प्लेटलेट्स सात दिन संरक्षित रखने वाले सोल्युशन को लखनऊ के चिकित्सा विविद्यालय की डा. तूलिका चन्द्रा ने खोज लिया है। अभी तक प्लेटलेट्स को पांच दिन तक ही संरक्षित रखा जाता है। इस खोज को अधिकारिक रूप से चिकित्सा विविद्यालय के नाम करने के लिए क्लीनिक टेस्ट के लिए खाद्य और औषधि विभाग को भेज दिया गया है। चिकित्सा विविद्यालय ने अब होल ब्लड (पूरा खून) देने की बजाय मरीज की आवश्यकता के अनुसार उसके अवयव प्लाजा, प्लेटलेट्स व आरबीसी देना शुरू कर दिया है। इसमें प्लेट्लेटस को खून से निकाल कर पांच दिन ब्लड बैंक में संरक्षित रखा जा सकता है, परन्तु इससे ज्यादा दिन होने पर प्लेटलेट्स की मेटाबालिज्म एक्टिवटी निष्क्रिय हो जाती है। ब्लड बैंक में सबसे ज्यादा इसी की मांग रहती है। पांच दिन से अधिक संरक्षित रखने के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग की वरिष्ठ डा. तूलिका चन्द्रा ने शोध शुरू किया। उन्होंने प्लेटलेट्स की एक्टिवटी को बूस्ट करने के लिए विभिन्न प्रकार के केमिकल सोल्यूशन का प्रयोग किया। परन्तु इसमें कोई सफलता नहीं मिली। उन्होंने बताया कि लगातार अध्ययन में प्लेटलेट्स कोशिकाओं को ज्यादा दिन तक सक्रिय रखने के लिए विभिन्न केमिकल सल्यूशन का प्रयोग चलता रहा। आखिर में कुछ विशेष केमिकल को मिलाकर सल्युशन का परीक्षण किया गया है जो सफल रहा। इसके प्रयोग से प्लेटलेट्स पांच दिन की बजाय सात दिन तक संरक्षित रखने में सफल हो गये। उन्होंने बताया कि अगर इस शोध कार्य को प्रयोग करने की अनुमति मिल जाती है तो मरीजों को बहुत अधिक फायंदा होगा। अक्सर डेंगू या अन्य मच्छर जनित बीमारी में प्लेट्लेटस का ही प्रयोग होता है और इसे अक्सर संरक्षित करना पड़ता है।
(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,1.3.11)
मरीजों को बहुत अधिक फायदा होगा।..
जवाब देंहटाएंबहुत लाभदायक रहेगा यह तो..... अच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंप्लैटेलेट्स का महत्व तब समझ में आया जब पिछले दिनों डेंगू के कारण कई मित्रो/सम्बंधियों को हस्पताल में भर्ती होना पड़ा... महत्वपूर्ण जानकारी!!
जवाब देंहटाएंबहुत जल्दी परिणाम पर पहुँचना हानिकारक हो सकता है ।
जवाब देंहटाएंअन्य चिकित्सा पद्धतियों का विकास ही इस देश में आम जनता तक स्वास्थ्य सुरक्षा पहुंचा सकता है