शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

दांतों की सफाई-2

1 फरवरी,2011 के आलेख में आपने पढ़ा दांतों की सफाई के बारे में। आज पढ़ें आगे..
- माउथवश मुंह में अच्छी खुशबू का अहसास कराता है। हाइजीन के लिहाज से अच्छा है, लेकिन इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

- दांतों पर जमा गंदगी को साफ करने के लिए स्केलिंग और फिर पॉलिशिंग की जाती है। यह हाथ और अल्ट्रासाउंड मशीन दोनों तरीकों से की जाती है। चाय, कॉफी, पान और तंबाकू आदि खाने से बदरंग हुए दांतों को सफेद करने के लिए ब्लीचिंग की जाती है। दांतों की सफेदी करीब डेढ़-दो साल टिकती है और उसके बाद दोबारा ब्लीचिंग की जरूरत पड़ सकती है।

- हर छह महीने में एक बार दांतों की पूरी जांच करानी चाहिए।

- सुंदर दांतों से जहां मुस्कराहट अच्छी होती है, वहीं मुस्कराहट से दांत अच्छे बनते हैं। तनाव दांत पीसने की वजह बनता है, जिससे दांत बिगड़ जाते हैं। तनाव से एसिड भी बनता है, जो दांतों को नुकसान पहुंचाता है।

- मीठी और स्टार्च आदि की चीजें कम खाएं और बार-बार न खाएं। मीठी चीजें खाने के बाद कुल्ला करें या ब्रश करें।

- मसूड़ों और दांतों की ढंग से सफाई न होने और उनमें सड़न व बीमारी होने पर मुंह से बदबू आती है। कुछ मामलों में पेट खराब होना या मुंह की लार का गाढ़ा होना भी इसकी वजह होती है। लौंग, इलायची चबाने से इससे छुटकारा मिल जाता है। थोड़ी देर तक शुगर-फ्री च्यूइंगगम चबाने से मुंह की बदबू के अलावा दांतों में फंसा कचरा निकल जाता है और मसाज भी हो जाती है।

बच्चों के दांतों की देखभाल: छोटे बच्चों को चॉकलेट और च्यूइंगम न खिलाएं। खाएं भी तो तुरंत कुल्ला करें। बच्चों को अंगूठा न चूसने दें। इससे दांत टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। डेढ़ साल की उम्र से ही अच्छीतरह ब्रशिंग की आदत डालें। छह साल से कम उम्र के बच्चों को फ्लोराइड वाला टूथपेस्ट न दें।

कृत्रिम दांत: कृत्रिम दांतों को गीला रखना चाहिए। रोजाना इन्हें साफ भी करें। इन्हें गर्म पानी में नहीं डालना चाहिए, केवल कड़े बाल वाले ब्रश से साफ करें और बोरिक एसिड घोल या अन्य रोगाणुनाशक घोल में रखें। टूटे दांतों को इस्तेमाल न करें। नए दांत लगाने के बाद कुछ देर बोलने का अभ्यास करें। यदि दांत खटकें तो धीरे-धीरे बोलना चाहिए(हिंदुस्तान,दिल्ली,2.2.11)।

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