मंगलवार, 15 मार्च 2011

परीक्षा के दिनों में मानसिक-शक्ति संवर्द्धन

परीक्षा के दिनों में शारीरिक व मानसिक रूप से शक्तिशाली होना बहुत आवश्यक है। क्योंकि परीक्षा के माध्यम से ही विद्यार्थी के वर्ष भर की गई पढ़ाई का मूल्यांकन होता है। परीक्षा के समय विद्यार्थियों पर परीक्षा का बहुत अधिक तनाव व दबाव होता है, इस वजह से विद्यार्थी अनावश्यक दबाव में आ जाते हैं और वर्ष भर की पढ़ाई जो उन्होंने की होती है उसे भी वे तनाव व दबाव में भूल जाते हैं और इस प्रकार वर्ष भर की मेहनत पर पानी फिर जाता है।

तीव्र तनाव व दबाव के लक्षण
माँसपेशियों में खिंचाव, नींद नहीं आना, हृदय की धड़कन में अत्यधिक वृद्धि, कब्ज, सीने में खिंचाव, पेशाब की बार-बार चाहत, भोजन व सोने के समय में अत्यधिक अनियमितता, अत्यधिक दबाव का अनुभव करना, कमर दर्द, गर्दन का दर्द, सिरदर्द, पढ़ाई में मन नहीं लगना, भूल जाना, एकाग्रता में कमी, अत्यधिक तनाव का अनुभव करना विश्राम करने के बाद भी आराम का अनुभव नहीं होना, श्वास लेने में परेशानी होना, दस्त लगना, गैस की समस्या होना, अत्यधिक टीवी देखना, अत्यधिक नींद आना, पढ़ाई के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाने का भय, दिमाग में खालीपन महसूस करना, अकेलापन महसूस करना, परिवार के सदस्यों से बातचीत नहीं करना, एकांगी रहना व अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ तीव्र तनाव के प्रमुख लक्षण हैं। तनाव को समझना होगा, क्या तनाव वास्तव में नुकसानदायक है? कदापि नहीं सामान्य स्तर का तनाव हमें अच्छा करने के लिए प्रेरित करता है व हमें लक्ष्य की ओर ले जाने में मदद करता है। किंतु जब तनाव का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है तो यह मन के लिए बहुत ही घातक सिद्ध होता है व इसे विद्यार्थी की कार्यक्षमता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है और विद्यार्थी अवसाद का शिकार हो जाते हैं। किंतु यदि ऐसे समय में मन को मजबूत रखा जाए व अपने पढ़ाई पर ही ध्यान रखा जाए तो कम समय में भी अपने लक्ष्यों को निश्चित रूप से प्राप्त किया जा सकता है।

जो डर गया,समझो मर गया.....
परीक्षा का खौफ उसे होता है जिसकी तैयारी पूरी न हुई हो। आधुनिक प्रतिस्पर्धा के युग में लगभग सभी बच्चे पूरी तैयारी के बाद ही परीक्षाओं का सामना करते हैं। इन दिनों बच्चों पर परीक्षा बेहतर नतीजे लाने का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। कोई पालक ९९ से कम प्रतिशत पर समझौता करने को तैयार ही नहीं है। कई बार बच्चा सब कुछ जानते हुए भी पूरी तरह से उत्तर पुस्तिका में नहीं लिख पाता है।
यह करें-
पालकों और बच्चों को समझना चाहिए कि परीक्षा में नतीजे के तौर पर प्राप्त हुए नंबर बुद्धि का पैमाना नहीं होते। देखा गया है कि जो बच्चे सुव्यवस्थित अध्ययन करते हैं,वे परीक्षाओं में भी अच्छे नम्बर ले आते हैं। कई बार तनाव में बच्चा अच्छा परिणाम देता है लेकिन हमेशा अधिक तनाव ठीक नहीं होता। बच्चे की तैयारियों की ओर नज़र रखना महत्वपूर्ण होता है। जितनी अच्छी तैयारी होगी,बच्चे में उतना ही अधिक आत्मविश्वास होगा। बच्चे को कहें कि वह शांत रहे और तनाव को सही दिशा देने का प्रयत्न करे। एक अच्छा टाइम-टेबल बनाने में बच्चे की मदद करें। बच्चों को कहें कि वे सख्ती से टाइम-टेबल का पालन करें।
हार जाने का भय हमेशा तनाव बढ़ाता है। यह याद रखें कि दुनिया में १०० प्रतिशत कुछ नहीं होता। मानवीय भूलों के लिए हमेशा गुंजाइश रखें। सकारात्मक नजरिया रखें और चुनौतियों का सामना करने के लिएतत्पर रहें। बच्चों को बताएँ कि उन्हें परीक्षा में अपना सबसे बेहतर प्रदर्शन करके दिखाना है। परीक्षा में किसी खास दिन आपका मूड खराब भी हो सकता है। इससे निपटने की कार्ययोजना भी तैयार रखें। परीक्षाओं की तैयारियों का यह मतलब कतई नहीं होता कि नियमित रूप से देर रात तक लगातार पढ़ते रहना है। लंबे समय तक ऐसे जैसे बैठे रहने से बोरियत घर करने लगती है। इससे निपटने के लिए छोटे-छोटे अंतराल में पढ़ाई करें। समय निकालकर ब्रेक लें। केवल चाय या कॉफी से पेट भरने की कोशिश न करें। पौष्टिकभोजन होगा तो पढ़ने के लिएपर्याप्त ऊर्जा भी मिलती रहेगी। पूरे पाठ्यक्रम को एक साथ हाथ में लेने की बजाए टुकड़ों में पढ़ाई करें। जी चुराने की अपेक्षा चुनौतियों का एक-एककर सामना करें। चीनी कहावत है कि हजारों मील लंबा सफर केवल एक कदम उठाने से शुरू होता है। हमेशा पहला कदम आप को ही उठाना है। समस्याओं से मुँह न चुराएँ बल्कि उसका सीना खोलकर सामना करें। प्रकृति के खिलाफ जाने की कोशिश न करें। नींद को टालने से बात कभी नहीं बनती। नींद लें लेकिन टुकड़ों में।

आहार प्रबंधन
* संतुलित आहार का सेवन करना। भोजन में फल, सब्जी और दूध का पर्याप्त समावेश।
* 24 घंटे में 10-12 ग्लास पानी का सेवन।
* भोजन में मिर्च-मसालों का प्रयोग कम।
* फास्ट फूड या जंक फूड कदापि नहीं क्योंकि इनमें अनेक रसायन,अत्यधिक वसा और नमक होता है जो बहुत अधिक कैलोरी देते हैं। इनकी बजाए सुपाच्य आहार,जैसे-फल,सत्तू,दूध और घर में बना ताज़ा खाने को उपयोग में लाएं।
* कोल्ड ड्रिंक के स्थान पर ताज़े मौसमी फल,छाछ,लस्सी आदि का सेवन करें।
* फिंगर,आलू की चिप्स और अन्य तले हुए खाद्य पदार्थों के स्थान पर ताज़े फल ही लें।
* भोजन में रेशेदार पदार्थों को अवश्य शामिल करें। इसके लिए दलिया,खिचड़ी आदि जिसमें 75 प्रतिशत सब्जियों का समावेश होता है,सेवन करना चाहिए।
* स्वास्थ्य के लिए श्रेष्ठ आहार नियम यह है कि बिना भूख के भोजन कदापि ग्रहण न करें।
* परीक्षा के मौसम में अंगूर,संतरे,मौसम्बी,अनानास व अन्य फल आसानी से उपलब्ध रहते हैं। यदि इनका पर्याप्त उपभोग किया जाए,तो नींद में काफी कमी लाई जा सकती है। गौरतलब है कि परीक्षा के दौरान गरिष्ठ भोजन करने से नींद बहुत आती है और नींद पर नियंत्रण पाने के लिए छात्र औषधियों का प्रयोग करते हैं जिससे तात्कालिक लाभ प्राप्त होता है और नींद कम हो जाती है किंतु उसके सेवन से शरीर और मन पर अनेक दुष्प्रभाव होते हैं। यदि गरिष्ठ भोजन के स्थान पर शाम के भोजन में केवल फल और दूध का पर्याप्त सेवन किया जाए तो कम नींद से भी विद्यार्थी तरोताज़ा रह सकते हैं क्योंकि फल और दूध आसानी से पच तो जाते ही हैं,तुरंत ऊर्जादायी भी हैं। मात्र 3-4 घंटे की नींद से ही संतुष्टि प्राप्त हो जाती है।
* यदि मौसम अत्यधिक गर्म हो तो ताजी छाछ और लस्सी का सेवन शरीर और मस्तिष्क को ताज़गी और ठंडक प्रदान करता है।
* श्रेष्ठ मस्तिष्क टॉनिकः कच्ची मोटी सौंफ,बादाम और मिश्री समान मात्रा में लें। इन तीनों को अलग-अलग पीस कर मिला लें। फिर इस मिश्रण की 10 ग्राम मात्रा(1/2 चम्मच) को प्रातः व सायंकाल दिन में दो बार पानी के साथ सेवन करने से मस्तिष्क में हमेशा तरावट बनी रहती है और मानसिक थकान भी दूर हो जाती है। इस मिश्रण का लाभ मानसिक श्रम करने वाले भी पा सकते हैं। परीक्षा के दिनों में तनाव से दूर रहने के लिए यदि नियमित यौगिक अभ्यास/व्यायाम/पैदल टहला जाए तो निश्चित ही तनाव से मुक्त रह सकते हैं क्योंकि व्यायाम करने से शरीर में रक्त का संचार संपूर्ण शरीर में होता है। तीव्र गति के अभ्यास या योग नहीं कर सकते तो दिन भर में 25-30 मिनट के लिए टहलने का अभ्यास करने से शरीर में स्फूर्ति व ताज़गी का अहसास होगा।

ऐसे बढ़ाएं मानसिक शक्ति
दीर्घ श्वास का अभ्यास
प्रतिदिन दीर्घ श्वास का अभ्यास करें। श्वास भरते हुए (पूरक) १-२-३ की गिनती करें व श्वास छोड़ते हुए १-२-३-४-५-६ मन में गिनें।

तत्काल आराम प्रक्रिया
शवासन में लेट जाएँ व आती हुई श्वास व जाती हुई प्रश्वास के माध्यम से पेट को ऊपर व नीचे जाते हुए देखें। ध्यान रखें कि ना तो प्रयत्नपूर्वक पेट को ऊपर की ओर ले जाएँ ना ही पेट को नीचे ले जाने का प्रयास करें। इस स्थिति में श्वास को ना तो लेने का प्रयास करें ना ही छोड़ने का प्रयास करें। केवल साक्षी भाव से श्वास के आने व जाने को देखें।
 
सप्ताह में एक दिन मंदिर/ मस्जिद/ गुरुद्वारा/ चर्च में अवश्य जाएँ। नियमित रूप से अपने धर्म के किसी भी देवी-देवता या इष्ट के मंत्र का जाप अवश्य करें ताकि मानसिक शक्ति और अधिक मजबूत हो सके।

नियमित रूप से संकल्प लें कि "मैं भी सफल हो सकता हूँ/ हो सकती हूँ।" क्योंकि संकल्प हमेशा पूर्ण होने के लिए ही होते हैं।

योग का चौथा अंग है
-प्राणायाम । प्राणायाम के द्वारा श्वांसों को आयाम दिया जाता है। भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास किया जाए तो तनाव को सहने की क्षमता बढ़ जाती है व परीक्षा में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने की क्षमता भी पैदा हो जाती है।
 
भ्रामरी प्राणायाम की विधि
भ्रामरी प्राणायाम करने हेतु पदमासन, सिद्धासन, वज्रासन या सुखासन इनमें से कोई एक स्थिति में बैठ जाए। कान को तर्जनी अँगुली से बंद कर दें व नाक से श्वास लेते व छोड़ते समय में शब्द (भँवरे के समान) की ध्वनि करें। इस ध्वनि को ५-७ मिनट तक करें। इसे करने के बाद ५ मिनट शांत भाव से बैठें व मन को सुझाव दें कि मेरा मन शांत हो रहा है। भ्रामरी प्राणायाम तनाव को दूर करता है व मन की एकाग्रता को बढ़ाता है। जीवनशैली में परिवर्तन कर लें तो निश्चित ही परीक्षा के दिन तनाव से मुक्त होकर कठिन से कठिन सवालों का सामना कर सकेंगे।
(सुनीता जोशी,सेहत,नई दुनिया,मार्च,2011 प्रथमांक)

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