एक बीपीओ में काम करने वाले आशीष राणा ने लगातार पीठ दर्द के चलते अपनी नौकरी छोड़ दी। परेशानी इतनी बढ़ गई थी कि नौकरी छोड़ने के अलावा उसके पास और कोई चारा ही नहीं था। लेकिन स्थिति कुछ और हो सकती थी अगर आशीष ने पहले ही रोकथाम के उपाय किए होते।
विकासशील देशों में पीठ दर्द के मामले बढ़ते जा रहे हैं क्योंकि इन पर समय से ध्यान नहीं दिया जाता और लापरवाही की जाती है जिससे मामला बिगड़ जाता है। पीठ के निचले हिस्से यानी कमर का दर्द भारतीय शहरों में महामारी की तरह फैल रहा है यहाँ तक कि अब तो ग्रामीण लोग भी इससे अछूते नहीं रहे।
डिपार्टमेंट ऑफ ऑर्थोपीडिक्स, पेराप्लेजिया एंड रिहेबिलिटेशन, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसिज नईदिल्ली द्वारा एक अध्ययन किया गया जिसमें यह पता लगाने की कोशिश की गई कि वे कौन से मनोसामाजिक एवं जनसांख्यिकीय कारक है जो पीठ दर्द के बढ़ते मामलों में योगदान देते हैं। इस अध्ययन से मालूम हुआ कि जो लोग हाथ से भारी काम करते हैं उन्हें कमर का दर्द रहता है। इस इस अध्ययन से पता लगता है कि कमर दर्द का किसी व्यक्ति के पेशे से गहरा संबंध है। ऐसा काम जो बैठकर करना पड़े व जिसमें हाथों का भारी प्रयोग हो वह कमर दर्द की वजह बनता है। हम से अधिकतम लोग जीवन में कभी न कभी कमर दर्द से ग्रस्त होते हैं। इसे अनदेखा करने की हमारी प्रवृत्ति ही इसे हमेशा रहने वाला दर्द बना देती है।
अगर पीठ दर्द तीन महीनों से अधिक रह जाए तो यह क्रोनिक हो जाता है। यह दर्द निचले पंजर और कूल्हे की माँसपेशियों को प्रभावित करता है। कमर दर्द को एक मेडिकल समस्या के तौर पर देखा जाना चाहिए और इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
ज्यादातर मामलों में कमर दर्द का कारण मेकेनिकल होता है यानी इसका संबंध कैंसर या आर्थराइटिस जैसी बीमारियों से नहीं होता।
कमर दर्द के पीछे का विज्ञान जानिए
रीढ़ की हड्डी को 4 भागों में बांटा जा सकता है। कमर,जो धड़ के वज़न को सहारा देता है,सबसे अधिक दर्द इसी क्षेत्र में होता है। यदि रीढ़ ज्यादा तनावपूर्ण या संकुचित हो जाए तो एक डिस्क टूट सकती है या बाहर को उभर सकती है। यह टूटन उन 50 में से किसी भी एक स्नायु पर भारी पड़ सकती है जो रीढ़ से जुड़ी होती है और शरीर के मूवमेंट्स को नियंत्रित करती है तथा शरीर से दिमाग़ तक संकेत पहुंचाती है। स्नायु जड़ों के संकुचित होने का परिणाम होता है-पीठ दर्द। उम्र के साथ हड्डियों की ताक़त और मांसपेशियों की लोच कम हो जाती है। डिस्क अपना तरल व लोच खोने लगती है जिसके कारण रीढ़ के जोड़ को सहारा देने में अक्षम हो जाती है।
कमर दर्द होने की वजहें
*निष्क्रिय जीवनशैली : बैठकर काम करना या न्यूनतम शारीरिक गतिविधि आदि।
*भारी वजन उठाना या ज्यादा खींचतान करने से मोच आना, कमर की माँसपेशियों में मोच या खिंचाव।
*गर्भावस्था में वजन बढ़ना, शारीरिक तनाव, ठीक से न बैठना/ खड़ा होना, सही पोस्चर में नहीं सोना, इन वजहों से भी पीठ दर्द होता है।
पीठ दर्द से निजात पाने के उपाय
*दर्द निवारक जिनमें नॉनस्टीरॉयडल एंटीइंफ्लेमेटरी ड्रग्स जैसे आइबुप्रोफेन (ब्रुफेन के नाम से मशहूर) भी शामिल हैं का सेवन किया जा सकता है। इनके सेवन से कठोरता, सूजन, जलन घटती है।
*गर्म-ठंडे दबाव द्वारा दर्द व जलन से राहत मिल सकती है।
*खुद उपचार करने के ७२ घंटों बाद भी अगर दर्द व जलन में कमी नहीं आती तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
पीठ को स्वस्थ रखने के उपाय
*कोई भी व्यायाम या शारीरिक गतिविधि करने से पहले स्ट्रेचिंग करें।
*यह तय करें कि आपका वर्क स्टेशन आपके लिए सुविधाजनक ऊँचाई पर है या नहीं।
*ऐसी कुर्सी पर बैठे जिसमें पीठ के लिए अच्छा सपोर्ट हो, आपकी पोजीशन सही रहे और काम करने के लिए कुर्सी की ऊँचाई बिलकुल ठीक हो। अपने कंधे झुकाएँ नहीं और बैठने की पोजीशन बदलते रहे।
आरामदायक, छोटी हील या बिना हील के जूते-सैंडिल पहनें।
गर्भावस्था के दौरान कमरदर्द
गर्भवती महिलाओं के लिगामेंट लचीले हो जाते हैं क्योंकि शरीर प्रसव के लिए तैयारी करता है। जैसे जैसे शिशु का गर्भ में विकास होता है वैसे-वैसे रीढ़ की हड्डी पहले से अधिक टेढ़ी होती जाती है। इसके अलावा गर्भस्थ शिशु के बढ़ते वजन को संभालने का दबाव भी पीठ पर पड़ता है। पीठ की माँसपेशियों को शरीर का संतुलन बनाएरखने के लिए अतिरिक्त ताकत लगाना पड़ती है। नतीजतन पीठ के निचले हिस्से में दर्द रहने लगता है।
क्या करें :
नियमित व्यायाम करने से इस समस्या का उपचार हो जाता है। पेडू और कमर को स्ट्रेच करने वाली कसरतों के बारे में अपनी चिकित्सक से सलाह लें। यह भी पता करें कि इस तरह की कसरतें कितनी देर तक की जा सकती हैं। उदाहरण के तौर पर पीठ दर्द के लिए तैराकी एक बढ़िया कसरत मानी जाती है। तैराकी में ऊपरी धड़ का अधिक इस्तेमाल होता है,इसलिए गर्भवती महिलाओं के लिए कारगर कसरत है। इससे सीने की मसल्स की टोनिंग होती है। सोते समय दोनों पैरों के बीच एक बड़ा तकिया रखना अच्छा होता है। इससे सोते समय और पीठ पर अधिक भार नहीं पड़ता।
(डॉ. ईश आनंद,सेहत,नई दुनिया,मार्च प्रथमांक 2011)
(डॉ. ईश आनंद,सेहत,नई दुनिया,मार्च प्रथमांक 2011)
तैराकी अच्छा व्यायाम है। संभव न हो तो रोज सुबह टहलें और हाथों का व्यायाम करें।..उम्दा पोस्ट।
जवाब देंहटाएंShukriya.
जवाब देंहटाएं---------
पैरों तले जमीन खिसक जाए!
क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?
Bahut upyogi jankari...
जवाब देंहटाएंआभार जानकारी के लिए.
जवाब देंहटाएंचिकित्सा क्षेत्र में बहुत पहले महर्षि सुश्रुत, महर्षि चरक और नागार्जुन हुए जिन्होंने क्रमशः शल्य चिकित्सा, औषधीय चिकित्सा एवं भस्म चिकित्सा का आविष्कार किया। किन्तु तब भी असाध्य बीमारियों के लिए काव्य चिकित्सा की जाती थी।
जवाब देंहटाएंकाव्य के छह प्रयोजनों में एक प्रयोजन असाध्य बीमारियों से छुटकारे का भी है।
कवियों ने असाध्य रोगों के लिए स्वयं पर परिक्षण किए :
— कवि मयूर ने कुष्ठ रोग दूर किया सूर्य स्तुति द्वारा।
— कवि तुलसी ने बाहू पीड़ा दूर की 'हनुमानबाहुक' लिख कर।
...
जवाब देंहटाएंकविता के प्रतिकूल परिणाम भी काफी देखने में आयें हैं। इसलिए सावधानी भी बरती जाती रही है।
— कवि प्रसाद को प्रतिकूल परिणाम भोगना पड़ा।
— दग्धाक्षर से प्रारम्भ होने वाले काव्य ... स्वास्थय पर बुरा असर डालते रहे।
......... अब मुझे पीठदर्द का तोड़ खोजना है...
जवाब देंहटाएंक्या हो सकता है? क्या हो सकता है? ...
— क्या 'ज्ञानपीठ पुरस्कार' पाने की जुगाड़ इस दर्द से निजात दिलायेगी?
— क्या पीठमर्द नायक बनकर इस समस्या का हल खोज पाउँगा? ... मेरी बोलने की कला से तो मेरी नायिका प्रसन्न होने की बजाय कुपित अधिक हो जाती है. चुप रहने से बात बन जाती है. डांट खाते रहने से बात बन जाती है.
— जब भी कोई तार्किक विमर्श में मुझे पीठ दिखाता है तब मैं समझ जाता हूँ कि दर्द शुरू हो चुका है.
........ मैं कई ब्लोगर्स की अच्छी पोस्टों पर भी पीठ नहीं ठोंकता इसलिये कि कहीं पीठ में दर्द न हो जाये.