राहत की बजाय आफत देने वाली चार दवाओं पर स्वास्थ्य मंत्रालय और उसका तंत्र अब जा कर जागा है। इसने बच्चों को पिलाई जाने वाली नेमुसिलाइड सस्पेंशन सहित चार दवाओं के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। प्रतिबंधित होने वाली दवाओं में सर्दी की दवाओं के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली पीपीए (फिलाइन प्रोपेनोलामाइन), कब्ज और एसिडिटी की दवा सिसाप्राइड और गर्भनाल से बनने वाली प्लासेंट्रिक्स शामिल हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की सिफारिश पर यह कदम उठाने का फैसला किया है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (डीटीएबी) की एक उप समिति को इन दवाओं के बारे में विचार करने को कहा गया था। इसकी सिफारिश के आधार पर ही यह फैसला किया गया है। इतने विरोध के बावजूद निमुसिलिड को पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं किए जाने की वजह पूछने पर वे कहते हैं कि विशेषज्ञों ने इसके दुष्प्रभाव का अध्ययन करने की सिफारिश की है। यह काम फार्माकोविजिलेंस कार्यक्रम के तहत शुरू कर दिया गया है। इन चार दवाओं पर प्रतिबंध के इस फैसले को विशेषज्ञ बहुत देर से उठाया गया अधूरा कदम बताते हैं। मंथली इंडेक्स ऑफ मेडिकल स्पेशलिटीज (एमआईएमएस) के संपादक सीएम. गुलाटी कहते हैं कि नेमुसिलाइड को सिर्फ बच्चों के लिए प्रतिबंधित किए जाने की बजाय इसे पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए था। इसी तरह एनालजिन और डिंक्सिट जैसी दवाओं की बिक्री और लेट्रोजोल के दुरुपयोग को भी तत्काल रोके जाने की जरूरत है। बच्चों की नेमुसिलाइड सालाना सिर्फ दो-तीन करोड़ रुपये की बिकती है, जबकि वयस्कों की यह दवा 290 करोड़ रुपये से अधिक की बिकती है। इसी तरह 20 करोड़ सालाना का कारोबार करने वाली खतरनाक कुप्रभावों वाली एनालजिन, 36 करोड़ की बिक्री वाली लेट्रोजोल और 20 करोड़ की बिक्री वाली डिंक्सिट को ले कर यह समिति चुप्पी साध गई है(मुकेश केजरीवाल,दैनिक जागरण,राष्ट्रीय संस्करण,16.1.11)।
जब जागो तभी सवेरा समझो!
जवाब देंहटाएंsir hamare desh men kahawat hai der aaye par durust aayen......kamayi jyada importent lagati hai.
जवाब देंहटाएंबाप रे ये तो बड़ी खतरनाक बात है , अच्छी जानकारी दी अब तो अपने बच्चो को कोई दवा पिलाते समय इस बात का ध्यान रखूंगी | धन्यवाद |
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