फलों में जहर की बात भले ही कुछ अटपटी लगे, लेकिन इस बात में कोई शक नहीं कि आप फलों के नाम पर जहर खा रहे हैं। यह खुलासा हाल ही में स्वास्थ्य विभाग की ओर से की गई फलों की जांच में हुआ है। विभाग ने अमृतसर के विभिन्न बाजारों से फलों के 24 सैंपल लिए थे, जिनमें से 20 फेल पाए गए।
इनमें ज्यादातर केले के थे, जबकि कुछ पपीता और आम के भी थे। फेल सैंपलों में पाया गया है कि फलों को ऐसे कैमिकल से पकाया गया है, जो स्वास्थ्य के भारी नुकसानदायक है।इन्हें कैल्शियम कार्बाइड पाउडर से पकाया गया था। इस पाउडर पर पानी का छिड़काव करने से एस्टलीन गैस पैदा होती है, जो वैल्डिंग करने में प्रयोग होती है।
इस तरह आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि यह गैस आपके शरीर के लिए कितनी हानिकारक सिद्ध होगी। यह गैस गर्मी पैदा करती है और इसी गर्मी से ही फल पकते हैं।
लीवर व आंखों पर हमला
फूड इंस्पेक्टर सुखराव सिंह बताते हैं कि इस तरह के फल शरीर में अल्सर पैदा करते हैं। साथ ही इसका बुरा असर लीवर और आखों की रोशनी सहित अन्य हिस्सों पर भी पड़ता है। प्रिवेंशन ऑफ फूड एल्ट्रेशन एक्ट 1955 के तहत अप्राकृतिक ढंग से फलों का पकाना अपराध है। अप्राकृतिक ढंग से पकाए गए फलों में विटामिन की मात्रा न के बराबर होती है, क्योंकि इन्हें सूर्य का प्रकाश नहीं मिलता।
सूर्य के रोशनी की गर्मी के कारण इनमें विटामिन पाया जाता है। बाजार में आने वाले ज्यादातर केले कैल्शियम कार्बाइड पाउडर से पकाए जाते हैं।
इथलीन गैस का इस्तेमाल सही
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और हार्टिकल्चर विभाग ने फलों को इथलीन गैस से पकाने की विधि खोजी है, जिससे पकाए गए फल शरीर पर हानिकारक प्रभाव नहीं डालते। विभाग ने इस विधि के जरिए फलों को पकाने के लिए लुधियाना में एक यूनिट लगाया है। वहीं होशियारपुर मंडी में भी ऐसा ही एक प्राइवेट यूनिट है।
बाकी जिलों में ऐसा यूनिट न होने के चलते ज्यादातर फल विक्रेता कैल्शियम कार्बाइड से ही फलों को पकाते हैं, जो इन जिलों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए खतरनाक है।
पाउडर करता है कैलोरीज का खात्मा
एक केले में 100 कैलोरीज होती हैं। कसरत के लिए शरीर को सोडियम पोटाशियम की जरूरत होती है, जो केला में भरपूर मात्रा में पाई जाती है। इसी के चलते खिलाड़ियों को दिन में दो केले खाने के लिए कहा जाता है, लेकिन अप्राकृतिक ढंग से पकाए गए केले को खाने का कोई फायदा नहीं होता।
खिलाड़ियों का मुख्य आहार है यह फल
फलों में जहर खिलाड़ियों व बॉडी बिल्डिंग करने वालों के लिए सबसे बड़ी चिंता का कारण है, क्योंकि फल उनकी डाइट का अहम हिस्सा हैं। अकेला खेल विभाग ही रिफ्रेशमेंट के तौर पर खिलाड़ियों को दो केले प्रतिदिन मुहैया करवाता है।
इसके अलावा खेल आयोजन एवं प्रतियोगिताओं के दौरान भी अलग से केलों की डाइट दी जाती है।
खेल विभाग के सुखदीप सिंह के अनुसार खिलाड़ियों को बड़ी मात्रा में केला दिया जाता है। खेल एक्सपर्ट बलबीर सिंह रंधावा मानते हैं कि विभाग का ऐसा सेंटर एवं मैस जरूर होनी चाहिए, जहां डाइटीशियन की देखरेख में खिलाड़ियों को फल मुहैया करवाए जाएं।
उन्होंने बताया कि यह काम पूरी तरह से ठेकेदारों पर है, जो मुनाफे के लिए खिलाडिय़ों को घटिया फल देने में गुरेज नहीं करते।
किडनी को खतरा
डा. रवि दत्त शर्मा ने बताया कि कैल्शियम कार्बाइड से पकाए जाने वाला फल स्वास्थ्य के लिए घातक है। इससे किडनी खराब होने तथा पेट से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।
ऐसे फल में न्यूट्रीशियन वैल्यू तो खराब होती है, उल्टा टॉक्सिन पैदा हो जाता है। ऐसे फल को खाने से लाभ की बजाय सेहत को नुकसान पहुंचता है।
प्रशासन करे सख्ती
बाजार में अप्राकृतिक ढंग से पकाए गए फल आ रहे हैं, जो नुकसानदेह हैं। इसके खिलाफ कार्रवाई करना जिला प्रशासन का काम है। डीसी को ही इस मामले में सख्ती करनी चाहिए। परेशानी यह भी है कि अगर ठेकेदार सही फल खरीदना भी चाहे तो ऐसे फल बाजार में मिलना मुश्किल हैं।परगट सिंह, डायरेक्टर, खेल विभाग, पंजाब(हरिचंद बब्बू,दैनिक भास्कर,अमृतसर,21.2.11)
इथलीन गैस का इस्तेमाल सही
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और हार्टिकल्चर विभाग ने फलों को इथलीन गैस से पकाने की विधि खोजी है, जिससे पकाए गए फल शरीर पर हानिकारक प्रभाव नहीं डालते। विभाग ने इस विधि के जरिए फलों को पकाने के लिए लुधियाना में एक यूनिट लगाया है। वहीं होशियारपुर मंडी में भी ऐसा ही एक प्राइवेट यूनिट है।
बाकी जिलों में ऐसा यूनिट न होने के चलते ज्यादातर फल विक्रेता कैल्शियम कार्बाइड से ही फलों को पकाते हैं, जो इन जिलों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए खतरनाक है।
पाउडर करता है कैलोरीज का खात्मा
एक केले में 100 कैलोरीज होती हैं। कसरत के लिए शरीर को सोडियम पोटाशियम की जरूरत होती है, जो केला में भरपूर मात्रा में पाई जाती है। इसी के चलते खिलाड़ियों को दिन में दो केले खाने के लिए कहा जाता है, लेकिन अप्राकृतिक ढंग से पकाए गए केले को खाने का कोई फायदा नहीं होता।
खिलाड़ियों का मुख्य आहार है यह फल
फलों में जहर खिलाड़ियों व बॉडी बिल्डिंग करने वालों के लिए सबसे बड़ी चिंता का कारण है, क्योंकि फल उनकी डाइट का अहम हिस्सा हैं। अकेला खेल विभाग ही रिफ्रेशमेंट के तौर पर खिलाड़ियों को दो केले प्रतिदिन मुहैया करवाता है।
इसके अलावा खेल आयोजन एवं प्रतियोगिताओं के दौरान भी अलग से केलों की डाइट दी जाती है।
खेल विभाग के सुखदीप सिंह के अनुसार खिलाड़ियों को बड़ी मात्रा में केला दिया जाता है। खेल एक्सपर्ट बलबीर सिंह रंधावा मानते हैं कि विभाग का ऐसा सेंटर एवं मैस जरूर होनी चाहिए, जहां डाइटीशियन की देखरेख में खिलाड़ियों को फल मुहैया करवाए जाएं।
उन्होंने बताया कि यह काम पूरी तरह से ठेकेदारों पर है, जो मुनाफे के लिए खिलाडिय़ों को घटिया फल देने में गुरेज नहीं करते।
किडनी को खतरा
डा. रवि दत्त शर्मा ने बताया कि कैल्शियम कार्बाइड से पकाए जाने वाला फल स्वास्थ्य के लिए घातक है। इससे किडनी खराब होने तथा पेट से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।
ऐसे फल में न्यूट्रीशियन वैल्यू तो खराब होती है, उल्टा टॉक्सिन पैदा हो जाता है। ऐसे फल को खाने से लाभ की बजाय सेहत को नुकसान पहुंचता है।
प्रशासन करे सख्ती
बाजार में अप्राकृतिक ढंग से पकाए गए फल आ रहे हैं, जो नुकसानदेह हैं। इसके खिलाफ कार्रवाई करना जिला प्रशासन का काम है। डीसी को ही इस मामले में सख्ती करनी चाहिए। परेशानी यह भी है कि अगर ठेकेदार सही फल खरीदना भी चाहे तो ऐसे फल बाजार में मिलना मुश्किल हैं।परगट सिंह, डायरेक्टर, खेल विभाग, पंजाब(हरिचंद बब्बू,दैनिक भास्कर,अमृतसर,21.2.11)
क्या खाया जाये, ये एक बहुत बड़ा प्रश्न बनता जा रहा है
जवाब देंहटाएंकई फलो के बारे में ये खबर पढ़ चुके है अब क्या खाए क्या न खाए |
जवाब देंहटाएंये तो बहुत चिंता की बात है। आभार।
जवाब देंहटाएं---------
ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
कैल्शियम कार्बाइड
जवाब देंहटाएंसे फल वर्षों से पकाए जा रहे है
एथीलीन अच्छा विकल्प है