77 वर्षीय राजेश चंद्रा को हेमरेजिक स्ट्रोक हुआ, तब उनके परिवार के सदस्यों को बहुत कम उम्मीद थी कि वह सामान्य जिंदगी बसर कर सकेंगे। स्ट्रोक के कारण उनके दिमाग में रक्त का थक्का(ब्लड क्लॉट्स) बन चुका था। वह गहरी अचेतावस्था (डीप कोमा) में पहुंच चुके थे। उनके बोलने और चलने-फिरने की संभावनाएं बेहद क्षीण थीं। इस संदर्भ में इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर की कंसल्टेंट न्यूरो सर्जन डॉ. आशा बक्शी कहती हैं, दिमाग में क्लॉट बनने के कारण मस्तिष्क पर दबाब के चलते राजेश चंद्रा अपनी चेतना खो बैठे थे। उनकी स्थिति बेहद गंभीर थी। चंद्रा को हुए गंभीर स्ट्रोक और उनके लिवर की समस्या के मद्देनजर ओपेन ब्रेन सर्जरी नहीं की गयी । इसके बजाय मिनिमली इनवेसिव टेक्निक (जिसमें न्यूरो इंडोस्कोप को भी शुमार किया जाता है) के जरिये लोकल एनीस्थीसिया देकर चंद्रा के मस्तिष्क में बने क्लॉट को दूर किया गया। एक घंटे से कम वक्त में यह सर्जरी पूरी हुई। इस प्रकार चंद्रा की जान बच गयी। चंद्रा के शरीर का आधा भाग गतिशील नहीं है, लेकिन वे बोल सकते हैं और किसी भी बात को समझ सकते हैं। 15 साल पहले मेडिकल फील्ड में ऐसा चमत्कार संभव नहीं था।
कारण
हेमरेजिक स्ट्रोक तब होता है, जब मस्तिष्क की सतह पर किसी एक रक्तवाहिनी (ब्लड वेसेल) के क्षतिग्रस्त होने पर मस्तिष्क और खोपड़ी(स्कल) के मध्य स्थित स्थान(स्पेश) पर रक्त स्राव होने लगता है। इसके अलावा यह तब भी होता है, जब मस्तिष्क की कोई विकारग्रस्त धमनी (आर्टरी)फट (बर्स्ट) जाती है। इस स्थिति में धमनी के निकट स्थित टिश्यूज पर रक्त फैलने लगता है।
क्या है न्यूरो एंडोस्कोपी
न्यूरो एंडोस्कोपी या इंडोस्कोपिक न्यूरो सर्जरी, लैप्रोस्कोपिक सर्जरी या आर्थोस्कोपी से मिलती-जुलती है। न्यूरो एंडोस्कोपी के अंतर्गत कई माइक्रो सर्जिकल ऑपरेशन किए जाते हैं। यह आधुनिक तकनीक वाकई अति सूक्ष्म है, क्योंकि इसमें एक छोटा छेद (चांदी के एक सिक्के से भी छोटे आकार का) करने की जरूरत होती है, जिसके जरिये खोपड़ी(स्कल), मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी के विकारग्रस्त भाग को देखा जा सके। न्यूरो एंडोस्कोपी में एक छोटे टेलीस्कोप और हाई रिजोल्यूशन वीडियो कैमरे का प्रयोग किया जाता है। इन अत्याधुनिक उपकरणों की वजह से मस्तिष्क के उन भागों तक पहुंचा जा सकता है, जहां पर नंगी आंखों से देखना तो दूर रहा, सामान्य माइक्रोस्कोप से भी नहीं देखा जा सकता। डॉक्टर बक्शी के अनुसार टेलीस्कोप और लाइट स्कोप की मदद से हम लोग मस्तिष्क की गहन सर्जरी कर सकने में सक्षम हैं। इन आधुनिक उपकरणों से मस्तिष्क की संरचना के त्रिआयामी चित्र भी लिए जा सकते हैं।
लाभ
न्यूरो एंडोस्कोपी के कई लाभ हैं ऑपरेशन के बाद संक्रमण का जोखिम बहुत कम रहता है। मिनिमली इनवेसिव टेक्निक्स के चलन में आने के कारण अब ब्रेन सर्जरी में जोखिम कम हो गए हैं। ओपन ब्रेन सर्जरी की तुलना में न्यूरो एंडोस्कोपी में सिर में बहुत छोटा चीरा लगाया जाता है। ऑपरेशन के बाद मरीज शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करता है और वह दो से तीन दिनों के अंदर घर जा सकता है।
जटिलताएं
स्ट्रोक से पीडि़त व्यक्ति में कई जटिलताएं पनप सकती हैं। जैसे इस मर्ज से पीडि़त शख्स की सामान्य समस्या मस्तिष्क में रक्त का थक्का(ब्लड क्लॉट) जमना है। हार्ट फेल्यर होना। खाने-पीने में परेशानी महसूस होना। यह स्थिति न्यूमोनिया और कुपोषण का जोखिम बढ़ा देती है(दैनिक जागरण,चंडीगढ़,15.3.11)।
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