भारत में विकसित किए जा रहे एचआईवी के टीके के मेडिकल टेस्ट का पहला चरण पूरा हो गया है। विशेषज्ञों को इस टेस्ट के बाद इसका कोई अतिरक्त प्रभाव (साइड इफेक्ट) नहीं मिला है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. वीएम कटोच ने कहा है कि भारत में विकसित किए जा रहे एचआईवी के टीके के मेडिकल टेस्ट का पहला चरण दिसंबर 2010 में पूरा हो गया है। उन्होंने कहा कि हमें आशा है कि भारत में जितने भी प्रकार के एचआईवी विषाणु मिलते हैं, यह टीका उन सभी पर प्रभावी साबित होगा। परीक्षणों में कोई जल्दबाजी नहीं की गई है। थाईलैंड में ऐसे ही एक टीके का टेस्ट किया गया था, जो केवल 30 प्रतिशत प्रभावित रहा। हम चाहते हैं कि जो टीका बने, वह बहुत प्रभावी हो। 2008 में इंटरनेशनल एड्स वैक्सीन की पहल से इस दवा पर काम शुरू किया गया। ट्यूबरकुलासिस रिसर्च सेंटर, चेन्नई और नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ कॉलेरा और एंटरिक डिसीज, कोलकाता भी इस काम में सहयोग कर रहे हैं। देश में इस समय लगभग 25 से 30 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हैं। आईसीएमआर इस समय एचआईवी दवाओं के प्रति प्रतिरोधकता को दूर करने के तरीकों पर भी काम कर रहा है(राज एक्सप्रेस,दिल्ली,23.2.11)।
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