मौसम के परिवर्तन के कारण संक्रमण से कई बार वाइरल इंफेक्शन के कारण हमारे गले व फेफड़ों में जमने वाली एक श्लेष्मा होती है जो खांसी या खांसने के साथ बाहर आता है। यह फायदेमंद और नुकसानदायक दोनों है। इसे ही कफ कहा जाता है।
अगर आप भी खांसी या जुकाम से परेशान है तो बिना दवाई लिए भी रोज सिर्फ दस मिनट इस मुद्रा के अभ्यास से कफ छुटकारा पा सकते हैं।
मुद्रा-
बाएं हाथ का अंगूठा सीधा खडा कर दाहिने हाथ से बाएं हाथ कि अंगुलियों में परस्पर फँसाते हुए दोनों पंजों को ऐसे जोडें कि दाहिना अंगूठा बाएं अंगूठे को बहार से कवर कर ले, इस प्रकार जो मुद्रा बनेगी उसे अंगुष्ठ मुद्रा कहेंगे।
अंगूठे में अग्नि तत्व होता है.इस मुद्रा के अभ्यास से शरीर में गर्मी बढऩे लगती है. शरीर में जमा कफ तत्व सूखकर नष्ट हो जाता है।सर्दी जुकाम,खांसी इत्यादि रोगों में यह बड़ा लाभदायी होता है, कभी यदि शीत प्रकोप में आ जाए और शरीर में ठण्ड से कपकपाहट होने लगे तो इस मुद्रा का प्रयोग लाभदायक होता है। रोज दस मिनट इस मुद्रा को करने से बहुत कफ होने पर भी राहत मिलती है।
कफ शीघ्र ही सुख जाता है। साथ ही जरा सा सेंधा नमक धीरे धीरे चूसने से लाभ होता है। सुबह कोमल सूर्यकिरणों में बैठके दायें नाक से श्वास लेकर सवा मिनट रोकें और बायें से छोड़ें। ऐसा 3-4 बार करें। इससे कफ की शिकायतें दूर होंगी(दैनिक भास्कर,उज्जैन,30.8.11)।
इट्स रियली वर्किंग .....वाव
जवाब देंहटाएंसुन्दर सुझाव .
जवाब देंहटाएंकुछ न भी करें तो भी जुकाम दो तीन दिन में अपने आप ठीक हो जाता है । खांसी और बलगम होने के बाद एंटीबायोटिक लेने से जल्दी आराम आता है ।
जवाब देंहटाएंइसके अलावा कुछ भी करें , प्लेसिबो का ही काम करता है ।
यानि दिल समझाने के लिए ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है ।
कभी कभी सोचता हूँ , पंडितों और नेचुरोपैथी में बड़ी समानता है । दोनों ह्यूमेन सायकोलोजी पर प्रभाव डालकर अपना काम करते हैं ।
ये तो बेहद उपयोगी सुझाव दिया है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति...ईद मुबारक़
जवाब देंहटाएंES JANKARI KO AMAL ME LAYE,
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी आभार !
जवाब देंहटाएंगणेश चतुर्थी की हार्दिक
शुभकामनायें !