सोमवार, 14 मार्च 2011

बहुत बैठने से पिंडलियों में जम जाता है खून

डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (डीवीटी) के कारण अकसर जाँघ या पिंडी की नसों/शिरा में रक्त के थक्के जम जाते हैं। रक्त के थक्कों के कारण नसों में रक्त प्रवाह अवरुद्ध होता है या फिर बिलकुल ही रुक जाता है। डीवीटी के कारण पैर में दर्द या फिर सूजन हो जाती है और फिर इससे पल्मोनरी एम्बॉलिज्म जैसी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। "वीनस थ्राम्बोसिस" यानी पैर के निचले हिस्से या जाँघ की नसों या शिराओं में बनने वाला रक्त का थक्का जो लंबे समय तक बैठने खासतौर पर लंबे समय तक उड़ान में या फिर लंबी सड़क यात्रा करने के कारण होता है।

खून के इस थक्के के कारण वैसे तो खतरा कम होता है लेकिन यदि यह थक्का अपनी मूल जगह से हट जाता है और रक्त के प्रवाह के साथ मस्तिष्क, फेफ़डों, हृदय या फिर शरीर के किसी अन्य भाग में पहुँच कर गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाता देते हैं तो इससे मौत तक हो सकती है। डीवीटी हर वर्ष प्रति एक लाख लोगों में से एक व्यक्ति को होता है। अस्पताल में भर्ती लोगों में से करीब २५ प्रतिशत लोगों को किसी न किसी प्रकार का डीवीटी हो सकता है, जिसका अकसर डॉक्टरों को पता नहीं लग पाता।

केवल पचास प्रतिशत लोगों में ही डीवीटी के लक्षण प्रकट होते हैं। डीप वेन थ्रॉमबोसिस के लक्षण रक्त के वापस हृदय तक लौटने में बाधा उत्पन्ना करने से जुड़े होते हैं। आमतौर पर इसके लक्षणों में पैरों में सूजन, पैरों की नसों में सूजन, पैरों में दर्द या नर्मपन जो आपको केवल तभी महसूस होती है जब आप खड़े होते हैं या चलते हैं, सूजन वाले स्थान पर गर्म महसूस होता है या फिर दर्द होता है और पैर की त्वचा लाल या फिर बदरंग सी हो जाती है।

बिना हिले-डुले लंबे समय तक बैठने से भी डीवीटी होने का खतरा होता है। कुछ ऐसी दवाएँ जो रक्त में थक्का जमने के खतरे को बढ़ाती हैं उनसे भी डीवीटी होने का खतरा होता है। लंबी यात्राएँ तथा लंबे समय तक बैठने के अलावा जिन कारणों से इसका खतरा हो सकता है उनमें लंबी हवाई यात्राएँ (इकॉनोमी क्लास सिन्ड्रोम), कार या ट्रेन में सफर, लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने, सर्जरी के कारण या फिर गर्भवती होने, मोटापे, दवाएँ खाने, (उदाहरण के तौर पर जैसे गर्भ निरोधक गोलियाँ खाना), धूम्रपान करने आदि कारणों से पैर के निचले भाग में कोई तकलीफ होना शामिल है।

डीवीटी है या नहीं इसकी पुष्टि करने के लिए तथा भविष्य में रक्त के थक्के न जमने देने के लिए आपको एक या एक से अधिक टेस्ट यानी जाँच कराने की जरूरत हो सकती है। डीवीटी का पता लगाने के लिए सबसे आम जाँच अल्ट्रासाउंड होता है जिसमें अल्ट्रा साउंड तरंगें पैर के प्रभावित स्थान की नसों और धमनियों दोनों में ही रक्त के प्रवाहित होने की तस्वीर खींच कर प्रस्तुत कर देती हैं। इसके अलावा वेनोग्राफी की मदद से भी इसका पता चल सकता है। इनसे यह भी पता चल जाता है कि क्या कहीं कोई रक्त का थक्का तो नहीं बन रहा है। डीवीटी का पता लगाने के लिए मेगनेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) तथा कम्प्यूटेड टोमोग्रेफी (सीटी) स्कैनिंग भी की जाती है।

डीवीटी से बचाव तथा इसके उपचार के लिए जो विभिन्ना दवाएँ इस्तेमाल की जाती हैं उनमें एन्टीकॉग्यूलेंट्स थ्रॉमबिन इनहिबिटर्स, थ्रॉमबोलिटिक्स, वेना केवा फिल्टर (ऐसा फिल्टर जो रक्त के थक्कों को नसों में सेखून के इस थक्के के कारण वैसे तो खतरा कम होता है लेकिन यदि यह थक्का अपनी मूल जगह से हट जाता है और रक्त के प्रवाह के साथ मस्तिष्क, फेफ़डों, हृदय या फिर शरीर के किसी अन्य भाग में पहुँच कर गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाता देते हैं तो इससे मौत तक हो सकती है। डीवीटी हर वर्ष प्रति एक लाख लोगों में से एक व्यक्ति को होता है। अस्पताल में भर्ती लोगों में से करीब २५ प्रतिशत लोगों को किसी न किसी प्रकार का डीवीटी हो सकता है, जिसका अकसर डॉक्टरों को पता नहीं लग पाता।

जो लोग नियमित यात्राओं पर जाते हैं और लंबे समय तक सफर में बैठते हैं उनके लिए जाँघ तक पहने जाने वाले टाइट मोजे फायदा पहुँचा सकते हैं। २००१ में हुएएक अध्ययन के मुताबिक लंबी दूरी की उड़ानों के अतिथियों में से एक समूह को टाइट लंबे मोजे पहनने को दिए जबकि दूसरा समूह सामान्य जूते मोजे पहने रहा। सभी यात्रियों का जब सीटी स्कैनिंग और खून का परीक्षण किया गया तो पाया कि जिन यात्रियों को टाइट मोजे पहनने के लिए नहीं दिए गए थे उनमें से १० प्रतिशत में डीप वैन थ्रजो लोग नियमित यात्राओं पर जाते हैं और लंबे समय तक सफर में बैठते हैं उनके लिए जाँघ तक पहने जाने वाले टाइट मोजे फायदा पहुँचा सकते हैं। २००१ में हुएएक अध्ययन के मुताबिक लंबी दूरी की उड़ानों के अतिथियों में से एक समूह को टाइट लंबे मोजे पहनने को दिए जबकि दूसरा समूह सामान्य जूते मोजे पहने रहा। सभी यात्रियों का जब सीटी स्कैनिंग और खून का परीक्षण किया गया तो पाया कि जिन यात्रियों को टाइट मोजे पहनने के लिए नहीं दिए गए थे उनमें से १० प्रतिशत में डीप वैन थ्रोंबोसिस के लक्षण थे।

टाइट मोजे दे सकते हैं राहत...
जो लोग नियमित यात्राओं पर जाते हैं और लंबे समय तक सफर में बैठते हैं उनके लिए जाँघ तक पहने जाने वाले टाइट मोजे फायदा पहुँचा सकते हैं। २००१ में हुएएक अध्ययन के मुताबिक लंबी दूरी की उड़ानों के अतिथियों में से एक समूह को टाइट लंबे मोजे पहनने को दिए जबकि दूसरा समूह सामान्य जूते मोजे पहने रहा। सभी यात्रियों का जब सीटी स्कैनिंग और खून का परीक्षण किया गया तो पाया कि जिन यात्रियों को टाइट मोजे पहनने के लिए नहीं दिए गए थे उनमें से १० प्रतिशत में डीप वैन थ्रोंबोसिस के लक्षण थे(डॉ. अतुल माथुर,सेहत,नई दुनिया,मार्च प्रथमांक 2011)।

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