शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

"ॐ" ध्वनि का महत्व

"ॐ" की ध्वनि सर्वप्रिय है। सभी को अच्छी लगती है। यह भाषाओं की जन्मदात्री है। ब्रह्म का सारा निर्माण ही इस ध्वनि के आधार पर हुआ है। योगियों के लिए यह ध्वनि ईश्वर का प्रतीक है। अनाहत नाद, जिसमें हम कानों पर उँगलियाँ रखकर सुन सकते हैं, ठीक से समझ लेने पर वहाँ पर इस ध्वनि को प्रतिदिन किसी भी समय सुना जा सकता है। आज के वैज्ञानिक युग में वैज्ञानिक प्रयोग सिद्ध कर रहे हैं कि मानव द्वारा उच्चारित ध्वनियों का प्रभाव उसकी सम्पूर्ण बनावट पर, शरीर के सभी अंगों पर कितना सही और कितना अधिक पड़ता है। ध्वनि द्वारा जो वायु गले से लेकर फेफड़े तक पहुँचती है, उसमें फेफड़े के अंतिम भाग, जिसको एल्व्यूलस कहते हैं, में कम्पन शुरू हो जाता है। इससे वहाँ की दूषित वायु बाहर निकलती है और प्राणवायु वहाँ पहुँचती है। "ॐ" की ध्वनि हमारे सभी सूक्ष्म अंगों पर पहुँच कर उनकी अच्छी तरह से मालिश करती है। जिस प्रकार संगीत की ध्वनियाँ मस्तिष्क पर अपना प्रभाव डालती हैं, उसी प्रकार "ॐ" की ध्वनि उच्चारित करने पर उसका प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है। उसके उच्चारण मात्र से ही सभी प्रकार की आंतरिक भय की भावना तथा मस्तिष्क की कमजोरी दूर भाग जाती है। इसके उच्चारण को सुनकर यह समझना कठिन नहीं रहता कि साधक की साधना किस स्तर की है। स्पष्ट और सही उच्चारण मस्तिष्क की स्वतंत्रता तथा अच्छे स्वास्थ्य का आभास करा देते हैं। हमारे मस्तिष्क में सोचने की क्रिया सतत चलती रहती है। काल्पनिक चित्र हमारे बुद्धि पटल पर बनते-बिगड़ते रहते हैं और ये हमारी शारीरिक, मानसिक थकावट के मुख्य कारण हैं। जब हमारा मन शांत हो जाता है और विचारशून्य स्थिति में आता है तभी हमें सच्चा आराम एवं मानसिक शांति महसूस होती है। मन में चलने वाले वाक्यों और चित्रों की सतत धड़-धड़ाती हुई पनचक्की जब तक शांत नहीं होती, तब तक हमारी थकावट, परेशानी तथा मानसिक बोझ कभी कम नहीं हो सकता है और इसे कम करने के लिए "ॐ" की ध्वनि ही एकमात्र सही उपाय है। दिनभर की थकावट एवं तनाव की स्थिति के बाद शाम को यदि इस ध्वनि का जाप कर लिया जाए तो सभी परेशानी एवं खोई हुई ऊर्जा की पूर्ति शीघ्र हो जाती है। "ॐ" के उच्चारण से हमारे मस्तिष्क के आंतरिक अंगों को शक्ति प्राप्त होती है। कमजोर मस्तिष्क वाले भी इस ध्वनि का उच्चारण कर मानसिक शांति एवं बुद्धि की प्रखरता प्राप्त कर सकते हैं। मन ही मन इसका उच्चारण करना भी काफी लाभदायक होता है(डॉ. के.सी. खरे,सेहत,नई दुनिया,अगस्त तृतीयांक 2011)।

3 टिप्‍पणियां:

  1. ॐ शब्द मिश्र (अमोन रा), इस्लाम (आमीन), इसाई -यहूदी (आमेन) सभी धर्मो में मौजूद है

    Tandya Maha Brahmana 20.14.2

    This, [in the beginning] was the only Lord of the Universe. His Word was with him. This Word was his second. He contemplated. He said, “I will deliver this Word so that she will produce and bring into being all this world.”


    John 1.1-4
    In the beginning was the Word, and the Word was with God, and the Word was God. He was in the beginning with God; all things were made through him, and without him was not anything made that was made. In him was life, and the life was the light of men.

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  2. bahut sundar post hai hame apni life mai ise hamesha yaad rakhana chahiye.
    Dinesh Bhatt

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