बुधवार, 23 मार्च 2011

प्रोफेसर त्रिवेदी की क़िताब में हैं एड्स-नियंत्रक पौधों के ब्यौरे

यूं तो पहले भी दावा होता रहा है कि एड्स जैसी खतरनाक बीमारी के खिलाफ प्रकृति में मौजूद जड़ी-बूटियां कारगर हथियार हो सकती हैं। अब इस दावे को मजबूत वैज्ञानिक जमीन देने की कोशिश हो रही है। कुछ दिनों पूर्व मेडिसनल प्लांट शीर्षक से लिखी किताब में बाकायदा उन पेड़-पौधों का ब्योरा दिया गया है जो एड्स के इलाज में मदद कर सकते हैं। पुस्तक के लेखक हैं-बॉटनी विषय में सवा सौ से अधिक किताब लिखकर रिकार्ड बनाने वाले डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पी.सी. त्रिवेदी। राजस्थान विश्वविद्यालय में तैनाती केदौरान किताब लिखने वाले प्रो. त्रिवेदी ने अब एंटी एड्स प्लांट यानी कि वनस्पतियों को लेकर गोरखपुर में भी काम करना शुरू कर दिया है। विश्वविद्यालय की कार्यशालाओं व विशेषज्ञ व्याख्यानों में ऐसी वनस्पतियों ने अपनी जगह भी बनानी शुरू कर दी है।
एड्स के वायरस की वृद्धि को रोककर इम्युनिटी सिस्टम को सही करने के लिए अब आम दिनचर्या में इन वनस्पतियों के सेवन को बढ़ावा देने की योजना परवान चढ़ रही है। कहा जा रहा है कि सिंथेटिक दवाओं के विकल्प के रूप में इन वनस्पतियों से दवा व वैक्सीन बनाने का कार्य चल रहा है। इस कोशिश के कई चरणों के रिजल्ट भी बेहतर आने की बात कही जा रही है। जिससे उत्साहित होकर इन वनस्पतियों का आमतौर पर सेवन की वकालत शुरू की गयी है, ताकि मनुष्य केअंदर रिट्रो वायरस, जेनेटिक मैटेरियल पर कब्जा कर अपनी संख्या में वृद्धि न कर सके। चूंकि वायरस किसी भी कोशिका में जाकर जेनेटिक मैटेरियल को प्रभावित कर रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त करने लगता है, ऐसे में एंटी रिट्रो वायरस के जरिए कोशिकाओं की सुरक्षा एकमात्र उपाय है।

किन वनस्पतियों से है उम्मीद
एंटी रिट्रो वायरस प्रापर्टी वाली वनस्पतियों में अश्वगंधा, एलोवेरा, हल्दी, जिनसिंग, मिलिविलो, काली तुलसी, लेमन ग्रास आदि को प्रमुखता दी गयी है। इन वनस्पतियों के गुण रसायनों के सहारे बनायी गयी सिंथेटिक दवाओं से कई गुना अधिक हैं। सिंथेटिक दवाओं के तमाम अवयव जहां शरीर से किन्हीं न किन्हीं रूप में बाहर हो जाते हैं, वहीं वनस्पतियां सौ फीसदी शरीर में एब्जार्व होती हैं और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है।

एंटी-एड्स प्लांट में हैं अपार संभावनाएं- प्रो. त्रिवेदी
इस संबंध में कुलपति प्रो. पीसी त्रिवेदी कहते हैं कि एंटी एड्स प्लांट केजरिए एड्स पर नियंत्रण की अपार संभावनाएं हैं। शोधों व अन्य प्रमाणों के आधार पर उन्होंने मेडिसनल प्लांट पुस्तक में एक चैप्टर में इन वनस्पतियों का उल्लेख किया है। शोध भी हो रहे हैं और कई फेज में रिजल्ट उत्साहजनक भी हैं। दवा व वैक्सीन तो अलग बात है, यदि इन वनस्पतियों का प्रयोग सामान्य रूप में ही किया जाय तो शरीर का डिफेंस सिस्टम बिगड़ने नहीं पाएगा। फिलहाल इन वनस्पतियों केप्रति यहां जागरूकता पैदा करने के प्रयास शुरू कर दिये गये हैं(अमर उजाला,गोरखपुर,23.3.11)।

2 टिप्‍पणियां:

  1. हकीकत में यदि हमारी खुराक सही रहे तो शायद एड्स जैसी बीमारी भी कुछ न बिगाड़ पाए, पेड-पौधों और वनस्पतियों में सभी बीमारियों का इलाज है देखते हैं यह वनस्पतियां कितनी कारगर होंगीं

    अब कोई ब्लोगर नहीं लगायेगा गलत टैग !!!

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  2. आभार इस जानकारी के लिये।

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