मंगलवार, 11 जनवरी 2011

दिल्ली के लालाराम स्वरूप टीबी अस्पताल में हुई इंट्रापल्मोनरी टेरीटोमा की असाधारण सर्जरी

दस साल की सीमा के फेफड़े से सर्जरी कर डॉक्टरों ने ऐसा ट्यूमर निकाला, जिसमें बाल उग आए थे। चिकित्सा क्षेत्र में यह असाधारण मामलों में आता है, जिसे इंट्रापल्मोलरी टेरीटोमा कहा जाता है। लालाराम स्वरूप टीबी अस्पताल में हुई सर्जरी में ट्यूमर को निकाला गया। डॉ. आरके दीवान की अगुवाई में तीन डॉक्टरों की टीम ने इस सर्जरी को सफल बनाया। डॉक्टरों का कहना है कि यह असाधारण मामला है, जो आमतौर पर फेफड़े में नहीं पाई जाती है। पिछले दो साल से सीमा खांसी व सांस की दिक्कत से परेशान थी। फरीदाबाद में निजी अस्पताल के डॉक्टर ने तीन माह तक उसका टीबी का इलाज किया, लेकिन वह ठीक नहीं हुई। इसके बाद उसे लालाराम स्वरूप टीबी अस्पताल लाया गया था। उस समय उसके मुंह से लगातार खून बह रहा था। डॉ. दीवान ने बताया कि हमने एक्स-रे की तो उससे पता चला कि फेफड़े की दाई ओर कुछ गांठ सा बना हुआ है। इसकी वजह से उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है। सिटी स्कैन से यह साफ हो गया कि फेफड़े के अंदर टेरीटोमा बना हुआ है, जो बड़ा आकार ले चुका है। डॉ. अनुला सिसोदिया ने बताया  कि इस बच्ची के फेफड़े से यह ट्यूमर इस कदर चिपका हुआ था कि हार्ट पर दबाव बन रहा था। उसकी वजह से उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। चार घंटे तक चली इस सर्जरी में पांच सौ ग्राम का ट्यूमर बाहर निकाला गया। सर्जरी के दौरान फेफड़े से सभी खराब उत्तक को काट कर हटा दिया गया। अब मरीज की परेशानी दूर हो चुकी है। इस बारे में डॉ. आरके रामचंदानी ने कहा कि इसका एकमात्र इलाज सर्जरी है। सर्जरी के बाद बच्ची सामान्य जिंदगी जी सकती है(दैनिक जागरण,दिल्ली,11.1.11)।

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