शनिवार, 30 जुलाई 2011

पढ़ाई और फिटनेस

आईआईटी की तैयारी कर रही स्नेही सुबह दूध पीकर स्कूल जाती। उसके टिफिन में ज्यादातर सैंडविच ही होते। दोपहर में जब थक-हार कर घर पहुंचती तो ठीक से खाना भी नहीं खा पाती और कोचिंग का समय हो जाता। कोचिंग के ब्रेक में भूख लगने पर पिज्जा, बर्गर या नूडल्स खाती। रात को कभी खाना खाती तो कभी नहीं। देर रात तक पढ़ना हो तो चिप्स-कुरकुरे भूख में उसका साथ निभाते। करीब डेढ़ साल तक चली इस रुटीन से उसे भूख लगना काफी कम हो गई। चैकअप कराने पर पता चला कि शरीर को पोषक तत्व न मिलने से उसमें खून की कमी हो गई है।

ये महज एक उदाहरण है। ऐसे कई मामले अब डॉक्टरों के पास तेजी से बढ़ रहे हैं। वैसे जंक फूड के चलन ने सभी युवाओं की सेहत प्रभावित की है लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स कुछ ज्यादा हैं। दूसरे शहरों से आए युवा इसका शिकार और ज्यादा होते हैं। पैथोलॉजिस्ट डॉ. सुरेश कुमार बताते हैं, ऐसे मामले काफी बढ़ गए हैं। हालांकि पहली नजर में ये आम न्यूट्रीशनल प्रॉब्लम वाले केस लगते हैं लेकिन चेकअप में पता चलता है कि पूरी तरह सेहतमंद दिख रहे ये युवा जंक फूड के अत्यधिक सेवन से एनीमिक हो गए हैं।

यूं शुरू होती है परेशानी
डायटीशियन डॉ. अमिता सिंह बताती हैं, मेरे पास तकरीबन रोजाना एक से दो केस ऐसे आते हैं। परीक्षाओं के समय में तो यह केस और बढ़ जाते हैं। घंटों लगातार पढ़ाई के बीच भूख लगने पर पेटीस, हेम बर्गर, कोल्डड्रिंक, चिप्स जैसी चीजें खाने से फैट और काबरेहाइड्रेट तो जरूरत से ज्यादा मिल जाता है। लेकिन विटामिन, प्रोटीन और मिनरल्स बिल्कुल नहीं मिलते। ऐसे में आयरन की कमी से एनीमिया हो जाता है। ऐसे बच्चे जो दिन के दो समय के खाने और नाश्ते में पोषक खाना नहीं लेते या इनमें से किसी एक को ज्यादातर स्किप करते हैं उनमें ये समस्या ज्यादा देखने में आती है। त्वचा में पीलापन आना, भूख न लगना, थकावट होना, आलस आना, पढ़ा हुआ याद न रहना जैसे लक्षण खून की कमी के हैं।


असंतुलन से हो रही टीबी भी
गांधी मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर और चेस्ट फिजीशियन डॉ. लोकेन्द्र दबे बताते हैं, पोषक तत्वों की कमी शरीर की इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) कम कर देती है जिससे इंफेक्शन से होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। पिछले तकरीबन 3 साल से हर महीने 2 से 3 केस टीबी के ऐसे ही आ रहे हैं। 15 से 22 साल के आयुवर्ग के युवा आर्थिक रूप से काफी सक्षम परिवारों से हैं और उनमें प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के दौरान ज्यादा तनाव और जंक फूड के सेवन से टीबी की शिकायत हो गई।

ये करें स्टूडेंट्स
दाल, हरी सब्जी, सलाद और फल जरूर खाएं, ड्राय फ्रूट्स का भी सेवन करें, दोपहर और शाम को साउथ इंडियन फूड को प्राथमिकता दें, स्प्राउट्स, पनीर, रेडीमेट ओट्स, स्टफ पराठा आदि भी बेहतर विकल्प हैं(श्रद्धा जैन,दैनिक भास्कर,भोपाल,30.7.11)।

4 टिप्‍पणियां:

  1. आजकल हम भी हरी सब्जियों को प्राथमिकता देते हैं और कच्ची सब्जियों खाने को तरजीह देते हैं, अच्छी पोस्ट ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही उपयोगी पोस्ट।

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्छी जानकारी. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

    जवाब देंहटाएं

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।