मिर्गी या ‘एपिलेप्सी’ एक ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज के दिमाग के ‘इलेक्ट्रिक सर्किट सिस्टम’ में कुछ समय के लिए व्यवधान उत्पन्न हो जाता है, जिससे मरीज को बार-बार दौरे पड़ते हैं। अभी तक 40 से अधिक प्रकार के मिर्गी के दौरे चिकित्सा शास्त्रों में दर्ज हैं। यह दौरे एकाएक पड़ते हैं, लेकिन संभावित रूप से तनाव एक ट्रिगर हो सकता है। मिर्गी के रोगी अक्सर तेज गति से जलती-बुझती रोशनी के प्रति संवेदनशील होते हैं। मिर्गी को लेकर सामाजिक भ्रांतियां- राजधानी के प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन तथा पीएमसीएच में न्यूरो विभागाध्यक्ष डॉ. एके अग्रवाल बताते हैं कि सबसे अधिक अगर किसी बीमारी को लेकर समाजिक भ्रांतियां देखने को मिलती हैं तो वह है- मिरगी। गांव से लेकर शहर तक लोग इसे भूत-प्रेत या छुआछूत का रोग मानते हैं। इस वजह से मिर्गी के रोगियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण इलाके से ज्यादातर मामले तो चिकित्सक तक पहुंच ही नहीं पाते। विशेषकर कम उम्र की लड़कियों को इस बीमारी को लेकर सबसे अधिक परेशानी झेलनी पड़ती है। शादी-व्याह जैसी चिंता को लेकर परिजन उसे छुपाये रखते हैं तथा उसका इलाज भी करवाते। किसी तरह शादी-व्याह कर दी जाती है, जहां महिलाएं घूट-घूट कर जीने को मजबूर होती है। कई महिलाएं चिकित्सक के पास पहुंचती भी हैं तो सिम्पटम छिपा-छिपा कर बताती हैं, जिसके कारण रोग का डायग्नोज करना मुश्किल हो जाता है।
कैसे होती है मिर्गी की पहचान :
मिर्गी के रोग का निदान हमेशा मुश्किल होता है, क्योंकि किसी एक टेस्ट से इसे सुनिश्चित नहीं किया जा सकता। ईईजी, ब्रेन स्कैन तथा रक्त परीक्षण आदि टेस्ट भी किये जाते हैं। जब किसी को दो या दो से अधिक बार बिना अनजान कारणों से दौरे आये, तो उन्हें तत्काल चिकित्सक से मिलनी चाहिए। मिर्गी के कारण : मिर्गी के दौरे नवजात शिशु से लेकर किसी भी उम्र में पड़ सकता है। स्कूल जाने वाली उम्र के हर 200 में से एक बच्चे को मिर्गी का दौरा पड़ता है। दस प्रतिशत बच्चों को गंभीर दौरे पड़ते हैं, जिनमें 60 प्रतिशत मामलों में कोई प्रत्यक्ष कारण सामने नहीं आता है। डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं। इनमें मुख्य निम्नलिखित हैं-
1. दिमाग में रक्तस्राव, चोट तथा गांठ या सूजन की वजह से मिर्गी की समस्या उत्पन्न हो जाती है। ऐसे मामलों में ट्यूमर या गांठ का ऑपरेशन कर इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।
2. दिमाग से संबंधित कई बीमारियां भी मिर्गी का कारण बनती हैं। इनमें मेनांजाइटिस तथा दिमाग में टीवी प्रमुख हैं। इस तरह के मिर्गी भी क्यूरेबल है तथा दवा से इसे ठीक किया जा सकता है।
3. आनुवांशिक कारण : डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि इसका इलाज कठिन है तथा इसके लिए लंबे समय तक दवाईयां लेनी पड़ती है। लेकिन इसे दवा की सहायता से तत्काल नियंत्रित किया जा सकता है। 4. डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि इसके अलावा मिर्गी का एक और भी प्रकार है- नाटकीय मिरगी। यह मिर्गी रोगियों के लिए बेहद खतरनाक है क्योंकि यही वह कारण है, जो मिर्गी को लेकर समाज में गलत भ्रांतियां फैलाता है। डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि दरअसल, पारिवारिक वजहों से कई महिलाएं झूठ-मूठ का नाटक करती हैं। परिजन जब उसे ओझा-गुणी के पास ले जाते हैं तब वह झाड़-फूंक तथा हवन बगैरह कर उस महिला को इतना परेशान कर देता है कि इससे बचने के लिए वह तुरंत ठीक हो जाती है। समाज पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे सबसे अधिक प्रभावित वे रोगी होते हैं, जो वास्तव में मिर्गी से पीड़ित हैं। परिजन भी इस बीमारी से पीड़ित बच्चे या महिलाओं को किसी चिकित्सक से इलाज कराने की जगह ओझा-गुणी के पास ले जाते हैं, जिससे उसकी समस्याएं और बढ़ जाती हैं।
मिर्गी का उपचार :
डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि इस बीमारी का इलाज आज पूरी तरह संभव है और इसके लिए कई दवाइयां भी उपलब्ध है। लेकिन सबसे अधिक आवश्यकता है - जागरूकता की। उन्होंने कहा कि लगभग 60-70 प्रतिशत मिर्गी पूरी तरह ठीक किया जा सकता है, जबकि अन्य मामलों में इसे दवा की सहायता से नियंत्रित किया जा सकता है। इसलिए परिजनों को तत्काल चिकित्सक से इलाज कराना चाहिए। डॉ. अग्रवाल बताते हैं कि मिर्गी के दौरे के दौरान मरीज को सबसे पहले सुरक्षित रखना जरूरी है, क्योंकि दौरे के बाद मरीज एकाएक झटके से गिरता है जिससे उसके सिर में चोट लग सकती है। उन्होंने कहा कि दौरे पड़ने पर मरीज को बैठाये नहीं, उसे करवट के बल लिटा दें। उसके मुंह से झाग निकलता है तो उसे निकलने दें तथा यह ध्यान रखें कि उसकी श्वास नली जाम नहीं हो। मरीज को जूता सुंघाना, पानी का छींटा मारना, छाती दबाना तथा मुड़ी घुमाना खतरनाक है। आमतौर पर यह देखा जाता है कि किसी व्यक्ति को दौरे के बाद लोग चारों तरफ से उसे घेर लेते हैं। इससे मरीज की समस्या बढ़ सकती है। प्रयास यह होना चाहिए कि दौरे के बाद मरीज को अधिक से अधिक आराम दिया जाए(प्रमोद कुमार,राष्ट्रीयसहारा,20.6.11)।
मिर्गी पर कुछ बेहद उपयोगी आलेख राम राम भाई वाले वीरूजी के ब्लॉग पर उपलब्ध हैं जिन्हें इस लिंक पर देखा जा सकता है।
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आपने सच कहा है कि समय से इलाज कराएं तो काफ़ी लाभ हो सकता है।
जवाब देंहटाएंपाताल लोक में कैसे पहुंचेगी हिंदी ब्लॉगिंग ? - Dr. Anwer Jamal
अच्छा काम कर रहें हैं आप .ऐसी जानकारी की भारत को निरंतर ज़रुरत .राम राम भाई पर मनो रोगों के बारे में हिंदी में विस्तृत जान कारी उपलब्ध है ,एपिलेप्सी (अपस्मार के बारे में भी ,पुरानी पोस्टों को आके खंघालिये ,यहाँ से जो भी सामग्री उपयुक्त लगे शौक से उठाइए )धन्यवाद .अच्छी आलेख के लिए बधाई .
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी ।
जवाब देंहटाएंमिर्गी और मेलिंग्रिंग में फर्क अक्सर डॉक्टर को ही पता चल पाता है ।
अक्सर मिर्गी का कोई कारण नहीं होता ।
अच्छी जानकारी ।
जवाब देंहटाएंबहुत काम की जानकारी देते हैं आप..
जवाब देंहटाएंअभी कोपी करता हूँ, औरों को भी बताना है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी !
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