बुधवार, 3 अगस्त 2011

माँ का दूध ही है सर्वोत्तम आहार

माँ के दूध की गुणवत्ता एक निर्विवाद सत्य है। प्राणीजगत को दिया गया यह सर्वोत्तम उपहार है। माता के दूध के अलावा दूसरे सभी आहार शिशु के स्वास्थ के लिहाज से दोयम दर्जे के माने गए हैं। स्तनपान को लेकर आधुनिक युग में भी कई भ्रांतियाँ हैं। कई परिवारों में इन्हीं भ्रांतियों की ज्यादती नवजात शिशु को भुगतना पड़ती है। सद्यः प्रसूता को गरिष्ठ खाद्य पदार्थ तो दिए जाते हैं लेकिन दही या चटनियों जैसी प्राथमिक "औषधियों" से वंचित रखा जाता है। तर्क यह है कि खट्टी चीजों से नवजात शिशु को नुकसान होगा।

दरअसल प्रजनन, प्रसव के बाद माता और नवजात शिशु की देखभाल की विस्तृत जानकारी देने की शुरुआत कन्याशालाओं से की जानी चाहिए। पाठ्यक्रम की पुस्तकों के अलावा भावी माताओं को अपने शरीर की सभी प्रक्रियाओं की जानकारी होनी चाहिए। शिशु के स्तनपान से लेकर उसकी साफ-सफाई तक की छोटी से छोटी जानकारियाँ लड़कियों को होना चाहिए। समाजविज्ञानियों का मानना है कि एक पढ़ी-लिखी माँ पूरे परिवार के स्वास्थ की रक्षा कर सकती है, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है।

केवल ग्रामीण समाज में ही भ्रांतियाँ हों ऐसा नहीं है। शहर की नवआधुनिक माताएँ भी फिगर होने के झूठे डर से अपने शिशुओं को स्तनपान जैसे अनमोल उपहार से वंचित रखती हैं। ग्रामीण समाज की महिलाएँ अज्ञानतावश कुछ अर्से के लिए शिशु को स्तनपान से वंचित रखती हैं तो आधुनिक उच्चवर्ग की महिलाएँ दूसरी तरह की भ्रांति के चलते स्तनपान नहीं करातीं।

शहरी माताओं की समस्या गंभीर प्रकृति की हैं। करिअर को लेकर गंभीर रही लड़कियां पहले तो शादी ही देर से करती हैं,फिर शादी के बाद मां बनने से भी हिचकिचाती हैं। वे मातृत्व को टालने की हरसंभव कोशिश करती हैं । इसके लिए गर्भनिरोधक गोलियों से लेकर तमाम तरह के उपाय किए जाते हैं। प्रकृति ने श्रेष्ठ संतान प्राप्ति की एक उम्र तय की है। इस अवधि को टालने के नतीज़े कभी ठीक नहीं होते। स्तनपान शिशु का जन्मसिद्ध अधिकार है। उसे इस अधिकार से वंचित रखने की इजाज़त प्रकृति ने किसी को नहीं दी है(संपादकीय,सेहत,नई दुनिया,जुलाई पंचमांक,2011)।

6 टिप्‍पणियां:

  1. भारत मे हर १००० जन्मे बच्चो मे ५७ बच्चे की मृत्यु जनम लेते ही होजाती हैं और१००० मे ४३ बच्चे जनम ले ने के महीने के अंदर नहीं रहते । डॉ अर्मिदा फेर्नान्देज़ { Dr Armida Fernandez } ह्यूमन मिल्क बैंक की फाउंडर हैं । उनके अथक परिश्रम और उनकी दूरगामी सोच के कारण भारत ही नहीं एशिया का पहला ह्यूमन मिल्क बैंक १९८९ से SION MILK BANK के नाम से बना । ये बैंक लोकमान्य तिलक मुनिसिपल जनरल हॉस्पिटल मुंबई मे हैं । इस बैंक को ९२४ लीटर दूध का डोनेशन " डोनर मदर " ने किया हैं जो अपने आप मे इक रिकॉर्ड हैं । डॉ अर्मिदा फेर्नान्देज़ का कहना हैं की ये सब इतना आसन नहीं हैं पर मुश्किल भी नहीं हैं । उनके अनुसार १२००० डिलिवरी हर साल होती हैं और अगर हर माँ को समझाया जाये तो वह " माँ का दूध " का दान अपनी इच्छा से कर देती हैं । ये दूध वज्ञानिक तरीको से सुरक्षित रखा जा सकता हैं ६ माह के लिये और उन बच्चो के लिये " राम बाण औषधि " साबित होता हैं जो माल नुत्रिशन के शिकार हैं या जिनेह छोड़ / त्याग दिया जाता हैं ।


    डॉ अर्मिदा फेर्नान्देज़ "स्नेहा " की फाउंडर हैं । स्नेहा , डॉक्टरो के द्वारा चलाई जा रही संस्था हैं जो माल नुत्रिशन { malnutrition } पर काम करती हैं . ज़रा सी शिक्षा ने असंख्य माँओ से वो दान करवा दिया जो केवल एक माँ ही कर सकती हैं । आज बहुत से अस्पतालों मे ये बैंक चल रहे हैं ।

    ज्यादा जानकारी के लिये लिंक क्लिक करे http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2008/07/blog-post_27.htmlऔर इसे ही कहते हैं " The Indian Mother Has Arrived " .

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सही और उपयोगी जानकारी दी है ...आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी पोस्ट अच्छी है। जो दिल से मां होती है वह बच्चे की परवाह करती है अपनी फ़िगर की नहीं।
    जानिए हिंदी ब्लॉगिंग की मेंढक शैली के बारे में
    इस लिंक पर जाकर
    आप क्या जानते हैं हिंदी ब्लॉगिंग की मेंढक शैली के बारे में ? Frogs online

    जवाब देंहटाएं
  4. इस विषय के प्रति जागरूकता तो होनी ही चाहिए लोगों में।

    जवाब देंहटाएं
  5. सही कहा । ब्रेस्ट फीडिंग का प्रचार जोर से होना ज़रूरी है ।

    जवाब देंहटाएं

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।