बाद मिलेगी रकम
क्रिटिकल इलनेस बीमा के तहत किसी गंभीर बीमारी के लिए ऑपरेशन, इलाज आदि का खर्च ३० से ९० दिन के एक वेटिंग पीरियड के बाद मिलता है। यानी मान लीजिए किसी की बाइपास सर्जरी होती है तो पहले वह अपने खर्चे से पूरा इलाज कराएगा और एक से तीन महीने जैसी बीमा पॉलिसी की शर्त हो, उसके बाद उसे निश्चित एक मुश्त रकम मिलेगी। क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी एक तरह की बेनिफिट पॉलिसी होती है। इसमें एकमुश्त रकम पूरी मिलेगी चाहे इलाज का खर्च कुछ भी हो। यानी यदि आप दस लाख का क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी लेते हैं और आपके ऑपरेशन पर खर्च ३ लाख रुपए आता है तो भी आप पूरा दस लाख रुपया ले सकते हैं और बाकी बचे पैसे से अपने कर्जे या बाकी जिंदगी का इंतजाम कर सकते हैं। यह बात ध्यान रखने की है कि इस वेटिंग पीरियड के दौरान यदि मरीज की मौत हो जाती है तो उसके परिजनों को एक पैसे भी नहीं मिलेंगे। यानी क्रिटिकल इलनेस कवर का फायदा मरीज के वेटिंग पीरियड में जिंदा रहने पर ही मिलता है। यह एकमुश्त रकम और इस बीमा के तहत लगने वाला प्रीमियम टैक्स फ्री होता है।
किसी साधारण बीमा कंपनी से अलग से क्रिटिकल बीमा पॉलिसी लेने में एक समस्या यह है कि इसे हर साल रीन्यू कराना पड़ता है जैसा कि आप स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के लिए कराते हैं। लेकिन किसी बीमा पॉलिसी के राइडर के रूप में क्रिटिकल इलनेस कवर लेने पर आपको पूरे बीमित अवधि तक इस पॉलिसी का लाभ मिलता है जो कि अमूमन २० से २५ साल तक होता है। यही नहीं, अलग से क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी के मामले में ज्यादातर बीमा कंपनियां ४५ साल के बाद पॉलिसी रीन्यू नहीं करतीं। यानी सिर्फ ४५ साल तक इस पॉलिसी का लाभ मिल सकता है। इसलिए कई जानकारों का ऐसा कहना है कि जीवन बीमा पॉलिसी के साथ क्रिटिकल इलनेस राइडर लेना ज्यादा सही है।
जिन लोगों को पहली बार बीमा पॉलिसी लेनी है उनके लिए तो यह अच्छा रास्ता हो सकता है कि किसी अच्छी राशि का टर्म बीमा कराएं और उसके साथ क्रिटिकल इलनेस कवर का राइडर ले लें। लेकिन जिन लोगों के पास पहले से ही पर्याप्त बीमा पॉलिसी है वे साधारण बीमा कंपनी की क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी ले सकते हैं।
क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी देते समय बीमा कंपनी बीमा आवेदक के आयु, उसके और उसके परिवार के रोग के इतिहास यानी पहले कौन-कौन से रोग पाए गए हैं आदि की तहकीकात करती है(दिनेश अग्रहरि,नई दुनिया,दिल्ली,19.8.11)।
बडे काम की जानकारी। आभार।
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मायावी मामा?
रूमानी जज्बों का सागर..
Thanks Buddy
जवाब देंहटाएंबहुत ही उपयोगी जानकारी दी है आपने ....आभार
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