वैज्ञानिकों का ऐसा अनुमान है कि मानव शरीर में बीस लाख से अधिक प्रोटीन हैं जो केवल बीस से पच्चीस हजार प्रोटीन में कोडेड हैं। दरअसल, इसकी असली संख्या के बारे में अभी तक एकमत कायम नहीं है। फिर भी वैज्ञानिकों के पास दस लाख से अधिक प्रोटीन्स संबंधित डाटा है।
इनसान के शरीर में प्रोटीन का आकलन करने वाली प्रक्रिया को प्रोटोमिक्स कहते हैं। इसलिए कई विशेषज्ञ ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट के बाद अगला पड़वा ह्यूमन प्रोटोम प्रोजेक्ट को मानते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए ह्यूमन प्रोटोम प्रोजेक्ट ऑर्गेनाइजेशन को गठित किया गया था।
प्रोटीन लंबी मॉलीक्युलर श्रृंखला होती है जो जीवन के बीस बुनियादी ब्लॉक्स अमीनो एसिड से बनती है। सबसे लंबे ज्ञात प्रोटीन, टिटिन में 26,926 अमीनो एसिड होते हैं। टिटिन मांसपेशियों में मिलता है और उनकी शांत अकड़न को सहयोग करता है। प्रोटीन मुख्यत: सभी बीमारियों और रोगों का उपचार करने में काम आते हैं। फिर भी उन्हें इतने वृहद क्षेत्र में खोजना एक बड़ी चुनौती रहती है।
दरअसल, प्रोटीन शब्द की उत्पत्ति यूनानी शब्द ‘प्रोटा’ से हुई है, जिसका मतलब ‘मुख्य जरूरत’ होता है। प्रोटीन अपने नाम के अर्थ को चरितार्थ भी करता है क्योंकि मानव शरीर में प्रोटीन की जरूरत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। सभी जैविक ऑर्गेनिजम्स को प्रोटीन ढांचे के तौर पर देखा जा सकता है जिनमें जल की मात्र रहती है और कई मामलों में उन्हें खनिज रूपी ऊतकों यानी हड्डियों का सहयोग रहता है। लगभग प्रत्येक प्रोटीन के समक्ष उसे तोड़ने के लिए दूसरा प्रोटीन तैयार रहता है।
कई बार प्रोटीन एक आपसी सहयोग रूपी इकाई के तौर पर गठित होती है, जो जरूरी भौतिक क्रियाएं करती हैं। आरएनए और डीएनए में मौजूद महत्वपूर्ण जीनेटिक सूचना अपने से संबंधित प्रोटीन से संबद्ध रहती है, जिससे महत्वपूर्ण भौतिक क्रियाएं संपन्न होती हैं।
(हिंदुस्तान,दिल्ली,6.3.11)
(हिंदुस्तान,दिल्ली,6.3.11)
पिछले दिनों गठिया से मुलाक़ात हुयी. वह तो प्रोटीन के मिलने से बड़ी दुखी थी. क्या प्रोटीन का स्वभाव परेशान करना भी है?
जवाब देंहटाएं