प्राइवेट पार्ट में पर्याप्त तनाव न आने या पर्याप्त तनाव आने के बाद भी सही तरीके से सहवास न कर पाने को नपुंसकता कहा जा सकता है। आजकल नपुंसकता या इम्पोटेंसी की बजाय इरेक्टाइल डिसफंक्शन (सही तनाव का अभाव) कहा जाता है।
पुरुष के सेक्स चक्र में चार चरण होते हैं। कामेच्छा, इंद्रिय में पर्याप्त तनाव, स्त्री जननांग में प्रवेश और चरम सीमा। कई बार कामेच्छा की कमी तो कई बार नर्वस सिस्टम की गड़बड़ी की वजह से उत्तेजना में कमी आ सकती है। 65-70 साल की उम्र के बाद कई बार पुरुष हॉर्मोंस की कमी से भी यह समस्या उठ खड़ी होती है। एक आदमी को एक अवस्था में पर्याप्त उत्तेजना आती है जैसे कि सुबह के वक्त, पेशाब करते समय या मास्टरबेशन के वक्त, पर उसे दूसरी अवस्था में उत्तेजना नहीं आती तो यह समस्या मानसिक मानी जाएगी, शारीरिक नहीं। विशेष रूप से डायबीटीज के मरीजों में यह समस्या अक्सर पाई जाती है।
शुगर नपुंसकता का एक बड़ा कारण है। डायबीटीज के मरीजों के सेक्स चक्र में कामेच्छा और चरम/ स्खलन अवस्था तो नॉर्मल ही बनी रहती है, पर प्राइवेट पार्ट के तनाव में अक्सर कमी आ जाती है। ऐसे मरीजों को शुगर कंट्रोल में करनी चाहिए ताकि समस्या ज्यादा न बढ़े। अगर शुगर के कंट्रोल में होने के बाद भी तनाव में हुई कमी बनी रहती है तो ऐसी अवस्था में देसी वायग्रा या वायग्रा कारगर साबित हो सकती है। यह गोली 50 या 100 मिलीग्राम की मात्रा में उपलब्ध है, जिसे सहवास से एक घंटा पहले लेना चाहिए। खाली पेट यह गोली ज्यादा कारगर साबित होती है। चौबीस घंटों में यह गोली ज्यादा-से-ज्यादा एक बार ही लेनी चाहिए। कई बार शारीरिक नपुंसकता के साथ-साथ मानसिक नपुंसकता भी जुड़ी रहती है। यह गोली दोनों अवस्थाओं में काम करती है।
शुक्राणुओं की कमी की वजह से कभी नपुंसकता नहीं आती। यहां तक कि नपुंसकता के मामले में शुक्राणुओं की जांच कराना बेकार है। नपुंसकता के शारीरिक कारण तो बहुत हैं, जैसे नर्व्स में गड़बड़, पुरुष हॉर्मोंस की कमी या एक बार नाकाम होने के बाद दिमाग में नाकामी का डर बैठ जाना। यहां मरीजों को यह समझना जरूरी है कि नाकामी सामान्य बात है। इसका मतलब अंत नहीं है। जैसे, एक क्रिकेटर पहली पारी में डबल सेंचुरी लगाए और दूसरी पारी में जीरो पर आउट हो जाए तो इसका मतलब यह नहीं कि बाद में वह कभी सेंचुरी मार ही नहीं सकता। ऐसे मरीज अपना आत्मविश्वास बढ़ाकर समस्या से छुटकारा पा सकते हैं(डॉ. प्रकाश कोठारी
सेक्सोलॉजिस्ट ,नवभारत टाइम्स,24.7.11)
अच्छी जानकारी . ज्यादातर यह मानसिक तनाव या परफोर्मेंस एनजाईटी की वज़ह से ही होती है .
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