सोमवार, 9 मई 2011

एंटीबायोटिक दवाओं का कम हो रहा है असर

एंटीबायोटिक दवाओं के असर नहीं करने की समस्या आम हो चुकी है। आए दिन छोटी सी बीमारी पर चिकित्सक की सलाह लिए बगैर मेडिकल स्टोर से एंटीबायोटिक खरीदकर खा लेना लोगों की आदत सी बन गई है।

यही कारण है कि एंटीबायोटिक का इस तरह से बेवजह हो रहा उपयोग डॉक्टर्स के साथ-साथ मरीजों के लिए समस्या बन गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि एंटीबायोटिक दवाओं के अधिक सेवन से धीरे-धीरे दवाओं का शरीर पर असर होना कम हो जाता है, जोकि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

इलाज हो रहा है महंगा

आईएमए ,नागपुर के पूर्व अध्यक्ष डॉ.बी.के शर्मा के मुताबिक लोग ऑमोक्सीसिलेन, सेफ्ट्राइजोन जैसी एंटीबायोटिक का ज्यादा उपयोग कर रहे हैं, ऐसे में अब इलाज के समय ये एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया रजिस्टेंट होता है।

इनके बैक्टीरिया पर काम नहीं कर पाने से चिकित्सकों के पास एंटीबायोटिक के विकल्प तो कम हुए ही हैं साथ में इलाज भी महंगा हो गया है, जिसका बोझ मरीजों की जेब को परेशान कर रहा है।

मजबूरन चिकित्सकों को मैरूपैनम, टीकोप्लेनिम, टेजीसाइक्लिन, लीनेजोलिड जैसी महंगी एंटीबायोटिक का उपयोग करना पड़ रहा है।

मरीज हो जाते हैं आदी

सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के प्रभारी डॉ.सुधीर गुप्ता के अनुसार अधिक एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने से बीमारी के कीटाणुओं पर दवा का असर कम हो जाता है। व्यक्ति एंटीबायोटिक लेने की स्टेज से पहले ही इतनी एंटीबायोटिक दवा का सेवन कर चुका होता है, जिससे बॉडी एंटीबायोटिक की आदी हो चुकी होती है।

जब एंटीबायोटिक दवा की जरूरत होती है तब तक उस दवा का असर रोगी के शरीर पर कम होता है। इसके लिए फिर नई व महंगी दवा का प्रयोग किया जाता है।



डब्ल्यूएचओ ने चेताया

मेडिकल कालेज के सामाजिक औषधि एवं रोग प्रतिबंधक विभाग के विभाग प्रमुख डॉ. अरुण हुमणो के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार एंटीबायोटिक्स के अनावश्यक उपयोग से इनका असर कम हो गया है और कई बार बड़ी बीमारी या गंभीर हालत में भी किसी भी एंटीबायोटिक के प्रभावी नहीं होने पर व्यक्ति के जीवन को खतरा पैदा हो जाता है। 

हर साल करीब 1.5 लाख लोग गम्भीर हालत में दवाओं काअसर नहीं होने से मृत्यु का ग्रास बन जाते हैं, वहीं मल्टीड्रगिंग रजिस्टेंस ट्यूबरक्लोसिस के भी करीब 4,40,000 मामले प्रति वर्ष बढ़ रहे हैं। 

क्या है एंटीबायोटिक

एंटीबायोटिक को एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस भी कहा जाता है। एंटीबायोटिक शरीर में बैक्टीरिया की बढ़ोत्तरी को धीरे-धीरे कम करते हैं, इससे शरीर में बैक्टीरिया की मौजूदगी से होने वाली बीमारी सही हो जाती है। बाजार में सौ से भी अधिक प्रकार की एंटीबायोटिक दवाएं उपयोग में आ रही हैं। 

महंगी एंटीबायोटिक

मैरूपैनम, टीकोप्लेनिम, टेजीसाइक्लिन, लीनेजोलिड

ये दवाएं हो रही नाकाम

ऑमोक्सीसिलीन, सेफ्ट्राइजोन

एंटीबायोटिक दवा का सेवन करने से पहले डाक्टर की सही सलाह का अनुसरण करें। एंटीबायोटिक दवा का अधिक सेवन हानिकारक है, इसलिए एंटीबायोटिक दवा का गलत प्रयोग नहीं होना चाहिए। यदि दवा का असर नहीं हो रहा है तो कल्चर रिपोर्ट जरूर करवा लें। 

गला खराब, वायरल इंफेक्शन, खांसी, जुकाम में एकदम से एंटीबायोटिक का सेवन नहीं करना चाहिए। एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक सेवन करने से शरीर उस दवा की प्रतिरोधी हो जाती है। 
डॉ.अभिमन्यु निसवाड़े, कार्यकारी अधिष्ठाता, मेडिकल कालेज, नागपुर(राजेश यादव,दैनिक भास्कर,नागपुर,9.5.11)

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