शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

बवासीर का प्राकृतिक इलाज़

शौच जाते समय गुदा द्वार पर सूजन/दर्द या खून बहने पर बवासीर का भय होना स्वाभाविक है। ऐसी अवस्था में हम तुरंत दवा, इंजेक्शन अथवा ऑपरेशन का सोचते हैं, परंतु ऐसा करने से क्या रोग जड़मूल से हमेशा के लिए समाप्त हो सकता है? जब तक शरीर में बवासीर का रोग मौजूद रहेगा, तब तक बार-बार यह तकलीफ होती रहेगी। इस रोग में दवा, इंजेक्शन अथवा ऑपरेशन क्षणिक आराम भले ही दे सकते हों, लेकिन स्थायी नहीं।

किन कारणों से हो सकती है
अप्राकृतिक जीवन-यापन के कारण शरीर का पूरा पाचन तंत्र कमजोर होने से कब्ज का बना रहना ही इस रोग का मुख्य कारण है। कब्ज के कारण आँतों में "मल" की सड़न से गर्मी बढ़ जाती है, जिसके कारण आँतें कमजोर हो जाती हैं। गुदा मार्ग में संचित मल इस स्थान की नसों में आकर सूजन पैदा कर देता है, सूजन के कारण "मल" निष्कासन मार्ग संकुचित हो जाता है तथा "मल" सूख जाने से खुश्क हो जाता है और इसकी रगड़ से सूजी हुई नसें फट जाती हैं, जिसमें से खून निकलता है।

क्या लक्षण दिखाई देते हैं?
गुदा द्वार की बाहरी अथवा भीतरी नसों में सूजन आ जाती है, जिससे शौच जाने में दर्द या खुजली होती है। धीरे-धीरे इस खुजली/जलन की जगह गाँठ बन जाती है, जिन्हें मस्से कहते हैं। जब ये मस्से फूटते हैं तो खून निकलता है, इसे खूनी बवासीर व रक्तहीन बवासीर को बादी बवासीर कहते हैं।

क्या परहेज करें?
मैदे के सभी पदार्थ, तला-भुना, मिर्च, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, कोल्ड्रिंक, माँसाहार, बासी भोजन, मद्यपान, धूम्रपान आदि।

पेट रखें साफ
*बवासीर पेट खराब होने के कारण सामने आती है। यह बीमारी गरीब और अमीर के बीच भेद नहीं करती। खानपान की खराब आदतों के कारण हाजमा बिगड़ जाता है। इसका सीधा असर आँतों पर पड़ता है। बवासीर एक पीड़ादायक बीमारी है।

*ग्वारपाठे का गूदा खाली पेट खाने से खूनी बवासीर में आराम मिलता है। पेट की अग्नि शांत होती है। प्रभावित क्षेत्र में गूदा लगाने से तत्काल दर्द में राहत मिलता है।

*पेट रोगों से निजात पाने के लिए कुछ दिन तक फल और सब्जियों का सेवन किया जा सकता है। अन्न का त्याग करते हुए केवल फल और सब्जियाँ खाएं, इससे हाजमा दुरुस्त होगा और आँतों में रुका हुआ मल भी बाहर आएगा। रेशेदार आहार मल को नर्म कर देता और कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।

*बवासीर के मरीजों को पर्याप्त व्यायाम करना चाहिए। योगासन और पेट की माँसपेशियों से संबंधित आसन आँतड़ियों की कार्य प्रणाली में सुधार कर सकते हैं।

कुनकने पानी के टब में बैठकर कटिस्नान करें। इससे प्रभावित क्षेत्र में रक्त संचार तीव्र होगा और दर्द में राहत मिलेगी।

प्राकृतिक उपचार (प्रतिदिन)
*पेडू पर मिट्टी की पट्टी आधा घंटा तत्पश्चात।
*पेडू पर ठंडे पानी की सूती लपेट आधा घंटा।
*ठंडे पानी का कटि स्नान १५-२० मिनट।
*गुदा पर ठंडे पानी का नैपकीन आधा घंटा।
*खूनी बवासीर में हरी बोतल का सूर्यतप्त जल ५० ग्राम सुबह, दोपहर, शाम भोजन के पूर्व लें और बादी बवासीर में नारंगी रंग की बोतल का जल ५० ग्राम, इसी प्रकार दिन में तीन बार लें।

यौगिक क्रियाएँ
*उत्तानपादासन, पवन मुक्तासन, मत्स्यासन विपरीत करणी, सर्वांगासन, भुजंगासन, अर्धशलभासन, पश्चिगोतासन।

*उड्डियान बंध : खड़े होकर घुटनों पर हाथ रखकर आगे की ओर झुकना, फिर श्वास को बाहर निकालकर बाहर ही रोककर रखना तथा पेट को भीतर सिकोड़कर यथाशक्ति रोकना (५-६ बार)।
*अश्विनी मुद्रा : गुदा के संकुचन और प्रसारण का अभ्यास (कम से कम २५ बार)।

आहार : 
*आहार ही औषधि है और आहार ही रोगों का कारण है, इस सूत्र को ध्यान में रखते हुए।
*प्रातः ८ बजे-बेलफल का शर्बत।
*दोपहर ११ से १२ भोजन-चौकर सहित मोटे आटे की रोटी, मौसम की हरी ताजी सब्जियाँ (बिना मिर्च-मसाले की), सलाद, दही अथवा ताजी छाछ।
*दोपहर ३-४ बजे-मौसम के ताजे फल।
*शाम ६-७ बजे भोजन-मिक्स वेजिटेबल का सूप, दलिया अथवा खिचड़ी (मूँग की दाल व चावल की)।
*रात्रि ९-१० बजे शयन।

नोट- शयन के पूर्व एक चम्मच आँवला पावडर अथवा इसबगोल।
(सुभाष सिंघवी,सेहत,नई दुनिया,दिल्ली,मार्च,तृतीयांक 2011)।

7 टिप्‍पणियां:

  1. .

    बेहद उपयोगी जानकारी. आजकल आहार-विहार बिगड़ जाने पर अधिकांश को यह रोग हो रहा है.
    आपने प्राकृतिक उपचार बताकर मेरे पिता को प्रसन्न कर दिया.
    वे कुछ सप्ताह तक नियमित ग्वारपाठे का उपयोग करके इसे पूरी तरह समाप्त कर चुके हैं.
    दैनिक-चर्या उनके जैसे नहीं है किसी की, फिर भी चट-पटे खाने के शौक ने उन्हें यह रोग लगा दिया था लेकिन उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति ने रोग के प्रारम्भ में ही उसे नियंत्रित कर लिया.

    त्रुटि सुधार :
    'पश्चिमोत्तान' आसन करें

    .

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  2. मुझे 1 बार बवासीर हो चूका है 1 माह ही हुआ है क़ि सुधार आया है। इसके लिए बहुँत-बहुँत धन्यवाद्

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  3. मुझे 1 बार बवासीर हो चूका है 1 माह ही हुआ है क़ि सुधार आया है। इसके लिए बहुँत-बहुँत धन्यवाद्

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