सोमवार, 23 मई 2011

निमोनिया

स्ट्रेप्टोकॉकस न्यूमोनाई (न्यूमोकॉकस) की वजह से होने वाले ब्रॉंकोन्यूमोनिया और श्वसन मार्ग में होने वाले रोगों के समूह को न्यूमोकॉकल रोग के नाम से जाना जाता है। बच्चों में विशेषतः २ वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों में अति सामान्य रूप से पाए जाने वाला गंभीर स्वरूप का यह रोग संक्रमण है। इस न्यूमोकॉकल रोग के कीटाणु की वजह से मेनिंजाइटिस (मस्तिष्कावरण शोथ), निमोनिया (फेंफड़ों का संक्रमण), सेप्टीसीमिया और मध्यकर्ण शोथ जैसे रोग हो सकते हैं।

क्या है यह रोग

न्यूमोकॉकल मेनिंजाइटिस : यानी मस्तिष्क और मेरुरज्जू पर पाए जाने वाले आवरण के शोथ को कहते हैं। मस्तिष्क और मेरुरज्जू हमारे शरीर के ऐसे संवेदनशील अंग हैं, जो हमारी भावनाओं और सोचने-समझने की शक्ति जैसी महत्वपूर्ण क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।

मेनिंजाइटिस के परिणाम कभी-कभी गंभीर स्वरूप में सामने आते हैं। कभी-कभी तो इससे स्थायी अपंगता जैसे कर्णबधिरता, पक्षाघात, मानसिक मंदता का खतरा रहता है, यहाँ तक कि इससे मृत्यु भी हो सकती है। बुखार, सुस्ती आना, उल्टियाँ होना, गर्दन या पैरों में अकड़न आना आदि इसके लक्षणों में शामिल हैं। रक्तप्रवाह में सूक्ष्म जीवाणु का प्रवेश होने के कारण जब रक्त संदूषित होता है, तब उसे बेक्टेरीमिया या विषमय रक्तदोष कहा जाता है। इसकी वजह से भी मेनिंजाइटिस हो सकता है। बेक्टेरीमिया के लक्षणों में बुखार, चिड़-चिड़ापन, जल्द साँस लेना, ठीक से काम नहीं कर पाना आदि शामिल हैं। निमोनिया को फेफड़ों का संक्रमण भी कहा जाता है। इसके लक्षणों में खाँसी, छाती में कफ भरना, नाक और गले में कफ आना और कँपकँपी के साथ बुखार आना शामिल है। यह रोग काफी तेज़ी से उभर जाते हैं, इसीलिए शुरुआती अवस्था में ही इनकी पहचान और जल्द से जल्द उपचार होना अत्यंत आवश्यक होता है।

कितना संघातिक?

न्यूमोकॉकल रोग कम समय में ही गंभीर रूप ले सकता है, जिसकी वजह से पूर्ण रूप से कर्णबधिरता, मस्तिष्क हानि और मृत्यु तक हो सकती है। न्यूमोकॉकल रोग की वजह से जीवनशैली पर व सम्पूर्ण परिवार पर प्रभाव प्रतिघात होता है। बीमार बच्चे की सेवा के लिए समय,डॉक्टर के पास लगाए गए चक्कर,काम की जगह आपकी अनुपस्थिति,स्तिति बिगड़ने पर बच्चे को अस्पताल में दाखिल कराने जैसी तकलीफों के साथ मानसिक तनाव भी झेलना पड़ता है।


बचाव और उपचार

मेनिंजाइटिस और सेप्टीसीमिया बहुत जल्द ही बढ़ जाते हैं। इसीलिए बिना देर किए इन रोगों का उपचार तुरंत किया जाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इन रोगों के उपचार में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है और अगर यह उपचार सही समय पर किया जाए तो ही अधिक प्रभावशाली होता है। कुछ जीवाणु एंटीबायोटिक्स का प्रतिकार करने वाले होते हैं। अतः ऐसे में रोगी को अस्पताल में भर्ती करने की ज़रूरत पड़ती है। बहुत से देशों में एंटीबायोटिक्स का उपचार उतना प्रभावशाली नहीं रहा है। इस वजह से न्यूमोकॉकल रोगों के प्रति चिंता बढ़ती जा रही है। आप अपने बच्चों को क्रमाणुगत टीकाकरण द्वारा न्यूमोकॉकल रोगों से बचा सकते हैं(डॉ. के. के. अरोरा,सेहत,नई दुनिया,मई 2011 द्वितीयांक)। 

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