शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

माइग्रेन

माइग्रेन क्यों होता है हालांकि इसका सही-सही कारण पूर्णत: ज्ञात नहीं है किंतु यह माना जाता है कि मस्तिष्क की रक्त धमनियों में सिकुडऩ और उसके बाद फैलाव के कारण जो गड़बड़ होती है उससे देखने में तकलीफ होती है और सिर में भयंकर दर्द होने लगता है।
लक्षण
माइग्रेन आम सिर दर्द से भिन्न होता है और इसका लक्षण अलग-अलग रोगियों में अथवा अलग-अलग दौरे में भिन्न हो सकता है। फिर भी साधारण सिर दर्द और माइग्रेन की भिन्नता को समझने के लिए यह स्मरण रहे कि माइग्रेन में आधे सिर में दर्द होता है, जो एक आंख के ऊपर या सिर के पीछे होता है। इसके साथ ही मिचली आना, धुंधली दृष्टि, रोशनी और शोर न बर्दाश्त कर पाना आदि लक्षण जुड़े होते हैं। कभी-कभी रोगी का शरीर कांपता है, चक्कर आता है, बोलने में तकलीफ होती है तथा अजीब-अजीब दृश्य देखने जैसा एहसास होता है।
खतरा :
माइग्रेन एक तकलीफदेह बीमारी जरूर है लेकिन खतरनाक नहीं। माइग्रेन के अटैक के दौरान कोई भी वाहन चलाना खतरनाक हो सकता है क्योंकि उस समय दृष्टि स्पष्ट नहीं रहती और दूरी तथा दिशा का सही अंदाजा कर पाना मुश्किल होता है। जिन्हें पहले माइग्रेन की शिकायत नहीं थी यदि उन्हें बार-बार भयंकर सिरदर्द होने लगे तो डाक्टर की राय लेनी चाहिए। यह निश्चय कर लेना चाहिए कि सिर में रक्त का थक्का जमने या ट्यूमर जैसे भयंकर कारणों से तो यह सिर दर्द नहीं है।
इलाज :
एलोपैथी दवाओं से साइड इफेक्ट होता है, अत: बिना चिकित्सक की राय के कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए। अटैक के प्रारंभिक चरण में जठर ठीक से काम नहीं करता, अत: दर्दनाशक दवाएं लेने से पहले मिचली और उल्टी की संभावना को रोकने की दवा लेनी चाहिए।
परहेज :
माइग्रेन का सबसे अच्छा इलाज परहेज है। यह जानने के लिए आपको माइग्रेन का अटैक क्यों हुआ, एक डायरी रखें जिसमें अटैक से पहले के चौबीस घंटे में लिये गये भोजन तथा तनावपूर्ण बातों को लिखें। इससे आप यह जान जाएंगे कि कौन-सा भोजन लेने या न लेने से आप बीमार होते हैं। यदि आंखों की थकान के कारण ऐसा हो तो अपने चश्मे का पावर चैक कराएं। अत्यधिक थकान, भीड़, दमघोटू जगह आदि के कारण माइग्रेन हो इनसे बचें। तनाव से बचें। घरेलू जीवन, व्यक्तिगत संबंध, नौकरी पेशा की उलझनों से उत्पन्न तनाव से माइग्रेन हो जाता है। अत: ऐसी स्थितियों से बचें जिससे मानसिक दबाव न आए। हल्के व्यायाम या योगाभ्यास से भी शरीर में स्फूर्ति आती है और तनाव कम होता है। नियमित मेडिटेशन भी लाभप्रद होता है।
अटैक के दौरान
बिना तकिये के बिस्तर पर सीधे लेटें। कमरे में शोरगुल या आवाज न हो, रोशनी बुझा दें। सिर, गर्दन, कंधे, पीठ और पेट में हल्का मसाज किया जाये तो आराम मिलता है। नाक तथा सिर के प्लस प्वाइंट तथा कनपटियों के पीछे उंगलियों से दबाने से दर्द से अस्थायी छुटकारा मिल सकता है। यदि माइग्रेन मानसिक तनाव के कारण है तो मन में दबी हुई बातों को तुरंत किसी से कहें। पूरी सांस खींचें और पूर्ण विश्राम लें। सिर में हथौड़ा पीटने जैसा दर्द हो तो बर्फ के टुकड़े या ठंडे पानी की पट्टी सिर पर रखें, इससे राहत मिलेगी। कुछ लोगों को माइग्रेन आनुवांशिक होता है। इसका कोई स्थायी निदान नहीं है, किंतु परहेज और एहतियात से उसे नियंत्रण में रखा जा सकता है। माइग्रेन मुख्यत: निम्र कारणों से होता है-
*चाकलेट, पनीर या शराब के सेवन के बाद शरीर में मौजूद ‘एमीन’ का स्तर बढ़ जाता है। यह एमीन रक्त धमनियों को प्रभावित करता है, जिससे भयंकर सिर दर्द हो जाता है।
*मानसिक तनाव से।
*ब्लड शूगर का स्तर अत्यंत कम होना। बहुत देर तक भूखे रहने या अत्यधिक मीठा या चर्बीयुक्त भोजन करने से भी ऐसा हो सकता है।
*धुआं भरे बंद कमरे में रहने से।
*गर्म शुष्क हवा के प्रभाव से।
*मोनो एमीनो एंजाइम की कमी के कारण मासिक धर्म के समय शरीर में होने वाले हार्मोन परिवर्तन से तथा गोलियों से प्राप्त हार्मोन के कारण।
*माइग्रेन से ग्रस्त लोगों का ब्लड प्रेशर बढऩे या सिर अथवा गर्दन में हल्की चोट लगने पर भी माइग्रेन हो जाता है।
*कुछ खास किस्म के भोजन के बाद कुछ लोगों को माइग्रेन हो जाता है(मनोज अबोध,दैनिक ट्रिब्यून,28.4.11)।

5 टिप्‍पणियां:

  1. मैं खुद इस समस्या से काफ़ी समय से ग्रस्त हूं राधारमण जी ,,,,,ये तो जानता था कि इसका इलाज नहीं है हां ये नहीं गौर किया था कि माइग्रेन के अटैक से पहले कुछ खास बातें नोट करने से इसे कम किया जा सकता है ..बहुत काम की जानकारी दी आपने

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  2. आपने यह बहुत ही अच्‍छी जानकारी दी है ... इस प्रस्‍तुति कि लिये आभार ।

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  3. apki jankri kai leya badhai rajendra kashayap eklavyashakti.com

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