मम्मी मैंने अपनी रोटी और सब्जी खा ली है अब मुझे सैंडविच खाने को दो, रोहित ने मम्मी से कहा।
हां…हां…रोटी सब्जी खाने के लिए तो तुम्हें रिश्वत देनी पड़ती है—मेघा ने कहा…। जिन घरों में छोटे बच्चे होते हैं वहां माता-पिता को बच्चों को पौष्टिक, उनके स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त चीजों को खिलाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। माता-पिता अकसर दूसरों के साथ बातचीत के दौरान अपने बच्चों की खाने की खराब आदतों के बारे में शिकायत भी करते हैं। बच्चे खाने के संबंध में बेहद चूजी होते हैं। वे एक बार एक ही खाने की चीज को बार-बार खाना पसंद करते हैं। कई बच्चों के सामने यदि मां मेहनत करके नयी डिश परोसती है तो वह उसे खाने के लिए इनकार कर देते हैं।
कई बच्चे तो किसी एक खाद्य पदार्थ से बनी कोई भी डिश खाना पसंद नहीं करते। कई बच्चे रात-दिन ब्रेड, पिज्जा, सैंडविच खाकर उकताते नहीं हैं। बच्चे वही खाना पसंद करते हैं जो उनके मन को अच्छा लगता है। बच्चों की शारीरिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए माता-पिता उन्हें पौष्टिक भोजन खाने की हिदायत देते हैं लेकिन बच्चों को वह सब खाना अच्छा नहीं लगता और यदि बेमन से खाते भी हैं तो इसके एवज में अपने मन को अच्छी लगने वाली चीज की मांग भी जरूर करते हैं।
बच्चों का दिमाग, उनके वजन बढऩे का अनुपात यदि सही हो तो माता-पिता को इस विषय में ज्यादा गंभीर नहीं होना चाहिए। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चे को विभिन्न प्रकार का भोजन खाने को दें और उनमें स्वाद और भूख को ध्यान में रखते हुए उनकी डाइट का ख्याल रखें। बच्चों को जितनी डाइट की जरूरत होती है वे उसकी पूर्ति कर लेते हैं।
माता-पिता और बच्चे भी डाइट को संतुलित रखने के लिए अपनाएं कुछ महत्वपूर्ण टिप्स—
० बच्चों को खिलाने के लिए स्वास्थ्यवर्धक भोज्य पदार्थों को चुनें। बच्चे प्राय: उनमें चयन का आसान रास्ता निकाल लेते हैं। उन्हें इसमें जितना भोजन जरूरी होता है वे उतनी मात्रा ले लेते हैं।
० बच्चे के खानपान को लेकर माता-पिता को ज्यादा कड़ा रवैया नहीं अपनाना चाहिए। उनकी पसंद-नापसंद का ख्याल करते हुए रूटीन से हटकर कुछ पौष्टिक, विविधतापूर्ण भोजन स्वयं तैयार करके उन्हें देना चाहिए।
० यह जरूरी नहीं कि माता-पिता हर समय उन्हें संतुलित आहार दें। बच्चों के लिए सप्ताह में दिए जाने वाले भोज्य पदार्थों की एक तालिका तैयार कर लेनी चाहिए।
० बच्चे को किसी खास चीज, जिसे वह मन से खाना न चाहता हो, उसे खाने के लिए दूसरी उसकी पसंदीदा चीज न दें। याद रखें भोजन बच्चे के स्वास्थ्य, उसकी बेहतर सेहत के लिए होता है न कि उसे रिश्वत के रूप में देने के लिए। इससे बच्चे को भी लगने लगता है कि अमुक चीज से दूसरी चीज अच्छी है।
० बच्चे को अपनी प्लेट में परोसा गया पूरा भोजन खाने के लिए बाध्य न करें। उसे जितनी इच्छा हो उतना ही खाने की उसकी स्वतंत्रता बरकरार रखें। हां, यदि अपनी इच्छा से वह अपना पूरा खाना खा लेता है तो उसके लिए उसे शाबाशी देना न भूलें(नीलम अरोड़ा,दैनिक ट्रिब्यून,6.9.11)।
आभार।
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क्यों डराती है पुलिस ?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।
बहुत ही उपयोगी टिप्स!!
जवाब देंहटाएंउफ ये बच्चे..
जवाब देंहटाएंइस लेख में कई बातें हैं जो मैं आज से ही अमल में लाने वाला हूं।
जवाब देंहटाएंउपयोगी टिप्स है ......माता -पिता अजमा कर देखें
जवाब देंहटाएंबच्चों का मनो जगत खंगालती अच्छी पोस्ट .
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