अब जल्द ही आपके डॉक्टर या डायटिशियन किसी बीमारी में दवा की तरह मछलियों के किस्म खाने की सलाह देंगे। अलग-अलग बीमारियों में मछलियों में मौजूद पोषक गुण के हिसाब से रोगियों को सलाह देंगे कि आप इस किस्म की मछली का सेवन कीजिए। इंडियन कॉसिंल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक खांका तैयार किया है जिसके अनुसार यह बताया जाएगा कि किस बीमारी में कौन सी मछली का सेवन किया जा सकता है। आईसीआर के विभिन्न सेंटरों के वैज्ञानिकों ने इसके लिए हिमालय क्षेत्र में पाई जाने वाली कुछ मछलियों के उसके पोषक तत्व के महत्व के हिसाब से एक रूपरेखा भी तैयार की है । कोल्ड वाटर फीसरीज रिसर्च के प्रमुख पी. सी. महंत ने बताया कि विभिन्न मछलियों के उसके पोषक तत्व के महत्व के अनुसार वर्गीकृत करने से डॉक्टरों या डायटिशयनों को यह सुविधा दी जाएगी कि किस मछली का प्रयोग दवा की तरह किस बीमारी में किया जाए । उन्होंने कहा कि भारत के कई हिस्सों में खासकर सुदूर क्षेत्रों में मछली आसानी से तथा सस्ता मिलने वाला खाद्य पदार्थ है । देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिहाज से मछलियों का यह वर्गीकरण नया आयाम खोल सकता है। कई अध्ययनों के आधार पर आईसीआर के वैज्ञानिकों ने हिमालय क्षेत्र में पाई जाने वाली मछलियों की पांच प्रजातियों को चिह्नित किया है। ये प्रजातियां हैं- गोल्डन महशीर, चॉकलेट महशीर, रैनबो ट्राउट, स्नो ट्राउट और कॉमन कार्प(नई दुनिया,नैनीताल,8.5.11)।
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जवाब देंहटाएंhttp://www.bharatyogi.net/2011/04/4-2011.html
आभार इस जानकारी के लिये।
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