चिकित्सा विज्ञान के शोधों से मालूम होता है कि दिल के रोगों से मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। एड्स, टीबी, मलेरिया, मधुमेह, सभी प्रकार के कैंसर और श्वास रोगों से मरने वाले मरीजों से कहीं ज्यादा मौतें दिल की बीमारियों से होती हैं। दिल की बीमारी के लक्षण घातक दौरा पड़ने से पहले ही दिखाई देने लगते हैं, लेकिन लोग इसे नजरंदाज करते हैं।
हमारा हृदय विशेष प्रकार की मांसपेशियों से बना होता है। ये मांसपेशियाँ हमारे मानव शरीर में सबसे कठिन कार्य करने वाली मांसपेशियाँ होती हैं। हमारे शरीर में छाती के बीचों-बीच हृदय स्थित होता है। दोनों हाथों को कटोरानुमा बनाकर मिलाने से जो आकार बनता है, करीब उतना आकार ही एक विकसित मानव के हृदय का होता है। हमारा हृदय एक मिनट में ८० बार और एक दिन में १,१५,००० बार धड़कता है, यानी पूरे सालभर में ये ४.२ करोड़ बार धड़क चुका होता है। एक साधारण जीवनकाल में हमारा हृदय ३ खरब से भी ज्यादा बार धड़कने के साथ ही करीब १ अरब बैरल के बराबर खून पंप करता है। दौड़भाग, खेलकूद के समय तो दिल को अधिक परिश्रम करना पड़ता ही है, शरीर के आराम की स्थिति में भी इसका काम कम नहीं होता। जाहिर है कि इतना काम करने वाले दिल की देखभाल भी अच्छी ही होना चाहिए।
हृदय कैसे काम करता है?
हृदय में चार चेंबर होते हैं- दो एट्रियम, जो हृदय में खून वापस लेते हैं और दो वेट्रिकल होते हैं, जो शरीर में खून पंप करते हैं। हमारे पूरे शरीर में एट्रिया और वेन का जाल बिछा होता है। मुख्य धमनी हृदय से शरीर के अन्य अंगों में खून लेकर जाती है। रक्त नलिकाएँ शरीर के अन्य अंगों से खून को हृदय में पहुँचाती है। हृदय में चार वॉल्व होते हैं, जो खून को पीछे जाने से रोकते हैं। हर वॉल्व रक्त को आगे तो जाने देता है, लेकिन पीछे आने से रोकता भी है।
इलेक्ट्रिकल सिस्टम
हृदय की धड़कन को नियंत्रित करने के लिए एक इलेक्ट्रिकल सिस्टम होता है। मोटे तौर पर देखा जाए तो हृदय मांसपेशी का बना पंप होता है, जिसे काम करने के लिए एक ऊर्जा स्रोत की जरूरत होती है। हृदय को रक्त पंप करने की यह शक्ति इसी इलेक्ट्रिकल सिस्टम से मिलती है।
दिल की मुख्य धमनी
हमारे शरीर के प्रत्येक अंग को कार्य करने के लिए खून की जरूरत होती है। सभी अंगों को खून पंप करने का काम हृदय करता है, लेकिन हृदय की मांसपेशियों को खून पहुँचाने का काम मुख्य धमनी करती है। यह दो भागों में होती है। मुख्य धमनी के इन्हीं दोनों भागों के ठीक से काम नहीं करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। जैसे हृदय को खून न मिलना, इससे आगे चलकर हृदयाघात भी हो सकता है। यही व्यक्ति की मृत्यु का कारण भी बन जाता है।
मुख्य धमनी की बीमारियाँ
मुख्य धमनी के अंदर की सतह पर चर्बी के जमने से दिल की बीमारियों की शुरुआत होती है। चर्बी का इस तरह से जमना बचपन से ही शुरू हो सकता है। समय के साथ जमावड़े की यह प्रक्रिया निरंतर चलती जाती है। इसी के कारण मुख्य धमनी का घेरा कम होता जाता है, जिससे रक्त नलिका का आकार सँकरा हो जाता है। कई बार रक्त प्रवाह पूरी तरह थम जाता है और यही हृदयाघात होता है। सीने में दर्द- एंजाइना पेन कहे जाने वाले इस दर्द की गंभीरता लक्षणों पर निर्भर करती है। हो सकता है कि दिल की बीमारी के मरीज में सीने में कभी कोई दर्द न हुआ हो या वैसा कोई लक्षण नहीं दिखा हो, लेकिन इसकी वजह से कुछ मरीजों को हृदय में कभी हल्का तो कभी तेज दर्द महसूस होता है। जब ऑक्सीजन मिश्रित रक्त हृदय को पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता तो सीने में दर्द होता है, जिसे "एंजाइना" कहते हैं। जब हृदय को रक्त मिलना पूरी तरह बंद हो जाता है, तब हार्ट-अटैक होता है।
साइलेंट अटैक भी होते हैं
कुछ मरीजों को हार्ट-अटैक आने के बाद भी कोई लक्षण नहीं दिखते। उन्हें कुछ मालूम ही नहीं चल पाता है, इसे "साइलेंट हार्ट अटैक" कहते हैं। मधुमेह के मरीज़ों में इसका खतरा अधिक रहता है। दिल की बीमारियों के आ रहे लक्षणों को पहचानिए। लक्षणों को पहचानकर उनका निराकरण कराना भी महत्वपूर्ण है। इसके अलावा वार्षिक हेल्थ चेकअप भी नियमित रूप से कराएँ।
इसे आजमाएं-
-लहसुन की 10 कलियों को 250 मिलीलीटर दूध में डालकर अच्छी तरह से उबाल लें। इसे छान लें। लहसुन की कलियों को खाकर ऊपर से दूध पी लें। हृदयाघात के मरीज़ों के लिए यह उपाय बहुत कारगर होता है।
-दालचीनी का एक छोटा टुकड़ा एक कप पानी में उबाल लें। पानी आधा रह जाने पर इसमें आधा चम्मच शङद मिलाकर पिएं। चाय में भी दालचीनी का छोटा टुकड़ा उबाल सकते हैं(डॉ. विनीत पांडे,सेहत,नई दुनिया,मई 2011 द्वितीयांक)।
sarthak post jankari se bhari , abhar
जवाब देंहटाएंthanks for great knowledge.
जवाब देंहटाएंआभार इस जानकारी के लिये।
जवाब देंहटाएंJankariparak post....
जवाब देंहटाएंSahi kaha aapne.
जवाब देंहटाएं............
खुशहाली का विज्ञान!
ये है ब्लॉग का मनी सूत्र!