शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

हृदयरोगियों के लिए सभी राज्यों में लगेंगे आवासीय योग शिविर

केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने हृदय रोगियों के उपचार के लिए सभी राज्यों में आवासीय शिविरों का आयोजन करने जा रहा है। इसके तहत हृदयरोगी को अपने जीवन साथी के साथ शिविरों में एक सप्ताह तक रखा जाएगा और उन्हें हृदयरोग की शल्य क्रिया से बचाने के लिए योग एवं जीवन शैली बदलने के गुर सिखाए जाएंगे। इन शिविरों में आवास, भोजन व जांच आदि पूरी तरह नि:शुल्क होगा। दरअसल यह निर्णय एम्स के वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञों के अनुसंधान की एक रिपोर्ट को योग अनुसंधान परिषद द्वारा परखने के बाद किया गया है। रिपोर्ट में यह साबित किया गया है कि योग और ध्यान से न केवल हृदयरोगी होने से बचा जा सकता है बल्कि जो लोग हृदयरोगी बन चुके हैं और उनकी धमनियों में अवरोध है तो उसे भी योग के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। एम्स के इस अनुसंधान के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने तय किया है कि भारत जैसे देश में जहां हृदयरोग का उपचार सबके वश में नहीं है वहां पर अनुसंधान रिपोर्ट के नतीजों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए राज्यों शिविर लगाए जाएंगे और इसका पूरा खर्चा केंद्र सरकार उठाएगी। इसके लिए अखिल भारतीय अणुवृत न्यास को मंत्रालय ने काम दे दिया है। यह न्यास सभी राज्यों में अपने अध्यात्म साधना केंद्रों के माध्यम से आवासीय शिविरों का आयोजन करेगा। हालांकि अभी यह काम कुछ निजी केंद्र कर रहे हैं मगर वहां पर इतना ज्यादा खर्च आता है कि वह आम आदमी की पहुंच से बाहर होता है। मगर अब सरकार ने अध्यात्म साधना केंद्रों के माध्यम से यह काम पूरी तरह से नि;शुल्क कर दिया है ताकि किसी भी व्यक्ति को हृदयरोग होने से पहले ही उसकी जीवन शैली में परिवर्तन कर उसे बचाया जा सके और जिन्हें हृदयरोग हो चुका है कि उन्हें साधना केंद्रों में योग आदि के माध्यम से रोग मुक्त किया जा सके। मंत्रालय ने यह परियोजना अध्यात्म साधना केंद्र के स्वामी धर्मानंद को सौंपी है। उनका कहना है कि इस परियोजना को फिलहाल हमने दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू कर दिया है और धीरे-धीरे इस सभी राज्यों में लागू कर दिया जाएगा। उनका कहना है कि शिविर में आने वाले मरीजों के पहले, मध्य और अंत में तीन बार रक्त व अन्य जांच होती है। मरीजों में काफी अंतर मिलता है। इन शिविरों में मरीज के परीक्षण का काम एम्स के हृदयरोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एससी मनचंदा की देखरेख में किया जाता है। न्यास के ट्रस्टी शांति कुमार जैन का कहना है कि हृदयरोग के उपचार में यदि इस परियोजना को हम पूरे देश में लागू कर ले गए तो शल्य चिकित्सा दर को काफी कम करने में सफल हो जाएंगे(ज्ञानेंद्र सिंह,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,31.3.11)।

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