दवा थायराइड की, इलाज किडनी का। पढ़ने, सुनने में यह अटपटा लग सकता है लेकिन ऐसा हुआ है। यह कमाल कर दिखाया है छत्रपति शाहू जी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डॉक्टरों ने। यहां के डॉक्टरों ने एक ऐसी बीमारी ठीक की जो दुनिया में इससे पहले केवल दो लोगों को हुई थी। इस उपलब्धि को एक शीर्ष ब्रिटिश जरनल प्रकाशित करने जा रहा है। छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विवि में दुनिया का तीसरा अनोखा केस सामने आया है। ऐसा मामला जिसने चिकित्सा क्षेत्र में एक नई बहस और शोध को दिशा दे दी है। शोधकर्ताओं को सोचने पर मजबूर किया है कि थायराइड ग्रंथि की अनियमितता भी गुर्दे की बीमारी के लिए जिम्मेदार हो सकती है। मेडिसिन विभाग में डायलिसिस यूनिट का जिम्मा संभाल रहे डॉ.एमएल पटेल ने बताया कि लगभग छह महीने पहले उनके पास सीतापुर का एक मरीज रेफर होकर आया था। 45 वर्षीय श्रीपाल को गुर्दे की बीमारी थी। उसका यूरिया क्रेटिनिन ज्यादा (लगभग 3) था। उसे भूख नहीं लगती थी और हाथ-पैरों में सूजन थी। जांच की गई, पता चला कि उसे हाइपो थाइरॉयडिज्म भी है। डॉ.पटेल के मुताबिक यह अलग तरह की बीमारी लगी। इलाज भी अलग तरीके से किया गया। मरीज को कुछ समय तक सिर्फ थाइरायड की दवाएं दीं। इसके आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिले। पता चला कि सिर्फ थाइरॉयड की दवाओं से उसकी किडनी संबंधी दिक्कतें भी दूर हो गई। अध्ययन शुरू हुआ तो पता चला कि दुनिया में अब तक इस तरह के दो ही केस रिपोर्टेड हैं, जिनमें थाइरायड की दवाओं ने किडनी की परेशानी दूर कर दी। ब्रिटिश मेडिकल जरनल ने प्रमाणित किया है कि यह दुनिया का तीसरा अनोखा केस है, साथ ही जरनल ने पेपर को प्रकाशित करने की स्वीकृति दी है। इससे पहले सितंबर 2008 में इंगलैंड के डॉरसेट कंट्री हास्पिटल में दो ऐसे ही मामले आए थे(शैलजा तिवारी,दैनिक जागरण,लखनऊ,29.3.11)।
अरे वाह...
जवाब देंहटाएंयानि हाइपोथायरायडिज्म में रिनल फेलियर हो गया । अमेजिंग !
जवाब देंहटाएंलेकिन चमत्कार इलाज में नहीं , डायग्नोसिस में है । यह तो हमारे लिए भी नई जानकारी है ।