रुई की काड़ी से कान साफ करने की कोई जरूरत नहीं है। इससे कान का मैल और अंदर जाने से कान में दर्द रहने के साथ ही सीटी की आवाज भी सुनाई देने लगती है। दरअसल कान के अंदर की बनावट और कार्यप्रणाली ऐसी है कि वह स्वयं अपनी देखभाल कर लेता है। साफ सफाई भी स्वतः हो जाती है। कान की नली से तेल और मोम निकलता है, जो धूल कणों को कान के और अंदर जाने से रोकता है। बाद में यही वसा मैल के रूप में अपने आप कान से बाहर निकल जाता है। इस तरह तेल और मोम कान को सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं।
जब हम कान को साफ करने की कोशिश करते हैं तो मोम को पीछे की ओर धकेल देते हैं, जिससे यह पीछे इकट्ठा हो जाता है। कुछ अर्से बाद कान में मैल का थक्का अंदरूनी दीवार पर चिपक जाता है। इससे सुनने की क्षमता कम हो जाती है और हमेशा एक सीटी की आवाज सुनाई देने लगती है। कुछ लोग नहाने के बाद तौलिए से कान को अंदर तक पूरी तरह सुखा लेना चाहते हैं। यह भी गलत है, क्योंकि कान अपने आप सूख जाता है। आप चाहें तो हेअर ड्रायर से इसे सुखा सकते हैं।
जैतून का तेल डालने से भी सख्त हो चुका मोम ढीला पड़ जाता है। इसी तरह विशेषज्ञ भी कान में डालने के लिए किसी ड्रॉप की सिफारिश कर सकते हैं। कई मामलों में कान का मैल बाहर निकालने के लिए विशेषज्ञ की सेवाएँ लेना पड़ती हैं।
कान में खुजली
मैल के कारण कान में खुजली की शिकायत हो सकती है। कान में एक्जिमा या सोरायसिस भी हो सकता है, जिसकी वजह से लगातार खुजली चलती है और बेचैनी रहती है। खुजली को शांत करने के लिए कुछ लोग सेफ्टीपिन,माचिस की काड़ी,ऑलपिन या पैंसिल की नोंक का इस्तेमाल करते हैं। ये सभी वस्तुएं कान को स्थायी क्षति पहुंचा सकती हैं। अक्सर तैरते समय कान में पानी भर जाता है जिससे सुनाई देना बंद हो जाता है। कान की नली इसकी वजह से सूजकर सिकुड़ जाती है और दर्द रहने लगता है। सुनने में दिक्कत होने लगती है और अक्सर कान में से मवाद जैसा पदार्थ निकलता रहता है। इस स्थिति में नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक हो जाता है।
सनबर्न...
कान की लौ का ऊपरी हिस्सा सूर्य के तेज प्रकोप को झेलता है। नर्म और मुलायम होने की वजह से यहाँ की त्वचा सूर्य के ताप और अल्ट्रा वायलेट किरणों के घातक प्रभाव से लगभग जल जाती है। त्वचा का कैंसर भी कान को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। ध्यान रहे कि धूप में निकलते समय कानों के ऊपरी हिस्से पर सनस्क्रीन जरूर लगाएँ। सिर पर ऐसा हैट पहने जिससे कान भी पूरी तरह ढँक जाएँ।रु ई की काड़ी से कान साफ करने की कोई जरूरत नहीं है। इससे कान का मैल और अंदर जाने से कान में दर्द रहने के साथ ही सीटी की आवाज भी सुनाई देने लगती है। दकान में मैल जम जाना एक बहुत आम समस्या है। लगभग हर दूसरे मरीज की कान में मैल जम जाने के कारण सुनने की क्षमता कम हो जाती है। अक्सर यह समस्या कान कुरेदने और रुई की काड़ी से साफ करने की कोशिश के कारण खड़ी होती है। काड़ी से मैल कान के और अंदर सरक जाता है, जिससे समस्या गंभीर हो जाती है।
इन्हें भी आजमाएँ
-कान में दर्द हो रहा हो तो उसमें हाइड्रोजन पैरॉक्साइड की कुछ बूँदें डालें। इससे कान में जमा मैल निकल जाएगा। यदि कान के दर्द की वजह इंफेक्शन हुआ तो यह भी इससे ठीक हो जाएगा।
-हल्के गर्म जैतून के तेल की कुछ बँूदें कान में डालने से दर्द में राहत मिलती है।
-हल्की नमी वाले कपड़े को गर्म करके प्रभावित कान पर रखें। कपड़े की गर्माहट से दर्द में राहत मिलेगी।
-चुइंग-गम खाएँ। चुइंग गम चबाने से दर्द की वजह से कान पर पड़ने वाला दबाव कम होने से राहत मिलेगी।
-प्याज को बफाकर उसका रस निकाल लें। ड्रॉपर की मदद से इसकी कुछ बूंदें कान में डाल लें।
संक्रमण के कारण होने वाले कानदर्द में सिरका बहुत काम आता है। साफ पानी और सफेद सिरका को बराबर मात्रा में मिला लें। इसकी बूंदें कान में डालने से आराम मिलेगा।
लहसुन का रस या तुलसया के पत्तों का रस भी डाला जा सकता है।
(डॉ. समीर निवसरकर,सेहत,नई दुनिया,मई 2011 द्वितीयांक)
एक बहुत ही अच्छी और उपयोगी जानकारी दी आपने। अभी तक तो हम कान खोद-खोद कर यह ग़लती करते ही रहते थे
जवाब देंहटाएंकान जैसे नाजुक अव्यव के लिये सुझाव युक्त सार्थक जानकारी!!
जवाब देंहटाएंअच्छी और उपयोगी जानकारी
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारी !!
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारी
जवाब देंहटाएंBahut achhi jaankari di aapne thanks.....
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