अब एंटीबायोटिक दवा खरीदने के लिए दो पर्चियां अनिवार्य होंगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध इस्तेमाल पर अंकुश लगाने के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है।
हालांकि प्रस्ताव को ड्रग टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (डीटीएबी) से मंजूरी मिलनी बाकी है। एंटीबायोटिक दवाओं के बेतहाशा इस्तेमाल पर लगाम कसने के लिए यह कवायद की जा रही है।
संभालनी होगी पर्ची :
प्रस्ताव के मुताबिक स्वाइन फ्लू की तर्ज पर एंटीबायोटिक दवाओं के लिए भी केमिस्ट को डॉक्टर की पर्ची संभालकर रखनी होगी।
ऐसा न करने पर 20 हजार रुपए का जुर्माना या दो साल की जेल का प्रावधान रखा गया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत एच-एक्स नाम से एक नया शिड्यूल बनाया जाएगा।
इसमें वे ही दवाएं शामिल की जाएंगी, जो बाजार में अधिक बिकती है। ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत एक साल तक बेची गई एंटी बायोटिक दवाओं का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य होगा। मरीजों को दवा के लिए दो पर्चियां रखनी होगीं। इसमें एक दवा खरीदते समय केमिस्ट को देनी होगी। दूसरी मरीज के पास रहेगी।
डब्ल्यूएचओ का नया निर्देश
बिना डॉक्टर की सलाह से बार-बार दवा लेने (सेल्फ मेडिकेशन) से मरीज की सेहत बिगड़ सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने देश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को मेडिकल स्टोर्स पर बिना डॉक्टर की पर्ची के दवा नहीं बेचने की सलाह दी है।
रायपुर जिले के सीएमओ डॉ. जीके सक्सेना ने बताया कि अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कई बीमारियों के मरीज ड्रग रेजिस्टेंट हो गए हैं। इसकी वजह लोगों द्वारा बिना डॉक्टरी सलाह के ज्यादा शक्तिशाली एंटीबायोटिक व अन्य दवाएं लेना है। इससे बैक्टीरिया ड्रग रेजिस्टेंट हो जाते हैं।
दवा का असर न होने पर मरीज जब डॉक्टर के पास इलाज कराने जाता है तो वहां भी दवाओं से आराम नहीं मिलता। डॉक्टर को जब मरीज की बीमारी का पता चलता है, तब तक बीमारी बढ़ चुकी होती है। इसका खामियाजा मरीजों को महंगा इलाज कराकर भुगतना पड़ता है।
मनमर्जी पर लगेगी लगाम
ड्रग कंट्रोलर के. सुब्रमण्यम के मुताबिक नया एच-एक्स शिड्यूल (टीबी, नींद व नशे में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं) बनने से मेडिकल स्टोर वालों को प्रिसक्रिप्शन की प्रति रखना अनिवार्य होगा।
इससे लोगों में डॉक्टर की सलाह के बगैर फार्मासिस्ट से दवा खरीदने (सेल्फ मेडिकेशन) पर रोक लगेगी। एंटी बायोटिक दवाओं को समय पर और डॉक्टर के बताए अनुसार नहीं लेने से उनका असर कम हो जाता है।
अनावश्यक प्रयोग व गलत डोज से बैक्टीरिया में उस दवा के प्रति रेजिस्टेंट की समस्या भी सामने आती है। हर साल करीब पांच दवाएं अपना प्रभाव खो देती हैं। इसके विपरीत इतनी ही नई दवा बाजार में आ जाती है।
536 दवाओं की होगी कलर कोडिंग
केंद्र सरकार सभी 536 एंटीबायोटिक दवाओं को कलर कोड देने की तैयारी कर रही है। इससे दवा के ओवरडोज या उसके दुरुपयोग से बचा जा सकेगा। दवा की विषाक्तता के आधार पर कलर कोडिंग होगी। केंद्र एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस पालिसी बनाने की तैयारी भी कर चुका है।
"मेडिकल स्टोर्स वाले बिना पर्ची की दवा नहीं बेच सकते। बिना पर्ची के दवा बेचने वाले मेडिकल स्टोर्स की पहचान की जानी है, लेकिन स्टाफ कम होने के कारण निरीक्षण दल बनाने में दिक्कत आ रही है"-डॉ. जीके सक्सेना, सीएमओ रायपुर जिला(पीलूराम साहू,दैनिक भास्कर,रायपुर,11.4.11)
bina matlab ka jhanjhat...
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