उत्तराखंड सरकार ने गत वर्ष आयोडीन रहित नमक की बिक्री पर प्रतिबंध तो लगा दिया, लेकिन इसका कोई असर खुले बाजार पर नजर नहीं आता। अफसरों की उदासीनता और फरमान लागू करवाने में इच्छाशक्ति की कमी का नतीजा है कि बाजार में आयोडीन रहित नमक की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। बेखौफ नमक माफिया सरकार की नाक के नीचे प्रदेश के विभिन्न बाजारों तक आयोडीन रहित नमक की सप्लाई कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो मेरठ, मुजफ्फरनगर के नमक माफिया सहारनपुर, हर्रबटपुर के रास्ते विकासनगर में आयोडीन रहित नमक पहुंचा रहे हैं। इसी प्रकार हरिद्वार और ऋषिकेश के रास्ते भी यह नमक पहाड़ चढ़ रहा है। हैरत इस बात पर कि आयोडीन रहित नमक की बिक्री रोकने वाले गहरी नींद में हैं। नतीजा यह कि जनस्वास्थ्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है। आंकड़ों से भी नहीं सबक स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था शरणम ने 2009-2010 में प्रदेश के पांच जिलों अल्मोड़ा, देहरादून, चमोली, नैनीताल और टिहरी में आयोडाइज्ड नमक के प्रयोग पर सर्वे किया। पता चला कि उत्तराखंड में तेरह फीसदी लोग नहीं जानते कि आयोडीन युक्त नमक होता क्या है और इसके इस्तेमाल से किन बीमारियों को टाला जा सकता है। जबकि 19 फीसदी घरों में आयोडीन युक्त नमक इस्तेमाल तो हो रहा है लेकिन इसमें आयोडीन की मात्रा मानकों से काफी कम है। क्या हैं मानक औसतन नमक में 15 पीपीएम आयोडीन होनी चाहिए लेकिन इस नमक में यह मात्रा 15 पीपीएम से काफी कम थी। कैसे करें जांच : बाजार में उपलब्ध एमबीआई किट से आसानी से जांच कर सकते हैं। इस किट में तीन तरह के सोल्यून हैं। इन सोल्यूनों के जरिए आयोडीन की जांच कर सकते हैं। दूसरा, तरीका यह कि आलू को चिप्स की शेप में काटें। फिर नमक डालें। फिर कुछ बूंदें नींबू की निचोड़ लें। आलू नीला हो जाता है तो इसका मतलब आयोडीन है। सेहत पर असर घेंघा रोगों के होने की संभावना प्रबल रहती है। यदि नमक में आयोडीन नहीं है तो यह शरीर के लिहाज से घातक है(अमित ठाकुर,दैनिक जागरण,देहरादून,4.2.11)।
चिंता की बात है।
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ध्यान का विज्ञान।
मधुबाला के सौन्दर्य को निरखने का अवसर।
उपयोगी जानकारी और जागरूकता फ़ैलाती पोस्ट के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.