रविवार, 16 जनवरी 2011

किस माह में क्या न खाएं और क्या न करें?

जीने के लिए खाना जितना जरूरी है, उतना ही अच्छे स्वास्थ्य के लिए कुछ खाने की चीजों से दूरी बनाए रखना जरूरी है। साथ ही हमेशा निरोगी और स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन योग का अभ्यास करना चाहिए। योग शास्त्र में 12 महीनों के लिए कुछ ऐसी खाने की चीजे बताई गई हैं, जिन्हें अलग-अलग माह में नहीं खाना चाहिए। हमारा खान-पान ही हमारे शरीर को पूरी तरह तंदुस्त रखता है। अच्छे भोजन से हमारी कार्यक्षमता सही बनी रहती है, जल्दी थकान नहीं होती और साथ ही कई छोटी-छोटी बीमारियां हमेशा ही हमसे दूर रहती है।
पुराने समय में एक कहावत कही गई है- चैते गुड़, वैशाखे तेल, जेठ के पंथ, अषाढ़े बेल
सावन साग, भादो मही, क्वार करेला, कार्तिक दही।
अगहन जीरा, पूसै धना, माघै मिसरी, फागुन चना।
जो कोई इतने परिहरै, ता घर बैद पैर नहिं धरै।

किस माह में क्या न खाएं या क्या न करें?


जनवरी-फरवरी: मिस्री 
फरवरी-मार्च: चना
मार्च-अप्रैल: गुड़
अप्रैल-मई: तेल
मई-जून: इस माह में गर्मी का अत्यधिक प्रकोप रहता है अत: ज्यादा घुमना-फिरना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
जून-जुलाई: हरी सब्जियों को अच्छे साफ करके खाएं।
जुलाई-अगस्त: सत्तू, हरी सब्जियां अच्छे साफ की हुई होना चाहिए।
अगस्त-सितंबर: छाछ, दही का कम से कम सेवन करें।
सितंबर-अक्टूबर: करेला
अक्टूबर-नवंबर: छाछ, दही
नवंबर: दिसंबर: जीरा
दिसंबर-जनवरी: धनिया(दैनिक भास्कर,उज्जैन,3.1.11)

5 टिप्‍पणियां:

  1. ispar to kahi dhyan hi nahin diya tha.........chalo achchhi jakari mili .abhar.

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  2. एक भूली-बिसरी जानकारी आपने ताज़ा कर दी। हमारे से पहले की जेनरेशन इसे ख़ूब फॉलो करती थी। हम तो इसे भुला ही बैठे हैं।

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  3. लोक जीवन में यह अभी भी स्मृति में है। अब तो लोग देसी माहों के नाम तक भूल गए हैं।

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