वो दिन लद गए, जब महिलाएं पति की यौन अक्षमता को अपनी किस्मत मानकर चुप बैठ जाती थी। वे इस बारे में किसी से चर्चा करने की बजाय अंदर ही अंदर घुटती रहती थी। अब ऐसा नहीं है। महिलाएं इस मामले में बोल्ड हो चुकी हैं। अब वे खुद पति को इलाज करने के लिए डाक्टर के पास ले जा रही हैं और इलाज के विकल्पों पर चर्चा भी करती हैं। डीएमसी अस्पताल में एंड्रोलोजी एंड रिप्रोडक्टिव मेडिसन कांफ्रेंस में पहुंचे डाक्टर मानते हैं कि देश की राजधानी दिल्ली से लेकर राजस्थान, चंडीगढ़, खड़गपुर व पंजाब के छोटे शहरों तक में महिलाएं बोल्डनेस दिखा रही हैं।
आईआईटी खड़गपुर के डा.एसके गुहा के मुताबिक अब यौन अक्षमता की शिकायत लेकर पति के साथ पत्नी भी आती है और वह डाक्टर के साथ होने वाली चर्चा में भाग भी लेती हैं। बल्कि ज्यादातर महिलाएं पहले अकेली आकर डाक्टर से इलाज के विकल्प पूछती हैं, उसके बाद वे अपने पति को मनाकर डाक्टर के पास लेकर आती हैं। डा.गुहा बताते हैं कि हाल ही में उनकी एक विवाहित लेडी स्टूडेंट की मां उनके पास आई और उसने बताया कि उसकी बेटी के पति में यौन अक्षमता है। उसने बिना किसी झिझक उनसे इलाज के विकल्प भी पूछें।
पीजीआई चंडीगढ़ के यूरोलोजी विभाग के डाक्टर एसके सिंह के मुताबिक महिलाओं में मेडिकल साइंस के प्रति जागरूकता भी इसकी वजह है। वे अब अपने पति से चर्चा करती हैं कि जब मेडिकल साइंस में उनकी यौन अक्षमता का हल है, तो वह क्यों उसे छुपाकर अंदर ही अंदर घुट रहा है।
यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान के सेंटर फॉर एडवांस स्टडी के प्रोफेसर एनके लोहिया के मुताबिक बच्च न होने पर प्राथमिक तौर पर मान लिया जाता है कि महिला में ही कोई नुक्स होगा। इसलिए सबसे पहले महिला के ही सभी टेस्ट कराए जाते हैं और पुरुष आखिर में अपने टेस्ट कराता है। लेकिन अब महिलाएं शुरुआती दौर में ही अपने पति को भी टेस्ट कराने के लिए तैयार करती हैं। नेशनल इंस्टीटच्यूट आफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के डिपार्टमेंट ऑफ रिप्रोडक्टिव बायोमेडिसन के डा.एमएम मिसरो बताते हैं कि महिलाओं में झिझक घटी है। उनके यहां इलाज के दौरान महिलाएं गायनाकोलोजिस्ट से चर्चा कर देती हैं कि उनका पति सेक्सुअल डिसआर्डर से पीड़ित है। पति और पत्नी दोनों से चर्चा के बाद ही यौन अक्षमता का इलाज कारगर तरीके से शुरू किया जा सकता है(विपन जंड,दैनिक भास्कर,लुधियाना,20.2.11)।
स्वतंत्रता की ओर एक और क़दम... एक पॉज़िटिव स्टेप!!
जवाब देंहटाएंमहिलाओं की इस जागरूकता और सहभागिता का गवाह मैं भी हूँ .......बल्कि कभी-कभी तो महिलायें ही पहल करके सलाह के लिए आती हैं और उनके पतिदेवता न जाने क्यों सूरत छिपाते रहते हैं.
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