बुधवार, 6 अप्रैल 2011

शिशु का आहार

प्रथम साल में शिशु का विकास व वृद्धि किसी भी अन्य समय की अपेक्षा अधिक होती है। यह वह समय होता है, जब उसका वजन तीन गुना व लंबाई डेढ़ गुना होती है। साथ ही बच्चे का शारीरिक विकास जैसे बैठना, चलना, दौड़ना आदि होता है। यही वह समय होता है जब माता-पिता में शिशु के खान-पान की शुरुआत को लेकर सबसे अधिक जिज्ञासा व चिंता रहती है। इसी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है शिशु को वीनिंग फूड अथवा कॉम्पलिमेंटरी फूड शुरू करना।

क्या होता है वीनिंग
वीनिंग का मतलब होता है शिशु को माँ के दूध के साथ अन्य आहार देना। यह प्रक्रिया सामान्यतः छः माह पर शुरू की जाती है।

क्या जरूरी है वीनिंग
शुरू के छः महीने में बच्चे की सभी जरूरतों की पूर्ति माँ के दूध से हो जाती है। छः माह बाद सिर्फ माँ के दूध से शिशु की खुराक पूरी नहीं होती है। उसे जरूरी विटामिन्स जैसे (विटामिन ए व सी) तथा मिनरल जैसे आयरन की पूर्ति के लिए अन्य आहार पर निर्भर रहना पड़ता है।

शुरुआत कैसे करें
*६-८ माह आहार ऐसा होना चाहिए जिसे बच्चे आसानी से पचा सकें एवं कम एलर्जिक हो। एक तरह के आहार में सूजी की खीर, पका हुआ केला, अन्य मौसमी फल जैसे पका हुआ पपीता, आम, चीकू उबला व पका हुआ आदि शामिल हैं। ८-१० माह पर धीरे-धीरे आप शिशु को अधिक गाढ़े पदार्थ दे सकते हैं। अब शिशु को मैश (मसला हुआ) किया खाने की बजाय छोटे टुकड़े में किया खाने दें तो बेहतर है। अब आप अपने बच्चे को मसली हुई दाल,सब्जी,खिचड़ी,चपाती आदि के टुकड़े दे सकती हैं।

छह माह बाद

* दालें,जैसे कि मूंग,मसूर आदि गलाकर अच्छी तरह मसल कर दें।
* उबली हुई सब्जियां,जैसे-मटर,गाजर,पत्तागोभी,आलू आदि दें। इन्हें उबले हुए पानी में ही मसल लें। साथ ही,हल्का नमक और घी,मक्खन आदि का उपयोग कर इन्हें अधिक स्वादिष्ट बना सकते हैं।
* चपाती के टुकड़े को दूध,दही,दाल आदि में भिगोकर दे सकते हैं।
* खिचड़ी में बारीक कटी हुई सब्जी आदि डाल सकते हैं।
* कार्बोहाईड्रेटयुक्त खाना,जैसे-खिचड़ी,उपमा,सूजी की खीर,साबूदाना,खीर,दलिया,उबला आलू,चावल आदि दें।
* उबला हुआ पानी ठंडा कर लगभग आधा से पौन किलो दूध।
* साइट्रस फ्रूट,जैसे-मौसंबी,संतरा आदि।

दस माह बाद
* आपका बच्चा घर में बना हुआ सभी खाना खा सकता है। बच्चे को देने से पहले इन आहारों के छोटे-छोटे टुकड़े कर दें या मसल दें।
* तीन से चार बार कार्बोहाईड्रेटयुक्त खाना,जैसे-खिचड़ी,दाल,दलिया,आलू आदि दें।
* एक बार प्रोटीनयुक्त खाना-मीट,फिश,अंडा अथवा दाल दे सकते हैं।
* एक-दो बार वसायुक्त आहार,जैसे-पनीर,दूध,दही आदि दे सकते हैं।


ध्यान दें
*पहले एक समय में एक आहार से शुरू करें। इससे आपको यह पता लगेगा कि बच्चे ने इसे पसंद किया है या नहीं। यदि पसंद है तो इसे चार से पाँच दिन लगातार दें फिर कोई नया आहार दें। यदि पसंद नहीं है तो उसे छोड़ दें। कुछ दिनों बाद फिर कोशिश करें। 

*बच्चे को हमेशा ताजा बनाया हुआ आहार दें। 

*कुछ बच्चे स्वेच्छा व शीघ्रता से खा लेते हैं जबकि अन्य अधिक समय लगाते हैं। अपने शिशु को जबरदस्ती खिलाने की बजाय उसकी इच्छा का ध्यान रखें। 

*बाजार में तैयार आहार जैसे सेरेलेक आदि दे सकते हैं किंतु सुविधाजनक होने के सिवाय इनका कोई विशेष लाभ नहीं है। 

*९ माह से ५ वर्ष की आयु होने तक शिशु को लगभग आधा लीटर दूध देना आवश्यक है। 

५ वर्ष से कम आयु के बच्चे को मलाईयुक्त दूध ही दें। सप्रेटा (क्रीम निकला हुआ दूध) में पर्याप्त ऊर्जा नहीं होती है। 

*आठ-नौ माह बाद शिशु का आहार ऐसा हो कि उसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फैट, विटामिन, मिनरल्स तथा अन्य पौष्टिक पदार्थ बराबर मात्रा में मिलें। इसके लिए यह जरूरी है कि शिशु के आहार में विविधता हो। 

*शिशु को ऐसा आहार न दें, जो बच्चे के गले में अटक सकते हैं जैसे काजू, मूँगफली, पॉपकॉर्न, अंगूर आदि।
(डॉ. अमित वंग,सेहत,नई दुनिया,मार्च द्वितीयांक 2011) 

6 टिप्‍पणियां:

  1. आप लाभदायक जानकारी देते हैं और मुझे कमेन्ट भी .
    आज आपके ब्लॉग का लिंक 'ब्लॉग कि ख़बरें ' ब्लॉग पर लगाया जा रहा है .
    http://blogkikhabren.blogspot.com/

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  2. nice कृपया comments देकर और follow करके सभी का होसला बदाए..

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