अभी तक तंबाकू सेवन के कारण कैंसर जैसी घातक बीमारी पर बहस हो रही थी लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि तंबाकू खाने वालों की धमनियां सिकुड़ रही हैं। इसका खुलासा एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों के शोध से हुआ है। शोधकर्ताओं ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि दिल के मरीजों को तंबाकू का सेवन न करने की नसीहत देना डॉक्टर भी भूल जाते हैं। दिल पर तंबाकू के असर को लेकर किए जाने वाला यह पहला शोध है। एम्स के शोध को अमरीकन जर्नल ऑफ कार्डियोवास्कुलर ड्रग्स में प्रमुखता के साथ स्थान दिया गया है।
देश में तंबाकू सेवन करने वालों की तादाद सबसे ज्यादा है। आंकड़ों के अनुसार एक तिहाई भारतीय युवा धूम्रपान करते हैं। जबकि आधे तंबाकू या इसके अन्य रूपों का सेवन करते हैं। लगभग सात लाख लोग तंबाकू के कारण प्रति वर्ष मरते हैं। आम लोगों में यह धारणा बनी हुई है कि धूम्रपान के कारण दिल के रोग का खतरा बढ़ता है। जबकि तंबाकू के सेवन करने वालों में यह खतरा समान रूप से उपस्थित है। एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. बलराम भार्गव के नेतृत्व में डॉ. सिवासुब्रमण्यिन रामकृष्णन, डॉ. राजेंद्र थंगजम, डॉ. अंबुज राय, डॉ. संदीप सिंह, डॉ. लक्ष्मी रामकृष्णन, डॉ. संदीप सेठ, डॉ. राजीव नारंग ने तंबाकू का सेवन करने वाले औसत ५१ वर्ष के १२ पुरुषों पर तंबाकू के असर का अध्ययन किया गया। इनमें से दो मधुमेह से पीड़ित थे जबकि छह हाईपरटेंशन के और चार एंजाइना के शिकार थे। एंजियोग्राफी के समय सभी लोगों को एक ग्राम तंबाकू के पत्ते चबाने के लिए दिए गए। डॉ. बलराम भार्गव ने बताया कि मात्र दस मिनट के अंदर दिल की धमनियों का व्यास ३.१७ मिलीमीटर से घटकर २.७९ मिलीमीटर हो गया। तंबाकू का असर १२ से १३ मिनट में चरम पर पहुंच गया। उन्होंने बताया कि धमनियां सिकुड़ने के कारण धड़कन प्रति मिनट ६८ से बढ़कर ८० पर पहुंच गई। साथ ही, कार्डिएक आउटपुट ३.८ से बढ़कर ४.७ पर पहुंच गया। तंबाकू के असर का पता लगाने के लिए एक घंटे तक शोध किया जाता रहा। तंबाकू में मौजूद निकोटिन रक्त में शामिल होकर दिल तक पहुंच जाता है और दिल के काम करने पर ज्यादा भार दे देता है। खास बात यह है कि तंबाकू की लत के शिकार जब डॉक्टर के पास जाते हैं तो उन्हें तंबाकू छोड़ने की सलाह देना डॉक्टर भूल जाते हैं(अमर उजाला,दिल्ली,27.4.11)।
umda post
जवाब देंहटाएंतम्बाकू वालों होशियार।
जवाब देंहटाएं---------
देखिए ब्लॉग समीक्षा की बारहवीं कड़ी।
अंधविश्वासी आज भी रत्नों की अंगूठी पहनते हैं।