शुक्रवार, 20 मई 2011

गर्मियों में सिर की जूएं

स्कूली लड़कियों के सिर में गर्मियों के मौसम में अक्सर जूएँ हो जाती हैं। जूएँ सिर के बालों में रहती हैं और वहीं से पोषण ग्रहण करती हैं। ये बेहद संक्रामक होती हैं और बहुत आसानी से एक से दूसरे तक पहुँच जाती हैं।

सिर की जूएँ चपटी होती हैं और इनमें पंख नहीं होते। यह २ से ४ मिलीमीटर तक लंबी हो सकती हैं। आमतौर पर पक्के काले रंग की जूएँ सिर के बालों की जड़ों से चिपकी रहती हैं। खून चूसने वाले ये कीड़े दिन में कई बार सिर की त्वचा को छेद कर अपना आहार ग्रहण करते हैं। सिर की त्वचा के करीब रहकर जूएँ शरीर की गर्मी और नमी भी प्राप्त करती हैं। एक वयस्क जूँ अपने जीवनकाल में बहुत सारे अंडे देती हैं। कई बार जूएँ होने पर कोई लक्षण सामने नहीं आता। जूएँ होने के प्रत्यक्ष लक्षण यह हैं कि बच्चा दिन में कई बार जोर-जोर से सिर खुजाता है। कई बार बच्चों के सिर में लाल रेशे पड़ जाते हैं। कान के पीछे का हिस्सा जूँ के निवास का सबसे पसंदीदा स्थल है।

कारण और जोखिम

अक्सर जूँ के संक्रमण को सिर की गंदगी से जोड़कर देखा जाता है, जबकि ऐसा नहीं है। संक्रमित लड़की के नजदीकी संपर्क में आने से ही संक्रमण लगता है। अक्सर संक्रमित द्वारा इस्तेमाल किए रूमालों, कंधों को बिना साफ किए वापरने से संक्रमण लगता है। अक्सर पूरा परिवार एक के बाद एक जूँ के संक्रमण का शिकार हो जाता है।


कैसे करें इलाज

नहाने के बाद बारीक कंघी से जूँ और लीखें तलाश करें। पूरे परिवार के सदस्यों को भी ऐसा करने के लिए कहें। सिर में खूब सारा कंडीशनर लगाकर बारीक कंघी से साफ करें। इनसे पूरी तरह छुटकारा पाने के लिए इस कीड़े की लाइफ साइकल को समझना जरूरी है, ताकि इलाज की अवधि पूरी कर सकें। अंडे जिद्दी होते हैं और सख्त इलाज के बावजूद नहीं निकलते। इसलिए वयस्क जूँओं का इलाज करने के बाद पुनः ७-८ दिन बाद रिपीट करना भी जरूरी है। इस अवधि में अंडे निकल आते हैं। याद रखें कि इलाज पूरे परिवार के सदस्यों का किया जाना चाहिए, क्योंकि एक सदस्य के सिर में जूएँ रह गईं तो फिर सभी को संक्रमण लग सकता है(डॉ. अप्रतिम गोयल,सेहत,नई दुनिया,मई द्वितीय,2011)।

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