रदफ्तरों में कम्प्यूटरीकरण के साथ जहाँ एक ओर काम कम समय में हो जाता है, वहीं घंटों एक ही स्थान पर बैठे रहने का यह एक कारण भी बन गया है। अधिकतर कर्मचारी कार्यस्थल पर शरीर को एक विशेष स्थिति में ही रखते हैं।
शरीर की मांसपेशियों, जोड़ आदि में इससे तनाव होकर सूजन, अंदरुनी घाव व तीव्र या अल्प वेदना होती है। ये लक्षण प्रायः हाथ, कलाई, कोहनी, गर्दन, कमर आदि जोड़ों में अधिक होता है। यह समस्या न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में पाई जाती है। इन परेशानियों से कर्मचारी की कार्यक्षमता और स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। वैसे तो ये परेशानियाँ किसी को भी हो सकती हैं लेकिन कुछ कारणों से इनकी किसी व्यक्ति विशेष में होने की संभावना अधिक हो जाती है।
कारणः
शारीरिक व्यायाम की कमी
समय पर भोजन न करना या असंतुलित भोजन करना
धूम्रपान या शराब का सेवन
अत्यधिक मानसिक तनाव या मोटापा
उचित नींद का अभाव
सामान्य लक्षण
अचानक या धीरे-धीरे हाथ-पैर आदि में दर्द,हिलने में असुविधा,थकान,स्थानिक सूजन,लालपन,झुनझुनी होना आदि। यदि कारण पहचान लिया जाए तो इन लक्षणों को ठीक होने में एक सप्ताह का समय लगता है। इससे ज्यादा होने पर भी परेशानी दूर न हो तो व्यक्ति को व्यायाम नहीं करना चाहिए। ऐसे में,प्रभावित अंग को पूरा आराम दें और विशेषज्ञ की सलाह लें।
बचाव के तरीके
-नियमित रूप से व्यायाम करें।
-मांसपेशियों में शिथिलता अधिक हो तो हल्का वजन उठाकर व्यायाम करें।
-तनाव से बचने की कोशिश करें।
-योगाभ्यास एवं ध्यान करें।
-हल्की मालिश और कभी-कभी स्टीम बाथ लें।
-कार्य के बीच में छोटे-छोटे अंतराल लें। अपने पोश्चर को बदलें।
-पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें। दूध-दही, फल, सब्जी नियमित रूप से लें।
-दफ्तर में बैठकर काम करते हुए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें। कुर्सी पर बैठते हुए पीठ व कमर सीधी रखें। लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठकर काम करना हो तो लंबर (रीढ़ की हड्डी) सपोर्ट का उपयोग करें।
-आँखों व स्क्रीन के बीच की दूरी १८ से २४ इंच होनी चाहिए।
-घुटने कूल्हे से थोड़े से नीचे हों। घुटने का कोण ९० डिग्री का हो। पैरों के नीचे सपोर्ट रखें। कलाई को टेबल पर रखें व कोहनी को भी कुर्सी के हत्थे का सहारा दें ताकि कंधे में तनाव न हो।
-व्यायाम का एक नियमित कार्यक्रम व समयावधि निश्चित करना चाहिए(डॉ. शिरीश श्रीवास्तव,सेहत,नई दुनिया,जुलाई प्रथमांक 2011)।
-कार्य के बीच में छोटे-छोटे अंतराल लें। अपने पोश्चर को बदलें।
-पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें। दूध-दही, फल, सब्जी नियमित रूप से लें।
-दफ्तर में बैठकर काम करते हुए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें। कुर्सी पर बैठते हुए पीठ व कमर सीधी रखें। लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठकर काम करना हो तो लंबर (रीढ़ की हड्डी) सपोर्ट का उपयोग करें।
-आँखों व स्क्रीन के बीच की दूरी १८ से २४ इंच होनी चाहिए।
-घुटने कूल्हे से थोड़े से नीचे हों। घुटने का कोण ९० डिग्री का हो। पैरों के नीचे सपोर्ट रखें। कलाई को टेबल पर रखें व कोहनी को भी कुर्सी के हत्थे का सहारा दें ताकि कंधे में तनाव न हो।
-व्यायाम का एक नियमित कार्यक्रम व समयावधि निश्चित करना चाहिए(डॉ. शिरीश श्रीवास्तव,सेहत,नई दुनिया,जुलाई प्रथमांक 2011)।
Bahut Upyogi Jankari...
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