अपने नौनिहालों को पर्याप्त मात्रा में स्तनपान नहीं करा सकने की समस्या से जूझ रही माताओं के लिए मंगोलयाड टोटो जनजाति की महिलाओं द्वारा अपना दूध बढ़ाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक जड़ी बूटी ने उम्मीद की एक नई किरण जगा दी है। एएसआई के वैज्ञानिक अमिताभ सरकार ने समीरा दासगुप्ता के साथ इस पौधे का पता लगाया। सरकार ने बताया कि इस जड़ी बूटी को स्थानीय लोग माइरूंसा के नाम से जानते हैं। टोटो महिलाएं सदियों से इसका इस्तेमाल कर रही हैं लेकिन बाहरी दुनिया को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। समीरा ने शोध के दौरान पाया कि लतमान के पौधे की पत्तियों को चार पांच दिन तक उबाल कर या तल कर खाने के बाद मां अपने बच्चे को अच्छी तरह से स्तनपान कराने में सक्षम हो जाती है।
गौरतलब है कि इस जनजाति की महिलाओं को बच्चों को जन्म देने के बाद आनुवांशिक वजह के चलते दूध की कमी की सामना करना पड़ता है। मंगोलयाड लोग पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत के उप हिमालयी इलाके में रहते हैं। सरकार ने बताया कि स्तन में दूध की कमी के चलते नौनिहाल कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। गांव की जनजातीय महिलाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले औषधीय पौधों के सर्वेक्षण के दौरान यह खोज की गई।
जलपाईगुड़ी में मिली औषधि
भारतीय मानवशास्त्रीय सर्वेक्षण की एक टीम ने पश्चिम बंगाल में जलपाईगुड़ी जिले के टोटोपारा में लतमान (माईरूंसा) नाम की जड़ी बूटी की हाल ही में खोज की है। मंगोलयाड जनजाति की महिलाएं इसका इस्तेमाल अपना दूध बढ़ाने के लिए करती हैं(राजएक्सप्रेस,कोलकाता,20.2.11)।
भारतीय मानवशास्त्रीय सर्वेक्षण की एक टीम ने पश्चिम बंगाल में जलपाईगुड़ी जिले के टोटोपारा में लतमान (माईरूंसा) नाम की जड़ी बूटी की हाल ही में खोज की है। मंगोलयाड जनजाति की महिलाएं इसका इस्तेमाल अपना दूध बढ़ाने के लिए करती हैं(राजएक्सप्रेस,कोलकाता,20.2.11)।
क्या क्या छिपा पड़ा है नेचर में
जवाब देंहटाएंप्रसन्नता का विषय।
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