बुधवार, 16 मार्च 2011

पस में एंटीबायोटिक

आपने देखा होगा कि कई बार फोड़े-फुंसी होने या चोट वगैरह लगने के बाद जख्मों पर हल्के पीले-सफेद रंग का (कभी-कभी हल्का हरा-भूरा भी) द्रव जमने लगता है जिसे "पस" (मवाद) कहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हो कि यह क्यों और कैसे बनता है? आज इसी बारे में बात करते हैं। 

जब हमारे शरीर पर फोड़े-फुंसी हो जाते हैं या चोट आदि के कारण त्वचा कट-फट जाती है तो कई दफा सही तरह से देखभाल के अभाव में ऐसे खुले हिस्सों में बीमारियां फैलाने वाले बैक्टीरिया का संक्रमण होने लगते हैं। ऐसी स्थिति में इन खतरनाक बैक्टीरिया से निपटने के लिए हमारे शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली काम करने लगती है। प्रकृति ने हमारे शरीर में ऐसी व्यवस्था की हुई है कि जैसे ही इस तरह के बैक्टीरिया हमारे शरीर को हानि पहुंचाने की कोशिश करते हैं तो हमारे रक्त में मौजूद श्वेत रक्त कोशिकाएं इन बैक्टीरिया से लड़कर इन्हें खत्म करने लगती हैं।

शरीर पर घाव आदि होने पर ये श्वेत रक्त कोशिकाएं बैक्टीरिया को समाप्त करने के लिए उसके आस-पास मोर्चा संभालकर घेराबंदी करने में जुट जाती हैं। शरीर में घुस आए इन दुश्मनों को मार भगाने के लिए ऐसे स्थान पर सामान्य से बहुत अधिक मात्रा में श्वेत रक्त कोशिकाएं जमा हो जाती हैं। इस तरह, एक ओर बैक्टीरिया शरीर को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते हैं और दूसरी ओर श्वेत रक्त कोशिकाएं शरीर की रक्षा कर रही होती हैं। दोनों तरफ से जमकर "युद्ध" होता है। इस लड़ाई में बहुत-से बैक्टीरिया मारे जाते हैं और कई श्वेत रक्त कोशिकाएं भी "शहीद" हो जाती हैं। इस दौरान मारे गए बैक्टीरिया और नष्ट होने वाली कोशिकाएं पस के रूप में शरीर से बाहर आते रहते हैं। यह भी हमारे शरीर की एक खासियत है कि वह बेकार की चीजों को पसंद नहीं करता और उन्हें जल्दी से जल्दी शरीर से बाहर भेजने का प्रयास करता है। पस के मामले में भी यही होता है। बैक्टीरिया और कोशिकाओं का यह युद्ध लगातार तब तक चलता रहता है, जब तक कि फोड़े-फुंसी या घाव से सभी बैक्टीरिया का सफाया नहीं हो जाता। कई बार जब शरीर की इस प्रतिरोधक प्रणाली से भी बात नहीं बनती या बैक्टीरिया इस पर हावी होने लगते हैं तो हमें डॉक्टर की दी हुई दवाओं का सहारा लेना पड़ता है। इन एंटीबायोटिक दवाओं के प्रयोग से शरीर की प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ जाती है और शरीर बैक्टीरिया के दुष्प्रभाव से मुक्त होकर स्वस्थ होने लगता है।
(राजीव शर्मा,नई दुनिया,15.3.11)

2 टिप्‍पणियां:

  1. जैसे पानीपत के मैदान में युद्ध उपरांत अपनों व शत्रुओं की लाशों का सरोवर।

    मवाद के प्रति जगुप्सा कम हुई!! आभार!!

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