मंगलवार, 18 जनवरी 2011

स्फूर्ति के लिए "हलासन"

जैसे-जैसे समय बदल रहा है, सभी के काम करने का अंदाज भी बदल रहा है। ऐसे में हमारी कार्यक्षमता भी कम हुई है। अधिकांश लोग जल्दी थक जाते हैं और थकान महसूस करने लगते हैं। दिनभर तरोताजा रहने के लिए सुबह-सुबह कुछ समय योग फायदेमंद रहता है। हलासन एक ऐसा आसन है जिसके अभ्यास से हम दिनभर एकदम फ्रेश बने रह सकते हैं।
हलासन की विधि - समतल जमीन पर आसन बिछाएं। आसन पर शवासन में लेट जाएं। श्वांस को अंदर भरकर दोनों पैरों को एक साथ ऊपर की और उठाना प्रारंभ करें। पैरों को ऊपर उठाते हुए सर्वांगासन में आइये, फिर चित्रानुसार पैरों को सिर के पीछे तक झुकाते हुए जमीन से स्पर्श कराइये। कुछ क्षण इसी तरह रुकने के बाद, सामान्य रूप से शवासन में आ जाइये। शरीर के तनाव को मिटाने के लिये आसन के अंत में कुछ देर शवासन में रहें।
सावधानी - आसन करते समय धैर्य से काम लें। जल्दबाजी एवं उग्रता का व्यवहार न करें। जिन लोगों को नेत्र रोग, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और कमर, पेट, एवं गर्दन संबंधी बीमारी हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिये।
हलासन लाभ - यह आसन थायराइड ग्रन्थि को प्रभावित करता है। इस आसन के करने से कण्ठकूपों पर दवाब पड़ता है जिससे थाइराइड संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। भावनात्मक संतुलन और तनाव निवारण के लिये यह आसन लाभप्रद है। इससे मेरुदण्ड लचीला बनता है जिससे बुढ़ापा देर से आता है। इस आसन से पाचन तंत्र और मांसपेशियों को शक्ति मिलती है। इसके अभ्यास से पाचन तंत्र ठीक रहता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से विशुद्ध चक्र जाग्रत होता है। गले और वाणी से संबंधित बीमारियां दूर होती हैं। हलासन के अभ्यास से मन शांत और स्थिर होता है, तनाव दूर होता है। इसके नियमित अभ्यास से प्राण सूक्ष्म होकर सुषुम्ना नाड़ी में प्रवाहित होने लगता है। इसे करने से मन, आनंद और उत्साह से भरा रहता है तथा शरीर में स्फूर्ति और ताजगी बनी रहती है।(दैनिक भास्कर,उज्जैन,18.1.11)

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