बुधवार, 19 जनवरी 2011

सेहत की कीमत पर सजना

कॉस्मेटिक सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग सुंदरता पाने का आसान तरीका बन गया हैं। आजकल ज्यादातर महिलाएं अपना रंग-रूप निखारने के लिए बाजार में मिलने वाले ‘रेडी टू यूज ब्यूटी प्रोडक्स’ का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन अब महिलाओं को सावधान हो जाना चाहिए क्योकि खूबसूरती देने वाले इन प्रसाधनों में ऐसे विषैले रसाइन पाए गए हैं जिनसे आपको त्वचा व आंखों की एलर्जी, किडनी और लिवर से जुड़ी समस्याओं तक का खतरा हो सकता है। जी हां! यह सच है। एक नए अध्ययन में ये बात सामने आई है। सौन्दर्य प्रसाधनों में मौजूद विषैले रसायनों की वजह से एलर्जी, लिवर और आंखों से जुड़ी समस्याएं व कैंसर हो सकता है।

एन्वायर्नमेंटल वर्किंग ग्रुप के स्किन डीप कॉस्मेटिक्स सेफ्टी डाटाबेस के मुताबिक इस समय एक महिला हर रोज लगभग 515 रसायनों का इस्मेताल करती है। अध्ययन के मुताबिक, नेल पॉलिश में 31, पफ्र्यूम में 400, लिप्सटिक में 33, आई शैडो में 26, ब्लशर में 16 और फाउंडेशन में 24 से भी ज्यादा रसायन हो सकते हैं, लेकिन फिर भी 75-90 प्रतिशत महिलाएं इस बात की परवाह नहीं करती कि सौंदर्य प्रसाधन में कौन से तत्व व रसायन मौजूद हैं। ये लापरवाही उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकती है।

अंतर्राष्ट्रीय सौंदर्य प्रसाधन
सामान्यत: नामी अंतर्राष्ट्रीय प्रसाधन कंपनियों के उत्पादों को बढ़िया क्वालिटी का माना जाता हैं। महिलाएं और सौंदर्य जगत से जुड़े लोग महंगे होने के बावजूद इन्हें बड़ी संख्या में इस्तेमाल करते हैं। लेकिन प्रशिक्षण के दौरान इनमें भारी मात्र में मेटल पाया गया जो आंखों, बालों और त्वचा के लिए बेहद हानिकारक माना जाता हैं।

एम्स के चर्म रोग विशेषज्ञों की एक टीम ने अध्ययन के दौरान पाया कि ज्यादातर बड़ी कम्पनियों के हेयर डाइ, लिपस्टिक, बिंदी, और आई मेकअप के प्रसाधनों में सबसे ज्यादा कैमिकल्स होते हैं। इनसे करीब 3.3 फीसदी लोगों को एलर्जी होती है और बड़ी संख्या में लोग अन्य त्वचा से जुड़ी समस्याओं का शिकार हो जाते हैं।

हर्बल सौंदर्य प्रसाधन
विषैले सौंदर्य प्रसाधनों की प्रतियोगिता दौड़ में प्राकृतिक व हानिरहित माने जाने वाले हर्बल प्रसाधन भी पीछे नहीं हैं। शोध के मुताबिक 2009 में 50 से ज्यादा हर्बल ब्रांडों में से 20 में सीसा, निकेल, क्रोमियम, कोबाल्ट और तांबे जैसे विषैले कैमिकल तत्वों की मात्रा पाई गई।

एम्स के चर्म रोग विभाग के प्रमुख डॉ़ वी. के. शर्मा बताते हैं कि हर्बल सौंदर्य प्रसाधन भी अब शुद्ध नहीं हैं। इस समय हर्बल उत्पादों में जड़ी-बूटियों का अंश बहुत कम होता हैं। इनमें भी कॉस्मेटिक प्रसाधनों में पाएं जाने वाले रसायनों की कुछ मात्रा मौजूद होती है।

कहीं आपकी क्रीम में नैनो पार्टिकल तो नहीं
आज हर छोटी बड़ी कम्पनी के सौंदर्य प्रसाधनों में एक तत्व का इस्तेमाल बढ़ता रहा है वो है - नैनो पार्टिकल। लाल रक्त कणिकाओं से 70 गुणा छोटे इस तत्व का प्रयोग प्रसाधनों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए किया जाता है। खासकर एंटी-एजिंग और गोरापन देने वाली क्रीम में इसकी मात्रा ज्यादा पाई जाती हैं। ऐसी क्रीम के अधिक इस्तेमाल से लिवर की समस्या हो सकती है।

दरअसल, बहुत छोटे होने की वजह से ये पार्टिकल्स त्वचा व कोशिकाओं में आसानी से पहुंच सकते हैं और अगर गलती से लिवर जैसे अंगों में इनकी ज्यादा संख्या जमा हो जाए तो लिवर खराब हो सकता है। इनकी अधिक मात्रा कैंसर की वजह भी बन सकती है।

आंखों को सुंदर बनाना पड़ न जाए महंगा
डिपसर के अध्ययन के मुताबिक सौंदर्य प्रसाधनों में मौजूद विषैले रसायनों को सबसे अधिक दुष्प्रभाव आखों पर पड़ता है। आंखों को खूबसूरत दिखाने वाले प्रसाधन जैसे आई-लाइनर, आई-शैडो और काजल के अधिक इस्तेमाल से पलकों में सूजन, एग्जीमा, एलर्जी, और आंखों में सूखेपन की समस्या हो सकती है।

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. वैशाल केनिया का कहना है कि आंखों के कई प्रसाधनों में विषैले तत्वों की संख्या बहुत ज्यादा होती हैं। आंखों की त्वचा बेहद संवेदनशील होती है इसलिए रसायनयुक्त प्रसाधनों के बार-बार इस्तेमाल से गंभीर समस्या पैदा हो सकती है।

सुंदरता पाने की इस अंधी दौड़ में लोग अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना गंभीर समस्याओं को जन्म दे रहा है। आज बाजार में 10 रुपए से लेकर 5000 तक के सौंदर्य प्रसाधन मौजूद हैं। इनकी कीमत बेशक अलग है लेकिन इनके नुकसान बराबर हैं।

स्किन टेस्ट है जरूरी
जरूरी नहीं सुंदरता बढ़ाने के लिए किए सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल सभी के लिए नुकसानदायक हो, डर्मिटोलॉजिस्ट का कहना है कि सभी की त्वचा संवेदनहीन होता है, जो सीधे रूप से त्वचा ऊपरी सतह पर पाए जाने वाले लिपोसाइकिन तत्व व फ्री रेडिकल पर आधारित होती हैं, इसी विशेषता के आधार पर हर व्यक्ति का रंग रूप व बालों की खासियत या फिर उत्पाद का असर अलग-अलग पड़ता है। कैमिकल और हर्बल युक्त पद्धार्थ का इस्तेमाल करने से पहले भी स्किन टेस्ट जरूरी बताया गया है। कई बड़ी प्रसाधन कंपनियों ने अब स्किन टेस्ट को अपनी सेवाओं में शामिल भी कर लिया है।

अपनाएं कुछ आसान उपाय
माता चाननदेवी अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. तपेश्वर कहते हैं कि त्चचा की मृत सेल्स को जीवित करने के लिए फ्री रेडिकल व ऑक्सीडाइज युक्त प्रसाधनों को प्रयोग किया जा सकता है, जबकि एंटी एजिंग क्रीम का प्रयोग करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए, जो त्वचा की सीधे ऊपरी सतह पर असर करती हैं। बाजार में इस समय एक दजर्न कंपनियों के उत्पाद उम्र से कम दिखने का दावा कर रही हैं, ऐसी क्रीम के प्रयोग से पहले कान के पिछले हिस्से पर ट्रायल प्रयोग करना चाहिए।

रखें कुछ विशेष सावधानी
- अधिक कैमिकल युक्त प्रसाधन का प्रयोग तो सप्ताह में दो बार गुलाब जल से चेहरे को धोएं।
- रात में सोने से पहले मेकअप को हटा ले, इसके लिए केसर जल का प्रयोग करें।
- कॉस्मेटिक सजर्री जैसे बोटोक्स या फिर फिलर कराया है तो कैमिकल युक्त क्रीम इस्तेमाल करने से अच्छे डर्मिटोलॉजिस्ट से संपर्क करें।
- एंटी एंजिंग क्रीम से बेहतर है कि खाने में अधिक फाइबर युक्त चीजें इस्तेमाल करें, प्राकृतिक फल जैसे किवी व एलोवेरा त्चचा के लिए सबसे बेहतर हैं।
- बालों को रंगने से पूर्व उनकी किस्म पहचान लें, कोई भी कलर लगाने से बेहतर है कि मेहंदी का प्रयोग करें।
- साबुन, फेस वॉश या फिर पाउडर आदि को बदलने से पहले त्वचा रोग विशेषज्ञ से मिलें, शैंपू बदल-बदल कर इस्तेमाल करें।(भारती शांडिल्य,हिंदुस्तान,दिल्ली,18.1.11)

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