राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ संस्करण में 13 जून,2011 को प्रकाशित एक रिपोर्ट कहती है कि तकनीक द्वारा खर्राटों से हमेशा के लिए निजात मिल सकती है। यह दावा है डा. पंकज श्रीवास्तव का। पंकज ईएनटी अस्पताल व रिसर्च सेन्टर श्रंगारनगर,आलमबाग,लखनऊ के प्रमुख, डा. पंकज श्रीवास्तव ने पिछले दिनों एक पत्रकार वार्ता में बताया कि कोबलेशन तकनीक से इलाज कराने के बाद खर्राटों से शत प्रतिशत छुटकारा पाया जा सकता है। डा. पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि कोबलेशन अत्याधुनिक तकनीक है। इस तकनीक से मरीज के साफ्ट पैलेट ऊतक और जीभ के भारी उतकों को सिकोड़ा अथवा हटा दिया जाता है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक के उपयोग से पहले मरीज की कम्प्यूटरीकृत मशीन से ‘स्लीप स्टडी’ की जाती है। इससे मरीज की कैफियत का पता चल जाता है। स्लीप स्टडी के बाद अगर मरीज के नाक, नाके पीछे वाले भाग और गले आदि में अधिक ब्लाकेज मिलते हैं तो फिर सर्जिकल उपचार की विभिन्न तकनीकों की सहायता से खर्राटों को खत्म किया जाता है। डा. पंकज ने बताया कि दोनों तकनीकों की सहायता से मरीज के गले के पीछे की ऊतक हटाई जाती है और नाक व जबड़े को नया आकार दिया जाता है। इससे जीभ वायुमार्ग अवरुद्ध करना बंद कर देती है। उन्होंने बताया कि बाजार में खर्राटे दूर करने के लिए ‘कोन्टिनोसिस पाजिटिव एयरवे प्रेशर और बीआईपीएपी’ उपकरण तो उपलब्ध हैं। इनसे मरीजों को नींद में असन से राहत तो मिलती है, लेकिन इनके उपयोग से मरीज बेचैन हो जाते हैं और उनको सिरदर्द, त्वचा में जलन और पेट में सूजन की शिकायत रहती है। इसके अलावा इन उपकरणों से मरीजों को नाक बहने और नाक में रक्त जमाव की भी शिकायते भी सामने आयीं हैं। उन्होंने बताया कि कोबलेशन ऊष्मा चलित प्रक्रिया नहीं है। इसके उपयोग से मरीजों के स्वस्थ्य ऊतको को संरक्षित किया जाता है। इसमें मात्र दस मिनट का समय लगता है और मरीज एक से चार हफ्तों में खर्राटों से सुधार महसूस करने लगता है। उन्होंने बताया कि यह अस्पताल प्रदेश का पहला अस्पताल हैं जहां खर्राटों का शतप्रतिशत इलाज होता है।
नोटःसंलग्न आलेख नई दुनिया,जून द्वितीयांक,2011 में प्रकाशित है।
डाक्टर साहेब इलाज का खर्चा तो बताइए कहीं खर्राटे के चक्कर में नन्द ही ना उड़ जाये?
जवाब देंहटाएंक्या यह तकनीक सेहत के लिए सेफ है ?
जवाब देंहटाएंखर्राटे दूसरोंकी नींद में भी बाधा डालते है !
बहुत बढ़िया जानकारी आभार !
सुनील जी, सही कह रहे हैं.
जवाब देंहटाएंकमाल है ये तो
जवाब देंहटाएंअगर खर्चा भी बताया होता, तो बढिया होता।
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ब्लॉग समीक्षा की 20वीं कड़ी...
आई साइबोर्ग, नैतिकता की धज्जियाँ...
उपरोक्त महत्वपूर्ण जानकारी को साझा करने हेतु आपका आभार व्यक्त करता हूँ,
जवाब देंहटाएंखर्राटे वास्तव में बड़ी समस्या है । इसे निज़ात पाना ही चाहिए । achchhi जानकारी ।
जवाब देंहटाएंsir nice information ...publicity is necessary among people .
जवाब देंहटाएंभाई साहब हम खर्राटों की अनदेखी नहीं कर रहें हैं फिर चाहे भगवा हो या सफ़ेद लिबास से क्या फर्क पड़ता है .
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