मंगलवार, 1 मार्च 2011

अब अंग प्रत्यारोपण पड़ेगा महंगा

आम बजट में एक तरफ जहां देश की सेहत सुधारने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में बढ़ोत्तरी की घोषणा हुई है। वहीं हाई फाई अत्याधुनिक सुविधा संपन्न अस्पतालों पर दस फीसदी का सेवा कर लगा दिया गया है। जिसका सीधा असर मरीजों पर पड़ेगा। इतना ही नहीं डायग्नोसिस प्रक्रिया पर कर लगाने से इलाज महंगा होगा। वर्तमान में स्वास्थ्य बीमा के दायरे में आने वाले मरीजों को वैट देना पड़ता है। सरकार के इस कदम का सबसे ज्यादा असर अंग प्रत्यारोपण कराने पर पड़ेगा।

दुनिया में स्वास्थ्य क्षेत्रों के लिए सकल घरेलू उत्पाद का बीस फीसदी तक आवंटन किया जाता है जबकि भारत में यह मात्र एक फीसदी के आसपास ही रहता है। इसी से सबक लेते हुए केंद्र सरकार ने पिछले साल के स्वास्थ्य बजट में बीस फीसदी की बढ़ोत्तरी करते हुए इस साल कुल 26760 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। जोकि सकल घरेलू उत्पाद का लगभग दो फीसदी है। स्वास्थ्य बजट में बढ़ोत्तरी से इस क्षेत्र से जुड़े लोगों में खुशी तो है लेकिन 25 से ज्यादा बिस्तरों वाले एसी युक्त सभी निजी अस्पतालों पर दस फीसदी का सेवा कर लगा दिया गया है। जिसका सीधा असर मरीजों पर पड़ेगा। गुर्दे, लिवर, पैनक्रियाज आदि का प्रत्यारोपण खर्च लगभग दो लाख रुपये तक महंगा हो जाएगा। यानी लिवर प्रत्यारोपण कराने का खर्च बीस लाख से बढ़कर बाईस लाख, गुर्दे प्रत्यारोपण के लिए पांच लाख रुपये के बदले छह लाख, हार्ट की बायपास सर्जरी का खर्च तीन लाख से बढ़कर चार लाख रुपये हो जाएंगे।
अपोलो अस्पताल समूह के अध्यक्ष डॉ.प्रताप सी.रेड्डी ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अस्पतालों व डायग्नोस्टिक प्रक्रिया पर लगाए गए कर निश्चित रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र पर असर डालेगा। नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाने से लोग बचेंगे। जिसके कारण मधुमेह, हार्ट, स्ट्रोक जैसे गैर संचारी रोग बढ़ेंगे। रॉकलैंड अस्पताल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के सदस्य व एम्स के पूर्व निदेशक प्रो.पी.के.दवे का कहना है कि निजी अस्पतालों पर लगाए गए टैक्स से पहले से मरीजों का दबाव झेल रहे सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का और दबाव बढ़ेगा। जबकि 80 फीसदी स्वास्थ्य सुविधा निजी क्षेत्र उपलब्ध कराते हैं। यदि सरकार निजी क्षेत्रों को राहत नहीं देती है तो कम से कम कर का बोझ न बढ़ाए। मैक्स हेल्थकेयर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.परवेज अहमद का कहना है कि कर लगाने का वित्त मंत्री का फैसला बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। स्वास्थ्य क्षेत्र पिछले कुछ माह से तबाही झेल रहा है। अरब देशों में अफरा तफरी मची हुई है। जिसका असर कच्चे तेल के आयात पर पड़ेगा और महंगे तेल का असर स्वास्थ्य क्षेत्र को भी प्रभावित करेगा। डॉ.के.के.अग्रवाल का कहना है कि अस्पताल व जांच प्रक्रिया पर लगाए गए टैक्स का सीधा असर मरीजों पर पड़ेगा। लोग निजी अस्पतालों में इलाज करवाने से कतराएंगे(अमर उजाला,दिल्ली,1.3.11)।

2 टिप्‍पणियां:

एक से अधिक ब्लॉगों के स्वामी कृपया अपनी नई पोस्ट का लिंक छोड़ें।