शनिवार, 2 जुलाई 2011

महिलाएँ ज़रूर कराएँ पेप स्मीयर

यह परीक्षण सर्विक्स (गर्भाशय के मुँह) की स्वस्थ स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है। सामान्यतः महिलाओं में गर्भाशय की कोशिकाएँ सामान्य एवं स्वस्थ पाई जाती हैं लेकिन कभी-कभी ये कोशिकाएँ असामान्य दिखाई देती हैं, जो कि गर्भाशय के मुँह के कैंसर की उपस्थिति को दर्शाती हैं।

महिलाओं के लिए सर्वाइकल स्मीयर परीक्षण की जरूरत क्यों है?

इस परीक्षण के द्वारा सर्विक्स कैंसर (गर्भाशय के मुँह के कैंसर) के बारे में प्रारंभिक स्थिति में ही पता लगाया जा सकता है। सर्विक्स के स्वस्थ या अस्वस्थ होने का पता इसी परीक्षण द्वारा लगाया जा सकता है। यह परीक्षण २० वर्ष से लेकर ६५ वर्ष तक की महिलाओं का किया जाता है।

सर्विक्स क्या है?

गर्भाशय के निचले भाग को सर्विक्स कहा जाता है। गर्भाशय के निचले भाग में कोशिकाओं की आकृति कभी-कभी बदल जाती है और असाधारण हो जाती है।

क्या यह परीक्षण तकलीफदायक है?

नहीं। परंतु यदि आप तनाव में हो तो कभी-कभी तकलीफ हो सकती है। यदि महसूस कर रहे हों तो गहरी साँस लेकर तनाव दूर कर सकते हैं।

क्या परीक्षण के लिए अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक है?

इस परीक्षण में केवल ५ से १० मिनट का समय लगता है। बाह्य रोग विभाग द्वारा यह परीक्षण किया जाता है। भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है।

परीक्षण के पूर्व क्या कुछ करना जरूरी है?


मासिक धर्म के दौरान यह टेस्ट नहीं किया जाता है। पीरियड के पूर्व या बाद में इसे कभी भी किया जा सकता है। यौन संबंध ४८ घंटे पूर्व किसी से न किया हो अथवा योनि में कोई गोली या दवा न रखें।

परीक्षण रिपोर्ट

परीक्षण की रिपोर्ट २४ से ४८ घंटे में दी जाती है।

पुनः परीक्षण कब?

- परिणाम संतोषजनक नहीं होने पर या

- पुनः स्मीयर लेना हो या

- असाधारण परिणाम आया हो तो

- प्रत्येक तीन वर्ष बाद

- पुनः परीक्षण कराया जाना चाहिए।

महिलाओं के लिए सर्वाइकल स्मीयर परीक्षण का महत्व

- सर्वाइकल स्मीयर परीक्षण करवा लेने से समय पर कैंसर होने की पहचान हो जाती है व इलाज संभव हो जाता है।

- दस में से एक महिला के सर्विक्स सेल असाधारण पाए जाते हैं और उन्हें पुनः परीक्षण के लिए बुलाया जा सकता है।

- इस परीक्षण से समय पर मरीज को कैंसर, इन्फेक्शन आदि का पता लग जाता है जिससे उसका उचित इलाज किया जा सकता है।

- कैंसर की एडवांस स्थिति में पहुँच जाने पर ऑपरेशन संभव नहीं रहता। रेडियोथैरेपी, कीमोथैरेपी कराना पड़ती, जो अत्यंत खर्चीली होती है तथा समय भी अधिक लगता है।

- वर्तमान में इस कैंसर से बचाव का वैक्सीन उपलब्ध है(डॉ. विजयसेन यशलाहा,सेहत,नई दुनिया,जून 2011 चतुर्थांक)।

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