मेडिकल लीगल रिपोर्ट तैयार करने वाले सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों को अब रिपोर्ट के पीछे अपना पूरा नाम, पता और टेलीफोन नंबर लिखना होगा। रोहिणी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव अग्रवाल की अदालत ने दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) को नोटिस जारी कर दिशा-निर्देश जारी करने को कहा है। अदालत ने प्रधान सचिव को सभी सरकारी अस्पतालों को पत्र भेज कर दिशा-निर्देश जारी करने को कहा है। हत्या की चेष्टा के एक मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने उक्त फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि अक्सर ऐसा देखा जाता है कि मेडिकल लीगल रिपोर्ट तैयार करने वाले सरकारी अस्पतालों में तैनात सीनियर व रेजिडेंट डॉक्टर कुछ समय बाद नौकरी छोड़ कर कहीं और चले जाते हैं। कभी-कभी मेडिकल लीगल रिपोर्ट में बनाए गए हस्ताक्षर को भी पहचाना मुश्किल हो जाता है। उससे मामले की सुनवाई के दौरान गवाही के लिए डॉक्टर को बुलाना मुश्किल हो जाता है। डॉक्टर की गवाही न हो पाने के कारण अदालती प्रक्रिया में विलंब हो जाता है। ऐसे में यह जरूरी है कि डॉक्टर रिपोर्ट पर न केवल अपना स्पष्ट हस्ताक्षर बनाएं बल्कि उस पर पूरा नाम, पता व संपर्क नंबर भी लिखे। मंगोलपुरी थाने में 2007 में हत्या की चेष्टा के मामले में रवि व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। घायल मोंटी की मेडिकल लीगल रिपोर्ट संजय गांधी अस्पताल में तैयार की गई थी, लेकिन जिस डॉक्टर ने रिपोर्ट तैयार की थी, वह फिलहाल अस्पताल में तैनात नहीं है। ऐसे में अदालत की ओर से नोटिस जारी किए जाने के बावजूद वह गवाही के लिए नहीं पहुंच रहा है। उसकी गवाही के बिना अदालती प्रकिया आगे नहीं बढ़ पा रही है(दैनिक जागरण,दिल्ली,11.4.11)।
कुछ महीनों बाद ये फैसला आता तो सही रहता.
जवाब देंहटाएं— क्यों भई क्यों?
— है कोई बात!!!