बुधवार, 9 मार्च 2011

गुर्दे पर हिंदी में विश्व की पहली वेबसाइट

विश्व किडनी दिवस पर देश के लाखों किडनी मरीजों के लिए यह सचमुच एक बहुमूल्य तोहफा है। माना जा रहा है कि किडनी को लेकर जागरुकता फैलाने में यह वेबसाइट बहुत प्रभावी भूमिका निभाएगी। यह वेबसाइट राजकोट (गुजरात) के समर्पण अस्पताल के जाने माने नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी रोग विशेषज्ञ) डॉ. संजय पांड्या ने तैयार की है।

किडनी एक ऐसा अंग है जो खराब हो जाए तो उसका इलाज बहुत ही कठिन एवं बेहद खर्चीला होता है। इसलिए सबसे अच्छा तरीका है कि हम किडनी को खराब ही न होने दें। मधुमेह की दुनिया की राजधानी होने की वजह से भारत में किडनी पर भारी खतरा है। बचाव के लिए किडनी के बारे में जागरुकता जरूरी है । दस मार्च को किडनी विश्व दिवस है। डॉ. पांड्या ने बताया है कि www.kidneyinhindi.com नामक इस वेबसाइट में हिंदी भाषा में किडनी की बीमारियों एवं उनसे बचाव पर आधारित एक मात्र किताब "सुरक्षा किडनी की" को अपलोड किया गया है। इस वेबसाइट पर २०० पन्नों की यह किताब मुफ्त में पढ़ी जा सकती है। डॉ. पांड्या ने किडनी के २४ वर्ष के इलाज के आधार पर इस पुस्तक एवं वेबसाइट को तैयार किया है। हिंदी के साथ साथ यह वेबसाइट गुजराती भाषा में भी है।

पिछले सप्ताह दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय हीमो डायलिसिस सोसायटी की चौथी कांग्रेस में आए विशेषज्ञों की आम राय भी यही थी कि भारत जैसे देश में किडनी के रोग से बचाव ही एक मात्र रास्ता है। डायलिसिस के खर्च को देखते हुए किडनी की सुरक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इंडियन सोसायटी आफ हीमोडायलिसिस के सचिव एवं सर गंगाराम अस्पताल के जाने माने नेफ्रोलॉजिस्ट डा. डी एस राणा ने भी विश्व किडनी दिवस के अवसर पर किडनी के रोग से बचाव का आह्वान किया है। उन्होंने कहा है कि अगर किडनी खराब हो जाए तो एक महीने में ही डायलिसिस का खर्च (२० से २५ हजार रुपए) जितना आता है, उसे वहन करना आम आदमी के बस के बाहर की बात है। इसलिए किडनी को लेकर जागरुकता फैलाना बेहद जरुरी है(नई दुनिया,दिल्ली,9.3.11)।

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