सोमवार, 28 मार्च 2011

एक नज़र देश की पहली हेल्थ हेल्पलाईन सेवा पर

एक औसत भारतीय खाने-पीने के बाद सबसे ज्यादा खर्च स्वास्थ्य पर करता है। विश्व प्रसिद्ध स्वास्थ्य पत्रिका लांसेट के हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक,एक भारतीय व्यक्ति स्वास्थ्य के कुल खर्च का 78 फीसद अपनी जेब से भरता है। यानी सरकार और इंश्योरेंस कंपनियों की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती है। वहीं इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत बहुत कम लोगों को होती है और 74 फीसद मेडिकल खर्च सामान्य बीमारियों में ही हो जाता है। इसमें खास बात यह कि कुल खर्च का 72 फीसद दवाओं के ऊपर खर्च हो जाता है। ग्रामीण भारत के लोगों की बात करें तो यहां स्वास्थ्य के ऊपर कुल खर्च का 79 फीसद दवाओं पर खर्च होता हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इलाज और दवा के महंगे होने की वजह से 65 फीसद भारतीय अपना इलाज नहीं करा पाते हैं। सरकारी स्वास्थ्य सेवा का इस्तेमाल महज 20 फीसद लोग कर रहे हैं। वहीं दवाओं की कीमत पिछले 20 साल में तीन गुना से ज्यादा बढ़ी हैं जबकि पिछले एक साल में दवाएं करीब 14 फीसद महंगी हुई हैं। इस भारी भरकम आंकड़े ने आपके दिमाग के ऊपर जरूर जोर डाला होगा। आपको याद आया होगा कि पिछली मर्तबा बुखार के इलाज पर आपने कितना खर्च किया है? इसीलिए केवल स्टॉक मार्केट, सोना, चांदी या कहीं पर पैसे निवेश करने को ही फाइनेंशियल प्लानिंग नहीं कहा जाता है बल्कि खर्चे को नियंत्रित करना भी इसका एक अहम हिस्सा है। सही ढंग से बचत की जाए तो रिटायरमेंट तक आप अच्छी खासी रकम इकट्ठा कर सकते हैं। बचत की शुरु आत अगर इलाज के खर्चे से की जाए तो इससे बेहतर कुछ हो नहीं सकता है। सवाल उठता है कि बचत कैसे की जाए ? पहले तो कुछ ऐसे नुस्खे आजमाएं जिससे छोटी-मोटी बीमारियां दूर रहें। अगर बीमार पड़ जाएं तो इलाज अच्छे डॉक्टर से कराएं और सस्ती दवा खरीदें लेकिन सस्ती दवा और कम फीस में अच्छा डॉक्टर कहां से मिलेगा? ऐसी जानकारी मुश्किल से उपलब्ध है। कई कंपनियों ने वेबसाइट के जरिए ऐसी जानकारी देने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली है। हाल ही में रेलिगेयर टेक्नोलॉजी की ओर से देश की पहली हेल्थ हेल्पलाइन सेवा शुरू की गई है। कंपनी का दावा है कि एक आम आदमी फोन करके सस्ती दवाओं से लेकर उनके शहर में अच्छे डॉक्टरों की जानकारी ले सकता है।

कैसे पाएं जानकारी
जानकारी पाने की पूरी प्रक्रिया बेहद आसान है। किसी भी नंबर से हेल्थ हेल्प लाइन नंबर 011-33006666 पर कॉल करें। इस नंबर से बीमारियों की बेसिक जानकारी से लेकर आपके शहर में उस बीमारी के लिए बेस्ट डॉक्टरों की पूरी लिस्ट आपको मिल जाएगी । कॉल करने का खर्च भी सामान्य फोन कॉल की तरह है। इसके अलावा आपको जानकारी देने का कोई खर्च नहीं वसूला जाता है। रेलिगेयर टेक्नोलॉजी के वाइस प्रेसिडेंट पंकज वैश्य कहते हैं कि कोई भी इंसान इस सेवा का फायदा उठा सकता है। मौजूदा समय में जानकारी हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध है जिसका विस्तार दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं में जल्द किया जाएगा। देश के किसी कोने से हेल्थ हेल्प लाइन पर फोन करके जानकारी ली जा सकती है। अभी दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू,चेन्नई और कोलकाता शहरों के डॉक्टरों और डॉयग्नॉस्टिक सेंटर की जानकारी उपलब्ध है।

क्या है खास
इस हेल्थलाइन के तहत सर्दी-खांसी से लेकर कैंसर जैसी जटिल बीमारियों की जानकारी ली जा सकती है। मान लीजिए आपको बुखार है। सबसे पहले आप 011-33006666 पर फोन करें। फोन करते ही आपसे नाम और फोन नंबर की जानकारी मांगी जाएगी। इसके बाद आप तकलीफों की जानकारी देकर पसंदीदा डॉक्टर चुन सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आपको एम्स या किसी खास मेडिकल कॉलेज में पढ़े डॉक्टर से इलाज कराना हो तो आप बता सकते हैं। हेल्प लाइन आपके घर के नजदीक में उपलब्ध ऐसे डॉक्टरों की जानकारी देगा। यही नहीं अगर आपको 500 रुपए की कंसल्टेंसी फीस या पांच साल के अनुभव का डॉक्टर चाहिए तो उसकी भी जानकारी दी जाएगी। डॉक्टर रजिस्र्टड है या नहीं इसकी जानकारी डॉक्टर का एमसीआई कोड लेकर आप खुद ले सकते हैं। इतना ही नहीं मेडिकल टेस्ट कहां से कराएं ताकि सही टेस्ट भी हो जाए और सस्ता भी हो इसकी जानकारी भी मिल जाएगी। इसमें सबसे खास बात सस्ती दवाओं की जानकारी मिलना है। एक ही कंपोजीशन यानी एक ही असर वाली कई ब्रांड की दवाओं की कीमत अलग-अलग होती है। मसलन एन्टी एलर्जिक दवा सिट्रीजिन को कई कंपनियां बनाती हैं।अलग-अलग ब्रांड की कीमत भी अलग होती है। इस दवा की सबसे कम कीमत 28 पैसे प्रति टैबलेट है जबकि इसी असर की दूसरी ब्रांड की दवा की कीमत 4.70 रुपए प्रति टैबलेट है। ऐसा ही आप पारासिटामोल या दूसरी कंपोजीशन की दवाओं के बारे में जान सकते हैं। मान लीजिए आपके बच्चे को बुखार है। डॉक्टर ने पर्ची में निमुलिड टैबलेट लिखा। निम्युसलाइड जेनिरक की 50 एमजी के 10 टैबलेट को पनेसिया बायोटेक 14.50 रुपए में बेचती है। 50 एमजी के 10 टैबलेट वाली इसी जेनिरक की दवा मेनकाइंड फार्मा 9.90 रुपए में बेचती है। यानी एक ही असर वाली दवा के बीच का अंतर करीब पांच रु पए हैं। ऐसी ही जानकारी आपको कई दवाओं के मामले में मिल सकती है। कंज्यूमर वॉयस के मैनेजिंग एडिटर श्रीराम खन्ना कहते हैं कि दवा कंपनियां लाखों करोड़ों रु पए खर्च करके मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के जरिए डॉक्टर को प्रभावित करती हैं और अपनी महंगी दवाओं को प्रीस्क्राइब कराती हैं जबकि कई जेनिरक दवाएं सस्ती दर पर उपलब्ध हैं लेकिन जानकारी न होने की वजह से मरीज को महंगी दवाएं खरीदनी पड़ती है। इसी तरह डॉक्टरों द्वारा लिखी गई पर्ची की दवाओं का विकल्प आप फोन करके तलाश सकते हैं जो सस्ती भी हो और असर में कोई कमी भी न हो।

क्या है योजना
हेल्पलाइन सेवा जल्द ही पूरे भारत में उपलब्ध होगी एक लाख रजिस्र्टड डॉक्टर की लिस्ट है एमसीआई के द्वारा प्रमाणित डॉक्टरों की जानकारी नि:शुल्क जानकारी प्राइवेसी बनी रहेगी मरीज का इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड रहेगा नजदीकी डॉयग्नॉस्टिक सेंटर और सस्ती दवाओं की जानकारी दवा के साइड इफेक्ट की जानकारी डायबिटीज जैसी कई बीमारियों के घरेलू नुस्खे जानकारियां जल्द ही क्षेत्रीय भाषाओं में वेबसाइट की मदद ले सकते हैं(ऋषिकेश कुमार,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,27.3.11)।

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